धार्मिक नगरी में होगी आस्था के मुद्दे की परख, 31विधानसभा सीटों पर भाजपा, सपा और बसपा को कितना होगा फायदा
सूबे में किसकी सरकार बनेगी यह कह पाना मुश्किल है, परन्तु राजनीति के जानकार का कहना है कि सूबे में साल 2007 से स्पष्ट बहुमत की सरकार बनने लगी है और इस बार भी स्पष्ट बहुमत की सरकार बनेगी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनावी रण अब धार्मिक नगरी पहुंच गया है। रामनगरी अयोध्या, संगम नगरी प्रयागराज, आध्यात्मिक नगरी वाराणसी, चित्रकूट और मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के मुख्य धार्मिक केंद्र हैं। भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में ये धार्मिक केंद्र हमेशा रहा हैं। विधानसभा चुनाव- 2022 में भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस सभी के एजेंडे में ये धार्मिक केंद्र रहा है। इस धार्मिक नगरी में कुल 31 विधानसभा सीटें हैं। इन विधानसभा सीटों पर अब सभी पार्टियों के आस्था की अग्नि परीक्षा होगी। दस मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा किसको कितना फायदा मिला। पांच चरण का चुनाव सम्पन्न हो गया, परन्तु अभी भी सूबे में किसकी सरकार बन रही है, यह कह पाना मुश्किल है। फिलहाल राजनीति के जानकार का कहना है कि सूबे में साल 2007 से स्पष्ट बहुमत की सरकार बनने लगी है और इस बार भी स्पष्ट बहुमत की सरकार बनेगी।
साल 2017 का विधानसभा चुनाव में देखा जाए तो सबसे अधिक 28 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। बहुजन समाज पार्टी ने दो विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करा सकी थी। समाजवादी पार्टी ने एक विधानसभा सीट पर जीत का सेहरा बाँध सकी थी। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 17 विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया था। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले धार्मिक नगरी से ही ज्यादातर अभियान की शुरुआत की गयी। बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए रामनगरी अयोध्या से ही इसकी शुरुआत की। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी मथुरा गए। अब दस मार्च को पता चलेगा कि पार्टियों ने कितनी सफलता पायी है। जिसकी सरकार होती है, उसके मुंह से एक बार घमंड की बात तो समझ में आती है, परन्तु साल 2017 में भाजपा के हाथों बुरी तरह परास्त होने वाले सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव का घमंड समझ के परे है। इतना घमंड कि चुनाव परिणाम से पहले जनसभाओं में वह मंत्रालय और मंत्री पद बांटना शुरू कर दिए हैं।
अयोध्या जिले में पांच विधानसभा की सीटे हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पांचों विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया था। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ रुदौली विधानसभा सीट पर ही जीत का परचम लहरा पायी थी, बाकी चार विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। चित्रकूट जिले की दो विधानसभा सीट चित्रकूट और मानिकपुर में साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में चित्रकूट विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था और मानिकपुर विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी का प्रत्याशी जीत सका था। अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मभूमि पर श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर विपक्ष तंज कसता था और मजाक उड़ाता था कि राम लला हम आयेंगे और मंदिर वहीँ बनायेंगे,पर डेट नहीं बटायेंगे।
प्रयागराज में 12 विधानसभा सीटें हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में तीन विधानसभा सीटें छोड़कर नौ विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी व उसके सहयोगी दल ने जीत का परचम लहराया था। सोरांव में अपना दल ने जीत का परचम लहराया था, प्रतापपुर व हंडिया में बहुजन समाज पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। करछना में समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने नौ विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। करछना और प्रयागराज पश्चिम विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। प्रयागराज पूर्व विधानसभा में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था। जिस तरह साल 2012 में समाजवादी पार्टी का जलवा था, ठीक उसी तरह साल 2017 में अखिलेश सरकार से तंग आकर प्रदेश की जनता भाजपा को प्रचंड बहुत दिया।
वाराणसी जिले में सात विधानसभा सीटें हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन ने सातों विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया था। अजगरा विधानसभा में उस समय की सहयोगी दल सुभासपा और सेवापुरी विधानसभा में अपना दल ने जीत का परचम लहराया था। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अजगरा और शिवपुर विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। रोहनिया विधानसभा सीट पर अपना दल ने जीत का परचम लहराया था। बाकी तीन विधानसभा सीटें वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण और वाराणसी कैंट विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। वर्ष-2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नरेन्द्र मोदी ने काशी नगरी को अपना संसदीय क्षेत्र बनाया और चुनाव जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने। साल 2017 में मोदी लहर की वजह से ही बिना सीएम चेहरा आगे किये भाजपा ने अखिलेश सरकार को ऐसी पटखनी दी कि वह विपक्ष के लायक भी न बची।
मिर्जापुर जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल ने जीत का परचम लहराया था।छानवे विधानसभा सीट पर अपना दल ने जीत का परचम लहराया था। मिर्जापुर, मझावा, चुनार व मरिहान विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में छानवे, मिर्जापुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। मझावा विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी व मरिहान विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था। इस बार मतदाता बहुत ही गुमशुम है और वह अपनी चुप्पी तोड़ना नहीं चाहता। इसलिए 10 मार्च को ही परिणाम आने पर सही स्थिति का पता चल सकेगा। जहाँ मतदान हो जा रहे हैं, वहाँ भी इस बार राजनीति के जानकार अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं कि किस दल की क्या स्थिति बन रही है ? कुल मिलाकर परिणाम ही सही स्थिति तय कर सकेगा।