उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में 2022 -2023 में स्थानांतरण के लिए तैयारियां की गई तेज, स्वास्थ्य विभाग में कई सालों से एक ही जिलें में तैनात लिपिकों के अब होंगे, तबादले
योगी सरकार-2 में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को सौंपी गई है स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी, सरकार के गठन के साथ ही उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा लिया गया है, अहम फैसला…
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग को पिछली सरकारों ने सत्यानाश करके रख दिया था। स्वास्थ्य विभाग को चुस्त व दुरुस्त करने के प्रचंड बहुमत से आई योगी सरकार में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी सिद्धार्थ नाथ सिंह के कन्धों पर दी गई और सिद्धार्थ नाथ सिंह योगी सरकार में प्रवक्ता पद के दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे, परन्तु स्वास्थ्य विभाग को और सत्यानाश करने का कार्य किया। स्थिति बाद से बद्तर होती चली गई तो बीच में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान सिद्धार्थ नाथ सिंह से स्वास्थ्य मंत्रालय छीन लिया गया और आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह को स्वास्थ्य की जिम्मेदारी दी गई, परन्तु वह भी स्वास्थ्य महकमा संभाल न सके। कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य ब्यवस्था का बिगड़ा रूप देखकर डर लगता था। किसी की कोई जिम्मेवारी ही नहीं निर्धारित रही। स्वास्थ्य विभाग में जमकर लाला वाद फैला रहा और उस पर योगी आदित्यनाथ भी बैकफुट पर दिखे। सिद्धार्थ नाथ सिंह की बोई हुयी फसल पूरे पाँच लहलहाती रही और स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्ट अफसरों ने दोनों हाथ से स्वास्थ्य विभाग को लूटने में संकोच नहीं किये। योगी सकार की छवि को खराब किये। योगी पार्ट-2 ब्रजेश पाठक जी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए हैं, इस बार स्वास्थ्य विभाग को सुधारने का दायित्व उनके कन्धों पर है। देखना होगा कि स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक सुधरते हैं या विभाग को सुधारते हैं ? फिलहाल स्वास्थ्य प्रदेश का भ्रष्टतम विभागों में से एक है।
प्रतापगढ़ का महाभ्रष्टाचारी सीएमओ डॉ अरविन्द कुमार श्रीवास्तव जो चार सालों से प्रतापगढ़ में अपना पैर अंगद के सरीखे जमाकर खड़ा है और उसका पैर चुनाव आयोग भी अनेकों शिकायतों के बाद भी नहीं हिला सका…
स्वास्थ्य विभाग में कई सालों से एक ही जिले में तैनात लिपिकों के तबादलते की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए स्वास्थ्य महकमें से सभी का ब्योरा इकट्ठा करने का निर्देश दिया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत वह क्लर्क जो एक जिले में सात साल से अधिक समय से तैनात हैं, उनका तवादला किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. राजागणपति आर की ओर से सभी मंडलीय अपर निदेशक, अस्पतालों के निदेशक व मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य की स्थानांतरण नीति के अनुसार कार्यालय में एक पटल पर तीन साल, एक कार्यालय में पांच वर्ष और मंडल में दस साल से अधिक एक पटल प्रभारी यानि वरिष्ठ व कनिष्क लिपिक तैनात नहीं रह सकता। स्वास्थ्य विभाग में संगठन बनाकर संगठनों के प्रदेश के साथ-साथ जिलों के अध्यक्ष व सचिव का स्थानांतरण उनके द्वारा संगठन में पद पर नियुक्त होने के दो वर्ष तक नहीं किया जायेगा, इसके बाद उनका भी होगा स्थानांतरण। तीन दिन के अंदर विभाग को सभी लिपिकों की तैनाती से संबंधित रिपोर्ट भेजनी होगी। जान बूझकर संगठन बनाकर और उसमें पदाधिकारी बनकर अपनी पूरी नौकरी का समय एक ही जिले में बिताने वाले एक से बढ़कर एक जगलर और घाघ किस्म के बाबू यानि पटल प्रभारी देखने को मिल जाते हैं जिनका पच्चीसों साल से तवादला ही नहीं हुआ है। किसी भी विभाग में पटल प्रभारी ही भ्रष्टाचार और लूट खसोट का जनक होता है। स्वास्थ्य विभाग का एक-एक बाबू करोड़ पति नहीं, बल्कि अरबपति की श्रेणी में हैं।