एमएलसी चुनाव में मतदान के दिन मतदाताओं में अपनी असलियत और हैसियत जान भाव विह्वल हुए भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह
सात विधानसभाओं में बने 18मतदान स्थलों पर पागलों की तरह दिनभर चक्कर काटते रहे, शाम को हताश व निराश होकर एमएलसी चुनाव में करोड़ों रुपये खर्च का हिसाब करने बैठे तो हाथ मलने के सिवा कुछ शेष न रहा
सदर विकास खंड के जिन प्रतिनिधियों ने भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह का नोट भरा लिफाफा थामा, वो यह कहकर उन्हें वोट नहीं दिया कि उन्होंने जो लिफाफा भेंट के लिए दिया उसमें भी खेल हो गया। नाम न छापने की शर्त पर एक पंचायत प्रतिनिधि द्वारा बताया गया कि लिफाफा के अंदर धन कुछ बताया गया और मिला कुछ। पाँच हजार का खेल उसमें भी हो गया। एक प्रतिनिधि ने अपना मोबाइल दिखाते हुए कहा कि इतने फोन स्वयं भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह ने अपने नम्बर से किये, पर हमने अपना ईमान नहीं डिगने दिया। नोटों से भरा लिफाफा लेने से हम इंकार कर दिए। पर दबंग पंचायत जनप्रतिनिधियों ने कहा कि जो धन जबरन दिया जा रहा हो उसे ले लेना चाहिये। आती हुई लक्ष्मी का अनादर नहीं करना चाहिये। यदि लक्ष्मी जी नाराज हो गई तो उनका सत्यानाश हो जाएगा। इसलिए जो धन मिल रहा है, उसे गले माथे चढ़ाकर रख लेना चाहिये।
एक पंचायत प्रतिनिधि का तर्क था कि जब भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह के लिफाफा देने वाले उनके साथ गद्दारी कर सकते हैं, तो हम पंचायत प्रतिनिधि क्यों नहीं ? हम तो वादा तो भी नहीं किये। वह तो स्वार्थ में लिफाफा अपनी मर्जी से दिए और बदले में अपने पक्ष में मत देने की इच्छा ब्यक्त किये। कोई पंचायत प्रतिनिधि बचनबद्ध नहीं हुआ था। एक पंचायत प्रतिनिधि ने तो यहाँ तक कह दिया कि भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह जी कौन सा गेंहू काटकर दिए थे ? अनाज की कालाबाजारी और 25 वर्षों से नगरपालिका के कोष की लूट का कुछ अंशदान कर दिए तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा। समुद्र और नदी से दो चार बाल्टी पानी निकाल लेने से उसमें कमी नहीं आती। धनबल के मामले में भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह समुद्र के समान हो चुके हैं।