सपा के पूर्व महासचिव रमेश कुमार यादव के खिलाफ न्यायालय द्वारा जारी किये गए NBW आदेश के बाद भी कोहंडौर पुलिस गिरफ्तार करने से कर रही है,परहेज

प्रतापगढ़। सिस्टम में बैठे कुछ अफसर बहुत ही ढीठ और निरंकुश होते हैं कि वह जो अपने मन में ठान लेते हैं, उसके इतर दूसरा कार्य नहीं करते। ऐसा ही एक मामला कोहड़ौर थाना क्षेत्र के लाखीपुर से संबंधित है, जहाँ समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला सचिव रमेश कुमार यादव समेत उनके दो शार्प शूटरों के खिलाफ गैर जमानती वारंट कोर्ट ने 10जून को जारी किया, परन्तु कोहड़ौर थाना प्रभारी और हल्का दरोगा के ऊपर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और जानलेवा हमले के आरोपी को खुलेआम घूमने की छूट घूंसखोर कोहड़ौर पुलिस ने दे रखी है। जिससे पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। जानलेवा हमले के आरोपियों को पुलिस की यह छूट उसे हाईकोर्ट से स्थगनादेश लाने के लिए है। क्योंकि तीन आरोपियों में एक आरोपी अरुण है, जिनके नाम से जिला जज के यहाँ रिवीजन केस फाइल की गई, परन्तु उस रिवीजन केस को नोटिस जारी होने के बाद भी एडोकेसी के तहत नॉट प्रेस में वापस ले लिया गया और उक्त प्रकरण को आरोपियों द्वारा हाईकोर्ट में ले जाया गया है और कोहड़ौर थाना प्रभारी को स्थगनादेश का इंतजार है,ताकि रमेश यादव को मदद पहुंचाई जा सके। 

जिले के तेज तर्रार एसपी सतपाल अंतिल के समक्ष जब उक्त प्रकरण रखा गया तो उन्होंने फोनकर जानलेवा हमले के मामले में जारी NBW के अपरधियों को गिरफ्तार करने के लिए कोहड़ौर थाना प्रभारी को निर्देशित किया था। परंतु घुंसखोर कोहड़ौर पुलीस की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। सबसे मजेदार बात यह है कि कोहड़ौर में थाना प्रभारी चाहे जो रहे, परन्तु सपा के पूर्व महासचिव रमेश यादव का टिप्पस सब पर भारी रहता है। न्यायालय के आदेश के बाद कोहड़ौर पुलिस जानलेवा हमले के आरोपी के प्रकरण में NBW जारी होने के बाद भी उन्हें गिरफ्तार नहीं करती,बल्कि उनकी रखवाली करती है। इसकी हकीकत जब खंगालने का प्रयास किया गया तो पता चला कि रमेश यादव जो लाखीपुर ग्राम पंचायत का कभी प्रधान हुआ करता था, वह थाने में मुखबिरी से लेकर क्षेत्र के कार्य में पुलिस की जेब गरम करवाता है और उसी की आड़ में अपनी जेब भी गरम कर लेता है। यही वजह है कि रमेश यादव के खिलाफ NBW जारी होने के बाद पुलिस उसकी मददगार बनी हुई है। सिर्फ कागजी कोरम और दिखाने के लिए दबिश दी जाती है।   

भाजपा नेता लल्लू गुप्ता को अखिलेश सरकार में सपा नेता रमेश यादव और उनके दो शूटरों ने 16अगस्त, 2016 को दिनदहाड़े गोली मार थी। किसी तरह उनकी जान बची थी। आज भी अभी तक उन्हें दवा का सेवन करना पड़ रहा है। फिर भी रिश्वतखोर कोहड़ौर पुलिस जानलेवा हमला और षड्यंत्र  करने के आरोप में दर्ज मुकदमें में 2बार FR लगाया। पर कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया। कोहड़ौर पुलिस के ऊपर न्यायालय के NBW वाले आदेश भी हवाहवाई साबित हो रहे हैं। अपराधियों को खुलेआम कोहंडौर पुलिस संरक्षण दे रही है। न्यायालय ने 10 जून, 2022 को NBW आदेश जारी किया,परन्तु 2 जुलाई हो गई फिर भी अपराधियों को पुलिस गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया। इससे कोहड़ौर थाना के थाना प्रभारी का दोहरा चरित्र उजागर हुआ है। एक तरफ SP प्रतापगढ़ को अपनी प्रेषित रिपोर्ट में रमेश यादव को फेंक पते पर शस्त्र लेने की बात स्वीकार की है। परंतु उसी रमेश यादव को NBW होने के बाद गिरफ्तार करने से परहेज कर रही है। अपराध दर्ज रहते हुए शस्त्र का लाइसेंस ले लेना समूचे सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।

न्यायालय ने कोहड़ौर पुलिस के उस FR को निरस्त कर दिया और जानलेवा प्रकरण में न्यायालय ने सीधे संज्ञान लेते हुए जानलेवा हमले और षड्यंत्र करने के आरोप को मान लिया और 28मार्च, 2022 को अभियुक्तगण को हाजिर होने के लिए आदेश निर्गत किया। तदोपरांत हाजिर न होने पर NBW जारी हुआ। परन्तु आज तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई। इसकी एक वजह और भी है। क्योंकि पूर्व विधायक सदर नागेन्द्र सिंह उर्फ़ मुन्ना यादव भी उसके मददगार रहे हैं। जबकि रमेश यादव भाजपा नेता लल्लू गुप्ता के ऊपर जानलेवा हमला कराने और घटना का षड्यंत्र करने का आरोपी है। न्यायालय उसके खिलाफ घटना घटित होने के छः साल बाद प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए NBW जारी किया है। फिर भी कोहड़ौर पुलिस उसे गिरफ्तार करके न्यायालय के समक्ष पेश नहीं कर रही है। इसकी वजह तो कोहड़ौर पुलिस ही बता सकती है। ऐसे ही अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं और पीड़ित लल्लू गुप्ता का आरोप है कि उसके ऊपर जानलेवा हमले के आरोपियों को रिश्वतखोर कोहड़ौर पुलिस हाईकोर्ट से स्थगनादेश लाने में मददगार बनती नजर आ रही है।इस बात का खुलासा स्वयं पीड़ित लल्लू गुप्ता ने किया।  

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