यूपी विधानसभा में 58 साल बाद लगी अदालत में 6 पुलिसकर्मियों को दी गई सजा, 18 साल पहले तोड़ा था भाजपा विधायक का पैर
उत्तर प्रदेश के विधानसभा में 58 साल बाद अनोखा नजारा देखने को मिला,जब यहां पर अदालत लगी और कठघरे में खड़े़ हुए 6 पुलिसकर्मी। विधानसभा ने लगभग दो दशक पुराने मामले में तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई द्वारा विशेषाधिकार हनन के मामले में छह पुलिसकर्मियों को शुक्रवार को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई। बता दें विशेषाधिकार हनन का नोटिस वर्ष-2004 का है। यूपी विधानसभा को शुक्रवार को अदालत में तब्दील कर दिया गया और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने छह पुलिसकर्मियों को एक दिन की कैद (रात 12 बजे तक) का प्रस्ताव पेश किया। स्पीकर सतीश महाना ने इस फैसले की घोषणा की। महाना ने कहा कि पुलिसकर्मी आधी रात तक विधानसभा भवन के एक कमरे में कैद रहेंगे और उनके लिए भोजन और अन्य सुविधाओं जैसी सभी व्यवस्थाएं की जाएंगी।विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक उदाहरण बनेगा।
सजा पर फैसला होने के बाद मार्शल सभी पुलिसकर्मियों को सदन से लॉकअप में ले गए। बता दें कि इससे पहले विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी। इस दौरान कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने दोषियों के लिए 1 दिन की जगह कुछ घंटों के कारावास की अपील की।जिस पर सदन के विधायकों ने असहमति जताई। सुरेश खन्ना ने कहा कि अध्यक्ष के कहने के बाद अब बदलाव नहीं हो सकता है। हालांकि इस दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव भी सदन में मौजूद नहीं थे,जब विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष को बोलने के लिए कहा, लेकिन किसी के ना बोलने पर प्रस्ताव को समर्थित मान लिया गया। बता दें कि मामला 15 सितंबर साल-2004 का है। उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी। कानपुर के तत्कालीन विधायक जो हाल में विधान परिषद सदस्य हैं सलिल विश्नोई ने बिजली आपूर्ति को लेकर धरना दिया था और डीएम को ज्ञापन देना चाहते थे।
उसी दौरान पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्रता और गाली गलौच कर अपमानित करते हुए लाठियां बरसाईं, जिसमें विधायक के दाहिने पैर में फ्रैक्चर आ गया जबकि वह शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे। यह मामला विशेषाधिकार समिति के सामने आया। इसके बाद विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का मामला चला था, जिसमें 6 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे। परीक्षण और अवलोकन के पश्चात 28 जुलाई साल-2005 को समिति ने आरोपी पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया। इस प्रकरण को विधानसभा में पेश किया गया। आज सभी आरोपी विधानसभा में पेश हुए और सदन ने सर्वसम्मति से यह निर्णय विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना पर छोड़ा। उन्होंने अपना निर्णय सुनाया, जिसमें तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवई नगर ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उपनिरीक्षक थाना कोतवाली कानपुर नगर त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटेलाल यादव, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह को माफ़ी मांगने के चलते उनके आचरण, व्यवहार को दृष्टिगत रखते हुए उदारतापूर्वक एक दिन के कारावास की सजा सुनाई है।