प्रमोद कुमार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद की रामपुरख़ास विधानसभा क्षेत्र से राजनीतिक क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुवात करने वाले ऐसे नेता बने जिनका नाम एक ही दल और एक ही विधानसभा क्षेत्र से लगातार वर्ष-1980 से वर्ष-2012 तक एक ही चुनाव निशान से जीत दर्ज करने पर उनका नाम गिनीज बुक ऑफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। प्रमोद कुमार ने छात्र राजनीति से ही अपना राजनीतिक सफर शुरू कर दिया था। वे प्रतापगढ़ में कॉलेज के कई बार अध्यक्ष रहे। साल-1980 में उन्होंने पहली बार रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे दो बार राज्य मंत्री भी रहे। वर्ष- 2013 से वर्ष- 2018 तक वे राज्यसभा सदस्य भी रहे। अब वह एक बार फिर राजस्थान के रास्ते राज्यसभा पहुँचने में सफलता पाई है।
बहुत ही सामान्य परिवार में जन्मे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कुमार ने वर्ष- 1980 में पहली बार जीत का झंडा बजाया तो उसके बाद कांग्रेस ने आज तक किसी दल को रामपुरख़ास से खाता नहीं खोलने दिया। प्रमोद कुमार से बड़ा लायजनर राजनीतिक क्षेत्र में मिलना बहुत कठिन है। बस शर्त एक ही रहती है कि वह लायजनिंग अपने लिए हो अथवा अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए हो। दूसरे के मामले में प्रमोद कुमार दांव दे जाते हैं। प्रमोद कुमार का इतिहास रहा है कि वह अपने लिए राजनीति में किसी भी स्तर तक जा सकते हैं और गिर भी सकते हैं। साल- 1984 से 1989 के बीच प्रमोद कुमार कांग्रेस की सरकार में राज्यमंत्री बने। योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे और कांग्रेस का उत्तर प्रदेश से जनाजा निकलने के बाद भी अपनी सीट रामपुरखास को बचाए रखने में प्रमोद कुमार सफल रहे। जबकि प्रतापगढ़ की अन्य छः विधानसभाओं में कांग्रेस का सत्यानाश करने वाले भी प्रमोद कुमार ही हैं।
जिले की छः सीटों पर उम्मीदवारों की जमानत जब्त कराने की रणनीतिकार भी प्रमोद कुमार ही हैं। रामपुरख़ास विधानसभा में मौका देखकर अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी अपनी बड़ी बेटी अराधना मिश्रा “मोना” को वर्ष-2014 में उप चुनाव में विधायक बनाने में सफलता अर्जित की और स्वयं सपा के कोटे से राज्यसभा पहुँच गए। इस सफलता के लिए प्रमोद कुमार अपने सबसे बड़े दुश्मन कुंडा के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह “राजा भईया” से भी अंदर ही अंदर समझौता कर लिया, जिससे अपने राजनीतिक महिला मित्र कालाकांकर की राजकुमारी रत्ना सिंह से उनकी दूरियां बढ़ना शुरू हुई तो लोकसभा चुनाव-2019 के बाद राजकुमारी रत्ना सिंह का प्रमोद कुमार के प्रति मोहभंग हो गया और वह भगवाधारी हो गई। आगामी लोकसभा चुनाव-2024 में कांग्रेस से प्रमोद कुमार को उम्मीदवार बनाये जाने की जैसे चर्चा शुरू हुई, वैसे ही प्रमोद कुमार अपनी स्थिति भांप कर राज्यसभा से संसद भवन पहुंचना उत्तम मार्ग समझा और वह इस बार भी अपनी राजनीतिक गोटी बिछाने में सफल रहे।