भतीजे आकाश के रास्ते चलीं बुआ मायावती, अचानक बदली-बदली आ रहीं हैं, नजर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी को बचाए रखने की है। परिवार से लेकर पार्टी में कलह चरम पर है, चुनाव दर चुनाव नतीजे ख़राब आ रहे हैं। यूपी की चार बार सीएम रहीं मायावती की पार्टी बसपा का अब बेस वोटर भी छिटकने लगा है। बसपा के जाटव वोट बैंक में चंद्रशेखर रावण ने सेंधमारी कर दी है।
अब बसपा मुखिया मायावती घर और पार्टी ऑफिस से बाहर निकलना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को मायावती राजधानी लखनऊ में बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र पहुंची।बसपा के संस्थापक कांशीराम की जयंती 15 मार्च को है। बसपा इसी बहाने कार्यकर्ताओं को एक्टिव करना चाहती है। इसलिए तैयारी देखने के लिए मायावती खुद मौक़े पर पहुंच गईं। ऐसा पहली बार हो रहा है।
बुधवार को मायावती उमा शंकर सिंह के घर पहुंच गईं, उमाशंकर सिंह बसपा के इकलौते विधायक हैं। मायावती ने उमा शंकर सिंह और उनकी पत्नी को शादी की सालगिरह की बधाई दी। चर्चा तेज हो गई कि बहिन जी तो बदली-बदली सी नज़र आ रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या मायावती अपनी लाइन लेंथ बदल रही हैं।
ये सवाल इसीलिए क्योंकि मायावती के निशाने पर अब कांग्रेस के बदले भाजपा आ गई है। मायावती को अचानक मुसलमानों की चिंता सताने लगी है। पिछले दो दिनों से मायावती भाजपा को दलित विरोधी साबित करने में जुटी हैं, हर दिन किसी न किसी मुद्दे पर मायावती भाजपा को घेरने में जुटी हैं। मायावती का अचानक से ह्रदय परिवर्तन कैसे हो गया।
पहले मायावती ने परिवार में सब ठीक किया। भतीजे आकाश आनंद को निकाला, छोटे भाई आनंद कुमार को किनारे लगाया। फिर सबको टाइट किया, राम जी गौतम को ऊपर किया तो किसी को नीचे किया। अब विचार कर मायावती काम कर रही हैं। मायावती की सियासत बदलाव की ओर है, लेकिन इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी, विपक्ष ने बसपा पर भाजपा की बी टीम होने का ठप्पा लगा दिया है।
राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव इस बात पर काफ़ी मुखर रहे हैं। राहुल और अखिलेश कहते हैं कि मायावती भाजपा से नहीं लड़ती हैं। राहुल ने तो हाल में ही रायबरेली के दौरे पर कहा था कि अगर बसपा ठीक से लड़ती तो हम भाजपा को रोक सकते थे। सारे विपक्षी दल ये कहने लगे कि मायावती भी एआईएमआईएम की तरह भाजपा को फायदा पहुँचाने तक ही सीमित हो चुकी है।
पहले साल- 2022 का विधानसभा चुनाव फिर 2024 का लोकसभा चुनाव। विपक्ष ने माहौल बनाया कि बसपा उम्मीदवारों की सूची भाजपा हेड क्वार्टर में बनती है। बीते कुछ दिनों से मायावती के निशाने पर भाजपा ही है। कभी मायावती योगी सरकार को कोसती हैं, तो कभी एमपी सरकार को। शुक्रवार को मायावती उत्तराखंड सरकार को लपेट लिया।
मायावती सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखती हैं कि उत्तराखंड सरकार द्वारा पहले कुछ मज़ारों व धार्मिक स्थलों को ध्वस्त किए जाने के बाद अब राजधानी देहरादून में 11 प्राइवेट मदरसों को सील किए जाने की ख़बर की काफी चर्चा। सरकार धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाने वाली ऐसी द्वेषपूर्ण व गैर सेक्युलर कार्रवाईयों से जरूर बचे।
मायावती अब फिर से पुराने फार्मूले पर काम करना शुरू कर दिया हैं। मुसलमान, दलित और ब्राह्मण वाले सामाजिक समीकरण पर फ़ोकस है। साल- 2022 का चुनाव हारने के बाद मायावती ने कहा था कि मुसलमान समझदार नहीं होते।अब वही मायावती रमजान में यूपी में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने से नाराज़ हैं। मुसलमान अब मायावती के भाई जान हैं।
संयोग ही है कि आकाश आनंद बसपा में रह कर जो प्रयोग करना चाहते थे, उसी की आजमाइश मायावती जी शुरू किया हैं। आकाश भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहते थे। जब आकाश इस राह पर चले तो मायावती ने पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें प्रचार से हटा दिया था। आकाश अब बसपा से बाहर हैं, लेकिन उनकी बुआ मायावती उसी राह पर हैं।