भाजपा शीर्ष नेतृत्व व अपना दल एस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा भईया के बीच सीटों को लेकर चल रहे मंथन में अटकी हैं, विपक्षी दलों की साँसे
लखनऊ। कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र और जौनपुर जिले की मछली शहर संसदीय क्षेत्र में टिकट को लेकर अभी भी स्थिति साफ न हो सकी। भाजपा व अपना दल एस के बीच अभी किसी तरह का समझौता नहीं हो सका है। प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र की सीट को साल-2014 में भाजपा ने अपना दल के खाते में दिया था और अपना दल के टिकट पर कुंवर हरिवंश सिंह चुनाव लड़कर प्रचंड मतों से बिजयी हुए थे। साल-2019 में भाजपा ने प्रतापगढ़ संसदीय सीट को वापस लेकर अपना उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता को कमल के फूल से चुनाव लड़वाया और संगम लाल गुप्ता भाजपा के सिम्बल से सांसद निर्वाचित हुए। जबकि अपना दल एस के विधायक रहते संगम लाल गुप्ता लोकसभा चुनाव-2019 लड़ा था। बदले में मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज लोकसभा संसदीय सीट अपना दल एस को दी थी। अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल इस बार भी दो सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेंगी। इस बार अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर संसदीय सीट पर स्वयं और सोनभद्र संसदीय सीट से अपना दल एस के सांसद पकौड़ी लाल कोल को उतारती हैं या किसी और को मौका देती हैं।
अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर संसदीय सीट पर स्वयं और सोनभद्र संसदीय सीट से अपना दल एस के सांसद पकौड़ी लाल कोल को उतारती हैं या किसी और को मौका देती हैं
इस तरह प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से वर्तमान सांसद संगम लाल गुप्ता को पहली सूची में भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने अपना उम्मीदवार बनाया है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को भाजपा एक सीट देगी और गठबंधन में राजा भईया की पार्टी शामिल होगी। राजा भईया 80 सीट में से 2 सीट चाहते हैं, परन्तु भाजपा शीर्ष नेतृत्व 1 सीट ही देना चाहती है। साल-2019 के लोकसभा आम चुनाव में भी यही पेंच फंसा था और इस बार भी यही पेंच फंसा है। सिर्फ कयासबाजी ही लगाई जा रही है कि राज्यसभा और विधान परिषद् के चुनाव में राजा भईया अपनी पार्टी के 2 वोट तो दिए ही, सपा के कई विधायकों से भाजपा के पक्ष में वोट दिलाया था। इसी वजह से राजनीति के जानकार भाजपा और राजा भईया की पार्टी से गठबंधन का कयास लगा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव में जिस तरह समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल चलकर राजा भईया से मिले, उसके राजनीतिक मायने में निकाले गए, परन्तु राजा भईया एक बार सपा को करारा झटका देते हुए भाजपा को लाभ पहुँचाने का कार्य किया।
राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की स्थिति साल-2019 जैसी न हो जाए
लोकसभा चुनाव-2024 के उम्मीदवारों की दूसरी सूची में भाजपा ने उत्तर प्रदेश से कोई उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की तो कयास का दौर अभी भी बना हुआ है। प्रतापगढ़ संसदीय सीट से अधिक कौशांबी संसदीय सीट पर दो बार से लगातार भाजपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित होने वाले विनोद सोनकर के उम्मीदवारी पर अभी संसय बना हुआ है, क्योंकि राजा भईया के पास अब एक सीट कौशाम्बी ही बची है, जिस पर शैलेन्द्र कुमार उम्मीदवार हो सकते हैं। शैलेन्द्र कुमार पूर्व सांसद हैं और साल-2019 के लोकसभा चुनाव में राजा भईया की पार्टी से उम्मीदवार रहे। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इन्हीं शैलेन्द्र कुमार की वजह से राजा भईया ने भाजपा से एक सीट पर समझौता नहीं किया, वर्ना भाजपा प्रतापगढ़ संसदीय सीट राजा भईया को दे रही थी और राजा भईया को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाने की बात पर सहमति बन रही थी, परन्तु बात बनते-बनते बिगड़ गई थी। देखना होगा कि कहीं साल-2019 जैसी स्थिति साल-2024 में भी न हो जाए।
मछलीशहर सीट पर राजा भईया अपनी पार्टी से चुनावी मैदान में उम्मीदवार उतारने के लिए तैयार हो जाते हैं तो भाजपा स्थिति होगी, काफी मजबूत
पूर्व की चर्चाओं पर गौर करें तो प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर अपना दल एस की दावेदारी तय होने की सुगबुगाहट थी, परन्तु अपना दल एस के पूर्व विधायक व प्रतापगढ़ के वर्तमान सांसद संगम लाल गुप्ता के टिकट पर मुहर लगते ही उस दावेदारी का अंत हो गया। अब सिर्फ कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र की सीट बच रही है जिस पर राजा भईया की पार्टी से शैलेन्द्र कुमार उम्मीदवार हो सकते हैं, परन्तु वर्तमान सांसद विनोद सोनकर जो भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और अनुशासन समित के चेयरमैन भी हैं। भाजपा शीर्ष नेतृत्व उन्हें दलित नेता के रूप में स्थापित किया है। इस लिहाज से उनका टिकट काटना मुश्किल दिख रहा है। इस तरह बनते बिगड़ते राजनीतिक समीकरण के बीच राजा भईया के करीबी पूर्व सांसद की दावेदारी पर ग्रहण लग सकता है। यदि जौनपुर की मछलीशहर सीट पर राजा भईया अपनी पार्टी से उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारने के लिए तैयार हो जाते हैं तो भाजपा काफी मजबूत स्थिति में होगी।
यदि राजा भईया और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के बीच बात बनी तो विनोद सोनकर के टिकट में भी हो सकता है, उलटफेर
मछलीशहर और कौशाम्बी संसदीय सीट पर गहन मंथन जारी है। दोनों सीटें आरक्षित हैं। यदि राजा भईया और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के बीच बात बनी तो विनोद सोनकर के टिकट में उलटफेर भी हो सकता है। अन्यथा राजा के करीबी पूर्व सांसद शैलेन्द्र कुमार ही मछलीशहर संसदीय सीट से उम्मीदवार बन सकते हैं। परन्तु अधिक पसंद सीट कौशाम्बी होने की वजह प्रतापगढ़ की कुंडा और बाबागंज विधानसभा पर राजा भईया का साल-1993 से कब्जा है। ऐसे में कौशाम्बी के वर्तमान सांसद विनोद सोनकर कोभाजपा मछली शहर संसदीय सीट से भी उतार सकती है। क्योंकि राजा भईया की पार्टी से गठबंधन हो जाने पर उत्तर प्रदेश में एनडीए और मजबूत होगा। कौशांबी संसदीय सीट पर राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल के वोटबैंक की बड़ी भूमिका है। प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर संगम लाल गुप्ता भी राजा भईया के गठबंधन में शामिल हो जाने पर मजबूत होंगे।
कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र में सांसद विनोद सोनकर की नाराजगी की वजह से मछलीशहर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाने पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कर रहा है, मंथन
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व वर्तमान सांसद विनोद सोनकर की कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र में नाराजगी की वजह से मछलीशहर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाने पर मंथन कर रहा है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को अपनी झोली में डालने के लिए हर हथकंडा अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। वहीं कुर्मी/पटेल/वर्मा विरादरी पर अपनी पकड़ बनाये रखने के उद्देश्य से अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल भी प्रतापगढ़ और कौशाम्बी सीट पर अपना उम्मीदवार चाहती हैं। ऐसे में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सामने सियासी धर्मसंकट खड़ा हो गया है। बदलते-बिगड़ते समीकरण के बीच जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी साल-2019 की तरह अकेले दम पर चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार उतारेगी अथवा भाजपा को वाकओवर देकर मौन रहना राजा भईया बेहतर समझेंगे। प्रतापगढ़ से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक अटकलों का बाजार गर्म है। वहीं प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी वोट साधने के लिए अपना दल एस के दिग्गज नेताओं ने प्लान बना लिया है। इस प्लान में राजा भईया की भूमिका अहम् होगी।