नगरपालिका प्रशासक के पद पर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ पदभार ग्रहण कर की बोर्ड की बैठक, खराब वाटर एटीएम, हैण्डपम्पों को ठीक कराने का प्रशासक ने दिया निर्देश
प्रतापगढ़। नगरपालिका प्रशासक का पद संभालने के बाद मंगलवार को जिलाधिकारी प्रतापगढ़ संजीव रंजन ने सभासदों के साथ बैठक करके उनकी समस्याएं सूनी। डीएम ने बिजली, पानी, बरसात से पहले नालों की सफाई का कार्य और खराब हैण्डपम्पों और वाटर एटीएम ठीक कराने की मांग करने पर डीएम ने तुरंत उसे ठीक कराने के लिए सम्बन्धित अधिकारी को निर्देशित किया है। सभासदों को यह डर सता रहा था कि कहीं प्रशासक की कुर्सी पर एसडीएम सदर न बैठा दिये जाए, नहीं तो सब बंटाधार हो जायेगा। क्योंकि एसडीएम उदय भान सिंह की कार्य प्रणाली किसी से छिपी नहीं है, वह जग जाहिर है। वह नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह से भी चार हाथ आगे हैं।
नपा प्रशासक का पद संभालने के बाद सभासदों के साथ की बोर्ड की बैठक
नगरपालिका में डीएम ने बतौर प्रशासक बोर्ड की पहली बैठक ली है। डीएम ने कहा कि अगर एलईडी लाइट की कमी हो तो 90 वाट की एलईडी क्रय करके सभी खम्बों में लगा दिया जाए। अब डीएम साहेब को कौन बताये कि सबसे अधिक काम नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह बिजली का ही करते थे। क्योंकि उसमें सबसे अधिक कमीशन मिलता था। इसलिए बिजली का कार्य सबसे अधिक कराया जाता था। समस्याओं पर चर्चा के दौरान ही सभासदों ने अपने-अपने मुद्दे रखे, जिसे प्रशासक महोदय ने बहुत ही तन्मयता से सुना और समझा, फिर जाकर सम्बन्धित को निर्देशित किया।
सभासदों ने कार्यवाही रजिस्टर तलब करने की उठाई मांग
इसी बीच सभासद मोहम्मद अख्तर, उमेश चन्द्र, त्रिलोचन, मुहिबुल आरफीन ने डीएम को ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही रजिस्टर तलब करने की मांग की है। सभासदों का आरोप है कार्यवाही रजिस्टर में हेरफेर करके वित्तीय अनियमितता की गई है। इसलिए उसे सार्वजानिक किया जाए, ताकि वास्तविक स्थिति से नगर क्षेत्र की जनता भी वाकिफ हो सके। नगरपालिका के प्रशासक के रूप में जिलाधिकारी प्रतापगढ़ संजीव रंजन के ब्यवहार और कार्य पद्धति से सभासद खुश नजर आये, क्योंकि अध्यक्ष रहे हरि प्रताप सिंह सभासदों को दबाकर रखते थे और जो उनके भ्रष्टाचार में रोड़ा बनता था, उसके वार्ड में कोई कार्य नहीं होने देते थे। ये नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह की आदत में शुमार था।
ख़राब वाटर एटीएम, हैण्डपम्पों को ठीक कराने का प्रशासक ने दिया निर्देश
साल-1995 से नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ पर हरि प्रताप सिंह का 22 मई, 2024 तक कब्ज़ा रहा। वित्तीय अनियमितता और पद के दुरूपयोग में हरि प्रताप सिंह को शासन ने दो बाद पद से बर्खास्त किया था और उस दौरान अध्यक्ष के पद पर प्रशासक बैठाया गया था। साल- 2005 व साल 2011 व साल- 2017 और साल- 2022 में चुनाव नियत समय पर न होने की दशा में भी कार्यकाल खत्म हो जाने पर नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ के अध्यक्ष पद पर शासन स्तर से प्रशासक बैठाया गया था। शेष कार्यकाल में 5 बार वह स्वयं और एक बार उनकी पत्नी प्रेमलता सिंह नगरपलिका के अध्यक्ष पद पर विराजमान रही और जमकर नगरपलिका के कोष को लूटकर मालामाल हो गए।
नगरपालिका के अभिलेखागार से गायब पत्रावलियां क्या प्रशासक वापस करा सकेंगे
नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ में वर्तमान में कर्मचारियों का अकाल सा हो गया है। पुराने सभी कर्मचारी एक एक करके रिटायर होते गए और नई नियुक्ति नहीं हो सकी। वह तो हरि प्रताप सिंह अपने पहले कार्यकाल में शासन से रोक के बावजूद धन लेकर 22 कर्मचारियों की नियुक्ति धुप्पल में कर लिया और शासन सहित हाईकोर्ट को गुमराह किया कि 22 कर्मचारी इन्दू आवास योजना के तहत उन्हें हैण्डओवर किये गए हैं, जबकि इन्दू आवास विकास के दफ्तर से लिखकर हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया जा चुका है कि उनके द्वारा नगरपालिका को कोई कर्मचारी हैण्डओवर नहीं किये गए थे। यदि 22 कर्मचारी को नगरपालिका ने रखा है तो वह स्वयं उसकी जवाबदेह है।
इंदु आवास विकास के नाम पर 22 कर्मचारियों की फेंक नियुक्ति को अब कौन करेगा मैनेज, क्या बर्खास्त होंगे ये कर्मचारी ?
हरफन में माहिर हरि प्रताप सिंह अपने सारे कुकृत्यों को हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर के सहारे चलाते रहे और शासन सत्ता को मिलाकर अपना कार्यकाल पूर्ण किये वगैर कार्यकाल को अधूरा छोड़ गए, जबकि हाल ही में उनका हाईकोर्ट से स्थगन आदेश रद्द कर दिया गया और उन पर करोड़ों रूपये की वसूली का दायित्व भी शेष है। देखना यह होगा कि इस करोड़ों रूपये की वसूली सरकार स्वर्गीय हरि प्रताप सिंह से कैसे करती है ? उनके द्वारा अर्जित अरबों रूपये की संपत्तियों से किस प्रकार से वसूलती है ? पैसे के दम पर हरि प्रताप सिंह अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को शासन स्तर से रोकवा रखा था और जाँच को प्रभावित करने के लिए हाईकोर्ट का सहारा लेते रहे।
नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह से करोड़ों रूपये के रिकवरी किस तरह होगी वसूल
सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ के अभिलेखगार से गायब सैकड़ों पत्रावलियां क्या हरि प्रताप सिंह की मृत्यु के बाद उनके घर से वापस नगरपालिका के अभिलेखागार में दाखिल दफ्तर होगी ? दाखिल खारिज की भी सैकड़ों पत्रावलियां आज भी नगरपालिका कार्यालय में काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिल सकी हैं। क्या नगरपालिका प्रशासक संजीव रंजन नगरपालिका की गायब पत्रावालियों को वापस मंगाकर नगरपालिका के अभिलेखागार में रखवाने का कार्य करेंगे अथवा समय पास करके चलता बनेगें ? फ़िलहाल यह तो भविष्य तय करेगा, परन्तु प्रतापगढ़ नगरपालिका की जनता को एक बार फिर से उम्मीद जगी है कि इस बार गायब पत्रावलियां मिल जायेंगी।