एसडीएम सदर के नियम विरुद्ध आदेश पर डीएम खफा, अनुचित आदेश सुधारकर अवगत कराने का दिया निर्देश
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही उल्लू काफ़ी था,
हर शाख़ पे उल्लू बैठा है अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा ?
मशहूर शायर शौक बहराइचवी द्वारा कहा गया व्यंगात्मक शेर है जो वर्तमान में प्रतापगढ़ के सदर एसडीएम उदय भान सिंह पर एकदम फिट बैठ रहा है। ये बात खुलासा इंडिया यूं ही नहीं कह रहा है। इसके कहने के पीछे कई तथ्यात्मक कारण है। अभी कुछ दिन पहले सिविल जज प्रतापगढ़ राकेश चौरसिया जी ने उप जिलाधिकारी पर तीन हजार रूपये का अर्थदंड लगाया और वेतन से काटने का आदेश जारी किया है। अभी उसका दर्द खत्म नहीं हुआ था कि जिलाधिकारी प्रतापगढ़ संजीव रंजन जी ने एसडीएम सदर उदय भान सिंह से एक मुकदमें में पुनर्विलोकन करने के मामले में सवाल जवाब किया है और दो विन्दुओं पर सवाल पूंछा है। पहले विन्दु में सवाल किया है कि क्या आपको REVIW पुनर्विलोकन करने का अधिकार प्राप्त है ? साथ ही दूसरे विन्दु में कहा है कि कृपया अपने अनुचित आदेशों को सुधार करें एवं अवगत कराएं। जिलाधिकारी के सवाल में निर्देश भी जारी है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा है कि कृपया अपने अनुचित आदेशों को सुधर करें एवं अवगत कराये। इतने से ही SDM को शर्म से डूब मरना चाहिए।
एसडीएम सदर नियम-कानून को ताक पर रखकर स्वयं जिला जज के अधिकार को लात मारकर अपने ही विधिक आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाकर स्वयं को सवालों के घेरे में कर लिया है, खड़ा
उक्त आदेश जिलाधिकारी प्रतापगढ़ ने राम बिहारी सिंह पुत्र स्व रघुनाथ सिंह निवासी-पुराना माल गोदाम रोड़, सहोदरपुर पश्चिमी, थाना-कोतवाली नगर, जनपद- प्रतापगढ़ के उस प्रार्थना पत्र पर दिया जो उन्होंने दिनांक- 13/03/2024 को जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया था। राम बिहारी सिंह का आरोप है कि उप जिलाधिकारी सदर, प्रतापगढ़ के न्यायालय में अंतर्गत धारा- 145 सीआरपीसी कुर्की में विधि सम्मत पारित आदेश आदेश दिनांक-20/10/2023 के विरुद्ध अविधिक रूप से बिना विधिक पक्षकार बने तीसरे पक्ष विजय सिंह के अधिवक्ता द्वारा दिनांक-15/01/2024 को उपरोक्त वाद में अविधिक रूप से वाज दायरा प्रार्थना पत्र देकर पूर्व में निर्गत आदेश दिनांक-20/10/2023 के विरुद्ध उसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की याचना की थी। मौकापरस्त एसडीएम सदर नियम-कानून को ताक पर रखकर स्वयं जिला जज के अधिकार को लात मारकर अपने ही विधिक आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाकर स्वयं को सवालों के घेरे में खड़ा कर लिया है।
प्रमोटी उप जिलाधिकारी को इतना भी ज्ञान नहीं कि वह अपने विधि सम्मत पूर्व पारित आदेश में REVIW यानि पुनर्विलोकन का अधिकार रखते हैं अथवा नहीं
मजेदार पहलू यह है कि रिटायरमेंट के नजदीक पहुँचे एक प्रमोटी उप जिलाधिकारी को इतना भी ज्ञान नहीं कि वह अपने विधि सम्मत पूर्व पारित आदेश में REVIW यानि पुनर्विलोकन का अधिकार रखते हैं अथवा नहीं। सीआरपीसी की धारा-145 की कार्यवाही के सम्बन्ध में स्पष्ट है कि यदि उप जिला मजिस्ट्रेट विधि सम्मत आदेश कर देते हैं तो उसके विरुद्ध जिला जज के न्यायालय में अपील करने का विधान है न कि उप जिला मजिस्ट्रेट उस पर REVIW यानि पुनर्विलोकन का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर अपने ही द्वारा पारित पूर्व के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दे। बिना पक्षकार बने विजय सिंह को अनुचित लाभ देते हुए उनके अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत REVIW पुनर्विविचार प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर अपने कुर्क के आदेश के क्रियान्वयन को पर रोक लगा दिया और अज्ञात ब्यक्तियों को नोटिस जारी कर दिया है। ऐसा करके उप जिलाधिकारी सदर, प्रतापगढ़ उदय भान सिंह अपनी साख और अपनी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगवा लिए हैं। यह कृत्य अदालत की गरिमा को भी दागदार बना दिया है।
उप जिला मजिस्ट्रेट सदर उदय भान सिंह 50 फीसदी आदेश में संशोधन आदेश करते हैं, जो इनकी विद्वता प्रमाणित करता है
प्रतापगढ़ के सदर एसडीएम उदय भान सिंह पर यह कोई पहला आरोप नहीं है। दिनांक- 17/07/2023 से सदर तहसील में उप जिला मजिस्ट्रेट का पदभार ग्रहण करने के पश्चात राजस्व और फौजदारी के सैकड़ों मामले ऐसे निस्तारित किये गए हैं। एक बार वादी से प्रभावित होकर उसके पक्ष में आदेश करना और दूसरी बार वाज दायरा लेकर प्रतिवादी को लाभ दिलाने के लिए अपने पूर्व पारित आदेश को स्थगित कर देना एसडीएम उदय भान सिंह की नियत बन गई है। 50 फीसदी आदेश में संशोधन आदेश करना इनकी विद्वता को प्रमाणित करता है। जिलाधिकारी प्रतापगढ़ संजीव रंजन जी पता नहीं किस मोह में सदर जैसी तहसील में इन्हें पोस्ट कर रखा है, जबकि जिले में डायरेक्ट पीसीएस अफसर भी हैं। अभी दो नए पीसीएस अफसर आये जिन्हें लालगंज और पट्टी में तैनात किया गया। परन्तु उदय बहन सिंह को सदर तहसील से नहीं हटाया गया। आज केन्द्रीय निर्वाचन आयोग नई दिल्ली द्वारा लोकसभा चुनाव-2024 की अधिसूचना जारी किया गया है। इस तरह इनका तवादला चुनाव संपन्न होने तक नहीं किया जा सकता। हाँ, केन्द्रीय चुनाव आयोग भले ही इन्हें हटा दे।