प्रतापगढ़ ग्राम प्रधान और पंचायत विभाग के अधिकारियों के गठजोड़ से गरीबों का आशियाना चढ़ गया भ्रष्टाचार की भेंट
प्रतपगगढ़। केंद्र की मोदी सरकार और सूबे की योगी सरकार भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने का लाख दावा भले ही कर ले, परन्तु उसे धरातल पर उतार पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन सा लगने लगा है। जनपद प्रतापगढ़ में कुल 17 विकास खंड हैं। सभी विकास खंडों में भ्रष्टाचार का जिन्न आतंक मचाये है। सबसे अधिक चौदहवें और पंद्रहवें वित्त में आने वाले धन में विकास खण्ड अधिकारियों से लेकर पंचायत सेक्रेटरी और प्रधानों द्वारा सभी योजनाओं में डकैती डाली जा रही है। पंचायत सेक्रेटरी और प्रधान जी कहते हैं कि पैसा तो जिले पर बैठे अधिकारी भी माँगते हैं। बिना उन्हें खिलाये हम एक रुपये नहीं हजम कर सकते। ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार ने अपना ऐसा पैर पसार लिया है कि वह अपना पैर समेटने के लिए तैयार नहीं है। सबको रिश्वत चाहिए। रिश्वत चाहने वाले उसके ऐसे वशीभूत हो चुके हैं कि उन्हें रिश्वत के आगे कुछ दिखाई ही नहीं देता। वह दिन रात्रि रिश्वत के पीछे पागल हो चुके हैं। उन्हें अपने नैतिक पतन से कोई लेनादेना नहीं रहता। धन मिलना चाहिए वह किसी भी रूप में मिले।
इन दिनों जनपद प्रतापगढ़ में मंगरौरा ब्लॉक में विकास खण्ड अधिकारी द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो उन्हें सत्तापक्ष नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। जिससे वह भ्रष्टाचार की गंगा में जमकर डुबकी मार रही हैं। एडीओ पंचायत और पंचायत सेक्रेटरी इनके कमाई के अंग हैं। आईये समझते हैं कि ये सब किस तरह और किस हद तक सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में घपले और घोटाले करते हैं। ताज़ा मामला है विकास खंड के इटवा ग्रामसभा का जहां भ्र्ष्टाचार की गंगा बहती नजर आ रही हैं। इटवा ग्रामसभा में वर्ष- 2020 से लेकर वर्ष- 2022 तक जो आवास आवंटित किए गए, उसमें व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। पिता-पुत्री व पति पत्नी को आवास आवंटित किया गया है। क्या ऐसा संभव है कि एक ही घर में पिता-पुत्री और पिता-पुत्र को प्रधानमंत्री आवास दिया जा सके, जबकि उसके पास पहले से ही पक्का आवास निर्मित हो।
ऐसा आरोप गाँव के ही रुद्रमणि उपाध्याय ने मुख्यमंत्री सहित जिले के आला अधिकारियों को शिकायती पत्र भेजकर लगाया है कि इटवा ग्रामसभा के निवासी रामधन व शीला देवी पिता व पुत्री हैं।शीला देवी विवाहित हैं और अपने बच्चों के साथ ससुराल में रहती हैं, विवाहिता पुत्री को पिता के गाँव में आवास देना नियम विरुद्ध है। वहीं राम खेलावन व उनकी पत्नी बलवंती को भी आवास आवंटित किया गया है जो की नियम विरुद्ध है। ऐसा इसलिये किया जाता है ताकि अपात्र ब्यक्ति जो धनवान होता है उसका चयन करते ही वह प्रधान सहित पंचायत सेक्रेटरी को मनचाही रकम को अदा कर देता है। पैसा वसूलने के चक्कर में अपत्रोंन को मनमाने तरीके से चयनित करके पीएम आवास आवंटित किया जाता है। इस खेल में ब्लॉक स्तर से लेकर गाँवसभा तक नेटवर्क फैला हुआ है। किसी की हिम्मत नहीं कि कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर सके। अब रुद्रमणि उपाध्याय अपनी आवाज बुलंद किये हैं। उनका कहना है कि यदि मुख्यमंत्री जी इस भ्रष्टाचार की जाँच नहीं कराते हैं तो वह इस प्रकरण को जनहित याचिका के माध्यम से माननीय हाईकोर्ट के समक्ष ले जाकर भ्रष्टाचारियों को दंड दिलाने का कार्य करेंगे।
हद तो तब हो गई जब पीएम आवास की गाइडलाइंस को दरकिनार करते हुए दूसरे मंजिले पर पीएम आवास बन जाता है और अधिकारियों के पास करने के बाद उसकी सारी किस्तें रिलीज कर दी जाती हैं। ऐसा ही एक मामला शिकायत कर्ता रुद्रमणि उपाध्याय द्वारा उठाया गया है। इटवा गाँव की तैमुलनिशा पत्नी इम्मतियाज अली को भी पीएम आवास दिया गया है, जिनके पास पहले से ही पक्का मकान था। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास का निर्माण दूसरे तल पर कराया है। रुद्रमणि उपाध्याय द्वारा आई सहित मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है। इस भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तो की ही गई है, साथ ही साथ इसकी प्रतिलिपि मुख्य सचिव ग्राम्य विकास, जिलाधिकारी प्रतापगढ़, मुख्य विकास अधिकारी प्रतापगढ़, जिला पंचायत राज अधिकारी प्रतापगढ़ को भी प्रेषित की गई है। अब इस शिकायत पर मुख्यमंत्री सहित आला अफसरों के कान में जूं रेंगती है या नहीं। क्योंकि मंगरौरा विकास खण्ड पर तैनात खण्ड विकास अधिकारी की पकड़ और रसूख इतना तगड़ा है कि सामान्यतः आम नागरिकों की शिकायत पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो प्रधानमंत्री आवास में अपात्रों को नियम विरुद्ध पात्र बनाकर उनसे धन वसूल कर बंदरबांट किया जा रहा है।