पश्चिमी उत्तर प्रदेश को डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा ने जाट नेता भूपेंद्र चौधरी को बनाया यूपी का प्रदेश अध्यक्ष

भूपेंद्र चौधरी भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष, पश्चिम के बड़े जाट नेता, संघ और सुनील बंसल के करीबी और संगठन पर अच्छी पकड़ की वजह से प्रदेश अध्यक्ष की मिली कमान, निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव की होगी अहम् जिम्मेवारी…

लखनऊ। भूपेंद्र चौधरी को यूपी भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। पश्चिम यूपी के बड़े जाट नेता भूपेंद्र चौधरी योगी सरकार में पंचायती राज्य मंत्री हैं। 31 साल से भाजपा से जुडे़ भूपेंद्र चौधरी संघ की भी पसंद है। सिर्फ यही नहीं, यूपी के पूर्व संगठन महामंत्री सुनील बसंल के भी करीबी हैं। दैनिक भास्कर ने एक दिन पहले ही भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबर ब्रेक की थी। भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने 2024 की जीत के लिए यूपी में जाट कार्ड खेल दिया है। मुरादाबाद के रहने वाले MLC भूपेंद्र चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने का बड़ा कारण वेस्ट यूपी की उन 7 लोकसभा सीटों को जीतना है जिन्हें 2019 के चुनाव में भाजपा ने गंवा दिया था। भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है। उनकी पत्नी निशि (ग्रीन कलर) ने कहा कि यह उनके पति की लंबे समय की तपस्या का परिणाम है।

विधान परिषद सदस्य और जाट नेता चौधरी भूपेन्द्र सिंह अब स्वतंत्र देव सिंह की जगह लेंगे। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने गुरुवार 25 अगस्त, 2022 को भूपेन्द्र सिंह को भाजपा उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया है। भूपेन्द्र सिंह को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार को नई दिल्ली बुलाया था। इसके बाद से ही उनके इस पद पर आसीन होने की अटकलें लगने लगी थीं। भपेन्द्र सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही रुहेलखंड क्षेत्र की राजनीति में काफी सक्रिय हैं। इन्होंने साल 1989 में भाजपा सदस्यता ली थी। इसके बाद से ही पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में लगे रहे। धीर-गंभीर स्वाभाव के भूपेन्द्र सिंह का विवादों से कोई नाता नहीं है। पार्टी लाइन पर चलने वाले चौधरी भूपेन्द्र सिंह को भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले अमित शाह का करीबी माना जाता है। 

भूपेन्द्र सिंह का ब्यक्तित्व…

  • भूपेंद्र सिंह का जन्म मुरादाबाद की कांठ तहसील के गांव महेंद्री सिकंदरपुर में तीन जून, 1967 को किसान परिवार में हुआ।
  • प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल से हुई। 12वीं तक पढ़ाई उन्होंने आरएन इंटर कालेज मुरादाबाद में की।
  • बीए प्रथम वर्ष हिंदू कालेज मुरादाबाद से की।
  • राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1989-90 में भाजपा से जुड़े। इस दौरान कई बार जेल भी गए।
  • 1990 जिला अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद मुरादाबाद रहे।
  • 1993 में भाजपा जिला कार्य समिति में सदस्य बनाए गए।
  • 1994 में जिला कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष बने और फिर साल 1995 में जिला महामंत्री, भारतीय जनता पार्टी मुरादाबाद रहे।
  • 1996 से 2000 जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मुरादाबाद रहे।
  • 1999 में सम्भल संसदीय सीट से मुलायम सिंह के मुकाबले चुनाव लड़े, हालांकि जीत नहीं सके।
  • 2000 में विभाग संयोजक और साल 2007 में क्षेत्रीय मंत्री बनाए गए।  
  • 2007-2011 भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय मंत्री पश्चिम उत्तर प्रदेश रहे।  
  • 2009 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में मुरादाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा, पर जीत नहीं पाए।
  • 2010 से 2018 तक वह चार बार भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय अध्यक्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश रहे।
  • 2016 में उन्हें विधान परिषद भेजा गया, 6 जुलाई, 2022 को कार्यकाल पूरा होने पर दोबारा विधा्नपरिषद निर्वाचित हुए।
  • 2017 के चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया।
  • 2017 में योगी सरकार बनने पर पर पंचायती राज राज्य मंत्री बनाए गए। साल 2019 में इसी विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। मौजूदा सरकार में 25 मार्च, 2022 कैबिनेट मंत्री पंचायती राज विभाग उत्तर प्रदेश की शपथ लिए थे। 

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता भी रहे… 

वर्ष-2017 में पहले-पहल योगी सरकार में पंचायती राज विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने थे। इसके साथ ही वह लोक निर्माण विभाग के राज्यमंत्री भी थे। वर्ष-2019 में लोकसभा चुनाव के बाद चौधरी को प्रमोट कर पंचायती राज विभाग का ही कैबिनेट मंत्री बनाया गया। चौधरी उन गिने-चुने मंत्रियों में हैं जो योगी सरकार 2.0 में भी पंचायती राज विभाग के ही फिर कैबिनेट मंत्री बने। चौधरी भूपेन्द्र सिंह ने विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता के रूप में भी काफी काम किया है।

भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे क्या है,पूरा प्लान…?

1-वेस्ट यूपी में बड़ा जाट दांव, नजर 2024 पर…

भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने यूपी में जाट कार्ड खेल दिया है। मुरादाबाद के जाट नेता और MLC भूपेंद्र चौधरी को अध्यक्ष बनाने का बड़ा कारण वेस्ट यूपी की वो 7 लोकसभा सीटों को जीतना है जिन्हें 2019 के चुनाव में भाजपा ने गंवा दिया था। 2019 में भाजपा से जाट आरक्षण को लेकर नाराज था। इस बार जाटों की ये नाराजगी कृषि कानूनों को लेकर है। हालिया विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा इसका झटका झेल चुकी है। कृषि कानून वापस लेने के बावजूद किसानों और जाटों का वोट भाजपा से घटा है। उप राष्ट्रपति पद पर जाट चेहरा लाना, अब प्रदेश अध्यक्ष जाट बनाने के पीछे भाजपा का मकसद उस डैमेज को कवर करना है।

2- सतपाल मलिक का विकल्प तैयार करना…

पश्चिमी यूपी के जाट नेताओं में मेघालय के गर्वनर सतपाल मलिक की आज भी पकड़ है। वो बागपत के रहने वाले हैं। मलिक अक्सर किसानों के मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशान साधते रहते हैं। ऐसे में भूपेंद्र के जरिए पश्चिमी यूपी में जाट नेताओं का एक विकल्प खड़ा करना भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की बड़ी प्लानिंग है। लंबे समय से जाट नेताओं के बीच जाट आंदोलन, जाट सम्मेलन में भूपेंद्र चौधरी भाग लेते रहे हैं। यूपी में जाट आबादी 6 से 8% है। जबकि पश्चिम यूपी में यह 17% के करीब है। 20 से 25 लोकसभा सीटों पर जाट वोट बैंक का सीधा असर है।

3- संगठन और सरकार में अनुभव…

1999 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़कर भूपेंद्र चौधरी ने खुद को साबित किया था। संगठन के साथ काम करने का भूपेंद्र चौधरी का अच्छा अनुभव है। जिसका 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा मिलेगा। भूपेंद्र चौधरी कभी विवाद में नहीं रहे हैं। संघ और संगठन भाजपा के साथ भी काम करते रहे हैं। भूपेंद्र चौधरी पश्चिम बेल्ट में किसानों के नेता कहे जाते हैं। जमीन से जुड़े नेता की छवि वाले भूपेंद्र किसान आंदोलन के वक्त भी सक्रिय रहे थे।

4- सुनील बंसल के करीबी हैं,भूपेंद्र चौधरी…

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जी, संगठन महामंत्री रहे सुनील बंसल के करीबी माने जाते हैं। बंसल और चौधरी प्रदेश भाजपा के संगठन में अपनी पकड़ अभी भी बनाए रखना चाहते हैं। केंद्रीय नेतृत्व भी चाहता है कि सुनील बंसल की जिम्मेदारी में उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष कार्य करते रहे। जिसे पुराने किए गए सभी कार्य और समीक्षा का भी फैसला निर्णय तत्कालीन अध्यक्ष ले सके। चौधरी संघ से जुड़े होने की वजह से संगठन में अच्छी पकड़ रखते हैं।

5- सपा-आरएलडी और कांग्रेस का प्लान फेल करना…

भूपेंद्र चौधरी किसान जाट परिवार से आते हैं। सपा-आरएलडी और कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मजबूत पकड़ को तोड़ने का ये गेम प्लान है। बीते दिनों अखिलेश यादव ने आरएलडी प्रमुख को राज्यसभा भेजकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, किसान, मुसलमान और यादव की एकता को मजबूत रखने का प्रयास किया था। मुरादाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजकर कांग्रेस मुसलमान और पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी मजबूत पकड़ करना चाहती है। ऐसे में संजीव बालियान केंद्रीय राज्यमंत्री के बाद भूपेंद्र चौधरी को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर कद बढ़ाया जा रहा है। इससे जाट और किसान में भरोसा बनाए रखने में भाजपा कुछ हद तक सफल हो सकती है।

6- सरकार पर “संगठन” का दबाव…

17 अगस्त को केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट किया था ‘सरकार से बड़ा संगठन है!’। इसके बाद से उत्तर प्रदेश की सरकार और भाजपा की राजनीति में खलबली मच गई। राजनीतिक जानकार मानते है कि भूपेंद्र चौधरी को यूपी का अध्यक्ष बनाकर केंद्रीय नेतृत्व सरकार को एक बड़ा संदेश देना चाहता है कि सरकार से संगठन सच में बड़ा है। भूपेंद्र चौधरी की कार्यशैली संगठन की तरफ ज्यादा रही है।

7-त्यागी, किसान गठजोड़ की आशंका…

नोएडा में श्रीकांत त्यागी प्रकरण के बाद त्यागी समाज में पहले ही भाजपा को लेकर उबाल है। वेस्ट यूपी के त्यागी अब पार्टी के बजाय बिरादरी को तवज्जो दे रहे हैं। त्यागी महापंचायत में उमड़ी भारी भीड़ में इसका ट्रेलर दिखाया जा चुका है। अधिकांश त्यागी किसान हैं। ऐसे में भाजपा से नाराज त्यागी अगर चुनाव से पहले पार्टी से छिटक गए तो वेस्ट यूपी का किला भेदना भाजपा के लिए टेढ़ी खीर होगी। इसलिए पार्टी जाटों को साधना चाहती है। ताकि त्यागी वोट बैंक जाने से जो नुकसान हो उसकी भरपाई हो सके।

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