मदाफरपुर से चिलबिला रोड़ पर देवकली नहर के पुल के बीच नहर के किनारे प्राथमिक स्कूल एवं पूर्व माध्यमिक स्कूल के बच्च्चों के जीवन से खिलवाड़ करते हुए अवैध खनन कर भूमाफियाओं ने बेंच ली मिट्टी
योगी सरकार में नहीं थम रहा अवैध खनन, खनन माफियाओं के आगे खनन विभाग, जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस दिखती है, वेवश…
प्रतापगढ़। पट्टी तहसील में खनन माफियाओं ने सरकारी भूमि चारागाह और खेल के मैदान हेतु संरक्षित होने के बाद भी उसकी मिट्टी जेसीबी मशीन से खोदकर रात्रि में ट्रैक्टर और डम्फर से लोड करके बेंच डाली। यह भूमि चिलबिला मदाफरपुर मार्ग पर मदाफरपुर से देवकली नहर के पुल के बीच नहर के किनारे प्राथमिक स्कूल एवं पूर्व माध्यमिक स्कूल मदाफरपुर के बगल स्थित हैं। जबकि मदाफरपुर चौराहे पर पुलिस चौकी स्थापित है और पुलिस की सह पर यह खनन किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि एक रात्रि की खोदाई के लिए 2000 हजार रुपये पुलिस चौकी को खनन माफिया द्वारा दिया जाता है। यदि UP112 की गाड़ी आ जाती है तो उसे भी 500 रुपये प्रति रात्रि खनन करने के लिए दिया जाता है। यानि पुलिस की सहमति पर क्षेत्र में खनन का कार्य किया जाता है। सराय रजई और अतरसण्ड में तो दिन में ही बिना रोक टोक खनन किया जाता है।
ग्राम प्रधान मदाफरपुर बिपिन जायसवाल उर्फ सोनू हैं। जिनके ऊपर गाँजा तस्करी के सरगना होने का मुकदमा लिखा गया था। तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा करने का भी आरोप है। अब उनके ग्राम में अवैध खनन का कार्य किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो यह अवैध खनन भी ग्राम प्रधान कराकर मिट्टी बेंचने का कार्य करते हैं। पुलिस को भी वही मैनेज करते हैं। ग्राम प्रधान सोनू जायसवाल का सम्बंध पूर्व मंत्री मोती सिंह और प्रतापगढ़ सांसद संगम लाल गुप्ता से भी हैं। इन दोनों नेताओं के दम पर ग्राम प्रधान सोनू जायसवाल सारे अवैध कार्य करते हैं। सच यह भी है कि सांसद प्रतापगढ़ संगम लाल गुप्ता और पूर्व मंत्री मोती सिंह अपना संरक्षण प्रदान कर इन्हें जीवनदान दिए हैं। यदि इनका संरक्षण न मिला होता तो गाँजा तस्करी में ही सोनू जायसवाल जेल में चक्की पीसते रहते। क्योंकि सोनू जायसवाल पुलिस के रिकार्ड में तस्करों का सरगना था।
अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है। बकायदा प्रत्येक जनपद में शासन स्तर से खनन विभाग स्थापित किया जाता है जिसका मुखिया मुख्य राजस्व अधिकारी होता है। खनन इंस्पेक्टर की भी तैनाती की जाती है। खनन इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी होती है कि वह क्षेत्र में अवैध खनन पर रोक लगाए। जिला प्रशासन की मदद के लिए तहसील प्रशासन में उप जिलाधिकारी और तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानून गो और हल्का लेखपाल के कंधों पर भी अवैध खनन न किये जाने की जिम्मेदारी होती है। यदि स्थानीय पुलिस पैसा लेकर अवैध खनन कराती है तो यक्ष प्रश्न यह है कि खनन विभाग, जिला प्रशासन एवं तहसील प्रशासन सहित ग्राम प्रधान क्या करते हैं ? यदि अवैध खनन किया जा रहा है तो सभी जिम्मेदारों की जवाबदेही बनती है। इसका आशय तो यही है कि इस अवैध खनन में सभी हिस्सेदार हैं।