Pilibhit Lok Sabha Seat : कांग्रेस से BJP में आते ही जितिन प्रसाद का कद बढ़ा था, MLC से मंत्री और अब पीलीभीत संसदीय सीट से संसद जाने की तैयारी
- लोकसभा चुनाव- 2024 के लिए भाजपा ने रविवार को उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट जारी की। यूपी के लिहाज से देखें तो यह राज्य की दूसरी लिस्ट थी। इस लिस्ट में बीजेपी ने पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी को टिकट न देकर उ. प्र. सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बना दिया।
एक वक्त ऐसा था, जब जितिन प्रसाद जी कांग्रेस के युवराज एवं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के किचेन कैबिनेट में उनकी गिनती होती थी। साल-2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के सबसे खास रहे जितिन प्रसाद को उनकी मनपसन्द सीट से टिकट काट दिया गया, जिसके बाद उनकी नाराजगी बढ़ गई। अपने अंदाज में उन्होंने राहुल गांधी से नाराजगी भी जताई थी। भाजपा के चाणक्य अमित शाह पहले से इस फ़िराक में थे कि जितिन प्रसाद यदि कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा में आना चाहते हो तो उनके लिए दरवाजा खुला है।
भाजपा के चाणक्य अमित शाह और पीएम मोदी यह चाहते थे कि कांग्रारेस में जो अच्छे नेता हैं, जिनमे कार्य करने की दृढ इच्छाशक्ति है, उन्हें एन-केन-प्रकारेन भाजपा में शामिल कर कांग्रेस मुक्त का नारा सफल बनाएं और राहुल गांधी के हाथ को कमजोर करें। जितिन प्रसाद ने भाजपा में जाने का मन बनाया, परन्तु उनकी योजना लीक हो गए और जाने से पहले राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा जितिन प्रसाद से उनके आवास मिलने पहुँच गई। उस समय उनके सारे गीले शिकवे खत्म कर उन्हें मना लिया गया और भाजपा में जाने से रोक लिया गया।
कांग्रेस में राहुल गांधी के सबसे करीबियों को भाजपा में शामिल ही नहीं किया गया, बल्कि उन्हें अहम् पद भी दिए गए
उस वक्त जितिन प्रसाद कांग्रेस में बने रहे। भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिलाया और कमलनाथ की सरकार गिराकर सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में शामिल कर लिया और उन्हें राज्य सभा भेज दिया, फिर मोदी कैबिनेट में शामिल कर यह सन्देश दिया कि भाजपा में अच्छे नेताओं का स्वागत है और उन्हें उनकी काबिलियत के हिसाब से पद और मान सम्मान दिया जायेगा। फिर जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह को शामिल किया गया। राजस्थान में सचिन पायलेट को भी साधा गया। पर वहां बात बनते-बनते बिगड़ गई।
इस तरह के राहुल गांधी के सभी पिलर को गिरा दिया गया। जितिन प्रसाद की बीजेपी में ज्वाइनिंग के बाद से ही महत्व दिया गया। पार्टी ने उन्हें पहले विधान परिषद भेजा, फिर योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के सबसे सबसे अहम एवं मन पंसदीदा मंत्रालय पीडब्लूडी को उनसे छीनकर कांग्रेस से आयातित को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। यूपीए सरकार में जितिन प्रसाद ने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली थी। जितिन प्रसाद के कार्य से पीएम मोदी उस उस समय बहुत प्रभावित हुए थे, जब वह गुजरात के सीएम हुआ करते थे। हालांकि साल 2021 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।
जितिन प्रासद का ऐसे रहा सियासी सफर
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पैदा हुए 51 साल के जितिन प्रसाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस के दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं। जितिन प्रसाद ने अपना राजनीतिक करियर साल 2001 में कांग्रेस के युवा संगठन यूथ कांग्रेस के साथ महासचिव के तौर पर शुरू किया था। साल- 2004 में उन्होंने अपने गृह जिले शाहजहांपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। जितिन प्रसाद को कांग्रेस सरकार में इस्पात राज्य मंत्री बनाया गया था। साल- 2009 में उन्होंने धौरहरा से चुनाव लड़ा। उन्होंने दो लाख मतों से जीत हासिल किया।
यूपीए सरकार के दौरान जितिन प्रसाद ने कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। एक साल तक इस्पात मंत्रालय संभालने के बाद वे साल- 2009 से साल- 2011 तक वो सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे। साल- 2011-12 में उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी। साल-2012-14 तक जितिन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री भी रहे। जितिन प्रसाद अपनी पीढ़ी के तीसरे नेता हैं, इससे पहले उनके दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस पार्टी के नेता रहे और स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभा तक कांग्रेस के नेतृत्व का किया। इसके साथ ही उनके जितेंद्र प्रसाद भी कांग्रेस में बड़े नेता रहे। उनके पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार रहे।