नायब तहसीलदार सिटी आनंद यादव के साथ मारपीट करने वाले अधिवक्ता रमन जायसवाल के विरुद्ध कोतवाली नगर पुलिस नहीं लिख रही FIR…
सरकारी कार्य में बाधा डालने, सरकारी अभिलेख फाड़ने दलित कर्मचारी को जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने, निर्वाचन जैसे राष्ट्रीय महत्व के कार्य को प्रभावित करने, कार्यालय में मजिस्ट्रेट के ऊपर हमला करने के बावजूद कोतवाली नगर की पुलिस पर नहीं हुआ असर, नहीं दर्ज किया मुकदमा…
प्रतापगढ़। योगी के रामराज में अधिकारी भी सुरक्षित नहीं हैं। उनके लिए अपने दफ्तर में काम करना भी मुश्किल हो गया है। चार दिन पहले सदर तहसील में सारे अधिकारी मौजूद थे और सबकी मौजूदगी में अपने काम से खिन्न होकर एक अधिवक्ता आता है और प्रथम तल पर स्थित आईजीआरएस/निर्वाचन कार्यालय पहुँचता है। वहाँ पहुँचते ही अधिवक्ता रमन जायसवाल, कुर्सी पर बैठे नायब तहसीलदार सिटी आनंद यादव को भद्दी-भद्दी गालियां देने लगा। मना करने पर वह नायब साहेब का कॉलर पकड़ कर उन्हें कुर्सी से गिराने का प्रयास किया और उनके साथ मारपीट की। नायब तहसीलदार सिटी आनंद यादव के साथ कर्मचारी जब अधिवक्ता रमन जायसवाल को छुड़ाने का प्रयास किया तो वह कर्मचारियों से भी भिड़ गया। आश्चर्य की बात यह कि एक अधिवक्ता की इतनी हिम्मत की तहसील सदर में अभी अधिकारियों और कर्मचारियों की मौजूदगी में नायब तहसीलदार जैसे अधिकारी पर हाथ छोड़ दे।
जब अधिवक्ता रमन जायसवाल तहसील में तांडव कर रहा था तब तहसील के सारे अधिकारी मौजूद थे। सभी के सामने ऐसी घटना घटित हुई जो चिंताजनक है। नायब तहसीलदार सिटी आनंद यादव, कर्मचारियों के साथ आईजीआरएस संदर्भों का निस्तारण करा रहे थे। नायब तहसीलदार सिटी आनंद यादव और निर्वाचन कार्य देखने वाले बीआरसी अरविंद चौधरी और सुभाष मौर्य के साथ मारपीट करने वाले अधिवक्ता रमन जायसवाल के विरुद्ध कोतवाली नगर पुलिस आज चौथे दिन भी मुकदमा नहीं दर्ज की। कोतवाली नगर में जो तहरीर दी गई है, उसमें आरोप लगाया गया है कि रमन जायसवाल की एक फाइल शिखा त्रिपाठी बनाम जावेद से है, जो ग्राम दहिलामऊ अंतर्गत धारा-34 नायब तहसीलदार के न्यायालय में विचाराधीन है, उसी फाइल में रमन जायसवाल नाराज थे कि उनके पक्ष में आदेश क्यों नहीं पारित किया गया ?
तहरीर में यह भी लिखा गया है कि अधिवक्ता रमन जायसवाल ने ऐलानिया धमकी दिया कि मैं तुमको नौकरी नहीं करने दूंगा और जान से मार दूंगा। नायब के मना करने पर उन्हें गालियां देने के साथ-साथ हाथापाई किया और कर्मचारियों के बीच बचाव करने पर आईजीआरएस के अभिलेखों को फाड़ दिया। निर्वाचन का कार्य कर रहे बीआरसी अरविंद चौधरी और सुभाष मौर्य द्वारा बीच बचाव करने पर अरविंद चौधरी को गाली देते हुए जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया गया तथा उन पर भी रमन जायसवाल हमलावर हो गया और सुभाष मौर्य के नाजुक अंगों पर भी पैर से प्रहार किया। हल्ला सुनकर आये लेखपाल बलराम सरोज, राजेन्द्र यादव एवं राजस्व निरीक्षक दुर्गा प्रसाद शुक्ला द्वारा किसी तरह मामले को शांत कराने की कोशिश की गयी। अपने पक्ष में आदेश न करा पाने से अधिवक्ता रमन जायसवाल आपा खो दिया और गालियां देते हुए ऐलानिया धमकी दिया कि नीछे आओ एक-एक करके देख लूँगा। कुछ देर बाद तहसील सदर से रमन जायसवाल चला गया।
मुकदमें में अपने फेवर में निर्णय न करने से अधिवक्ता रमन जायसवाल नाराज थे। क्या किसी अधिवक्ता के पक्ष में निर्णय न करने पर किसी न्यायिक अधिकारी के साथ मारपीट व गालियां देना एक अधिवक्ता का दायित्व है ? एक एडवोकेट एक्ट में ऐसे कार्य को करने की छूट प्रदान है ? शायद नहीं। फिर अधिवक्ता आचरण पर अंकुश क्यों नहीं लगाया जा रहा है। कोतवाली नगर पुलिस इन्ही नायब तहसीलदार सिटी आनंद यादव की तहरीर पर कुछ दिन पहले एक हल्का लेखपाल वर्तमान में पट्टी तहसील में राजस्व निरीक्षक पद पर तैनात अवधेश शुक्ल और उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा- 80 कराने वाले जगदीश के खिलाफ मुकदमा लिखा गया। जब नायब सिटी के साथ मारपीट और सरकारी कार्य में बाधा डालने की घटना घटित हुई तो कोतवाली नगर की पुलिस आज चौथे दिन भी मुकदमा नहीं दर्ज किया। ऐसे ही तो हमलावरों का मनोबल बढ़ता है और पुनः किसी दूसरे अधिकारी और कर्मचारी के साथ घटना करने से बाज़ नहीं आते।