#Loksabha_Election_2024: आईये जाने मैनपुरी लोकसभा सीट का इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Loksabha Election 2024: मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादियों के अभेद्द किले के रूप में जानी जाती है। इस सीट पर दशकों से समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है। मुलायम सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव यहां से सांसद रह चुके हैं। आज़ादी के बाद 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस के पास ये सीट रही। उसके बाद जनता दल ने इस सीट को जीता। यह जीत महज एक साल ही रही। क्योंकि 1978 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर दुबारा जीत हासिल की।
यह सीट साल- 1980 में जनता दल के पास गई, लेकिन 1984 की कांग्रेस लहर में दोबारा यह सीट कांग्रेस के खाते में आई। उसके बाद से इस सीट पर समाजवादियों का कब्जा हो गया। साल- 1989 और साल- 1991 में यहां लगातार जनता पार्टी ने जीत तो दर्ज की लेकिन साल- 1992 में पार्टी गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने यहां से साल- 1996 का चुनाव यहां से लड़ा और बड़े अंतर से जीता।
आईये जाने लोकसभा संसदीय सीट मैनपुरी का इतिहास
साल- 1998 व साल- 1999 में भी ये सीट समाजवादी पार्टी के पास ही रही। साल- 2004 में मुलायम ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की, लेकिन बाद में सीट को छोड़ दिया। साल- 2004 में धर्मेंद्र यादव यहां से उपचुनाव में जीते। साल- 2009 के चुनाव में मुलायम यहां दोबारा लौटे और सीट को अपने पास ही रखा।
पहले कांग्रेस और अब सपा की गढ़ के रूप में जानी जाती है, मैनपुरी संसदीय सीट
साल- 2014 के चुनाव में भी मुलायम ने यहां से जीत दर्ज किया। लेकिन उन्होने साल- 2014 में आज़मगढ़ सीट से भी चुनाव लड़ा था। इसलिए वो मैनपुरी सीट अपने पोते तेज प्रताप को दे दी। उप चुनाव में तेज प्रताप यादव यहां से जीते। साल- 2019 में फिर मुलायम सिंह यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। साल- 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद एक बार सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें डिंपल यादव ने जीत दर्ज की।
मैनपुरी में ”मोदी की गारंटी” बनाम ”मुलायम की विरासत”, पिछले तीन दशक से सपा के कब्जे वाली इस सीट पर लड़ाई दिलचस्प
अर्से से समाजवादी पार्टी (सपा) के गढ़ के रूप में पहचान रखने वाले मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार अपना परचम लहराने को बेताब है। पिछले करीब तीन दशक से सपा के कब्जे वाली इस सीट पर लड़ाई ‘मोदी की गारंटी’ और ‘मुलायम की विरासत’ के बीच है।
मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभाएं
मैनपुरी लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती है। जिसमें एक सीट इटावा की जसवंत नगर है। बाकी 4 सीटें मैनपुरी, भोगांव, किशनी, करहल मैनपुरी जिले में आती हैं। साल- 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ भोगांव सीट और मैनपुरी सीट जीत मिली। बाकी तीनों सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में चली गई। वहीं बात करें साल- 2022 में हुए लोकसभा उप चुनाव चुनाव कि तो इस सीट पर सपा की डिंपल यादव ने बीजेपी के रघुराज शाक्य को 2 लाख, 88 हजार, 461 वोटों के बड़े अंतर से हराया था।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या
मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या की बात करें तो। साल- 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर कुल 17 लाख, 2 हज़ार, 320 वोटरों ने अपने मत का प्रयोग किया था। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 9 लाख, 20 हज़ार, 70 थी, जबकि महिला वोटरों की संख्या- 7 लाख, 82 हज़ार, 192 और ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या- 58 थी।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
बात करें 2004 लोकसभा में हुए चुनाव कि तो मैनपुरी सीट पर 2004 में भी मुलायम सिंह यादव ने ही जीत दर्ज कि थी, लेकिन जीत दर्ज करने के बाद मुलायम सिंह ने अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव के लिए ये सीट छोड़ दी थी। मुलायम सिंह यादव को 4 लाख 60 हज़ार 470 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर बसपा के अशोक शाक्य थे अशोक को 1 लाख 22 हज़ार 600 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के बलराम सिंह यादव थे..बलराम सिंह को 1 लाख 11 हज़ार 153 वोट मिले थे। इस सीट पर दुबारा उपचुनाव हुआ उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव ने जीत दर्ज की।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 में मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ही जीत दर्ज की थी। मुलायम सिंह यादव ने बसपा के विनय शॉक्य को हराया था। साल- 2009 में मुलायम सिंह यादव को कुल 3 लाख, 92 हज़ार, 308 वोट मिले थे। जबकि विनय शाक्य को 2 लाख, 19 हज़ार, 239 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी की तृप्ति शाक्य रही। तृप्ति को महज़ 56 हज़ार 265 वोट मिले थे।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
मैनपुरी लोकसभा सीट पर साल- 2014 में हुए चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर मुलायम सिंह यादव ने कब्जा जामाया था। मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी के शत्रुघन सिंह चौहान को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। मुलायम सिंह को 5 लाख, 95 हज़ार, 918 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी के शत्रुघन सिंह चौहान को 2 लाख, 31 हज़ार, 252 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के संघमित्रा मौर्य थे। जिन्हे 1 लाख, 42 हज़ार, 833 वोट मिले थे। इसके बाद उप चुनाव भी हुए थे। क्यों कि मुलायम सिंह यादव ने 2 सीटों से चुनाव लड़ा था और वो दोनों सीटों से चुनाव जीते थे।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
लोकसभा चुनाव साल- 2019 की अगर बात करें तो यहां भाजपा ने दोबारा प्रेम सिंह शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा था। वहीं मुलायम सिंह यादव एक बार फिर सपा की विरासत वाली सीट मैनपुरी से चुनावी मैदान में उतरे। इस दौरान मुलायम सिंह यादव को 5 लाख, 24 हजार, 926 वोट मिले थे, जबकि प्रेम सिंह शाक्य को 2 लाख 30 हजार, 537 वोट मिले थे। एक बार फिर इस सीटे से मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की और भाजपा मैनपुरी में दूसरी नंबर पर बनी रही। हालांकि साल- 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यहां उप चुनाव हुए। इस चुनाव में मुलायम सिंह की बहू डिंपल यादव को 6 लाख, 18 हजार, 120 वोट मिले। वहीं भाजपा के रघुराज शाक्य को 3 लाख, 29 हजार, 659 वोट मिले। डिम्पल ने 2 लाख, 88 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार का मैनपुरी लोकसभा सीट पर रहा है, दबदबा
मैनपुरी सीट के जातीगत समीकरण के देखें तो यहां पर इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि यहां पर लंबे समय से मुलायम सिंह यादव परिवार का दबदबा रहा है। बीजेपी यहां पर अब तक खाता नहीं खोल सकी है। जबकि कांग्रेस को 40 साल से यहां पर अपनी पहली जीत का इंतजार है। फिलहाल मैनपुरी संसदीय सीट पर पिछड़े वोटरों की संख्या ज्यादा है। पिछड़े वर्ग के वोटरों में यादव बिरादरी के वोटर्स की संख्या सबसे अधिक है।
साल- 2019 के चुनाव में करीब 4 लाख वोटर्स थे। मैनपुरी सीट पर शाक्य वोटर्स भी मजबूत स्थिति में माने जाते हैं। इनके अलावा ठाकुर, ब्राह्मण, जाटव और लोधी राजपूत वोटर्स यहां के चुनाव में अपनी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। वहीं, अगर मुस्लिम वोटरों की संख्या की बात करें तो इस सीट पर साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर्स की संख्या एक लाख से अधिक थी।
BJP जयवीर सिंह ठाकुर को हारने के लिए मैनपुरी भेजी है- अखिलेश यादव
भाजपा ने जयवीर ठाकुर को मैनपुरी सीट से मैदान में उतारा है। जिसको लेकर सपा प्रमुख ने अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा है कि BJP ने जयवीर सिंह को हारने के लिए मैनपुरी भेजा है। अखिलेश इस बार चुनाव में PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के फॉर्म्युले का साथ उतरे हैं।
मां के लिए चुनावी मैदान में दिखीं अखिलेश की बेटी अदिति यादव, मैनपुरी में कर रही धुआंधार प्रचार
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण के चुनाव से पहले सपा और भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंकती हुई नजर आ रही है। मैनपुरी सीट पर भाजपा से जयवीर सिंह के साथ उनके पुत्र अतुल प्रताप सिंह ने प्रचार की कमान संभाल रखी है तो दूसरी तरफ सपा की प्रत्याशी डिंपल यादव बेटी अदिति भी अब चुनावी मैदान में प्रचार कर रही हैं। अखिलेश यादव के बेटी अदिति यादव लगभग एक दिन में आधा दर्जन से अधिक नुक्कड़ सभाएं कर रही हैं और लोगो से अपनी मां डिंपल यादव को जिताने के लिए अपील कर रही हैं। अदिति यादव, महिलाओं से खूब मिल रही हैं। वहीं अदिति यादव मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं, काफी प्रयास के बाबजूद भी उन्होंने इंटरव्यू देने से मना कर दिया।