Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की देवरिया लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
देवरिया: देवरिया को महान संत देवरहा बाबा की धरती के नाम से भी जाना जाता है। देवरिया नाम की उत्पत्ति ‘देवारण्य’ या ‘देवपुरिया’ से हुई थी। इसी के नाम पर इसका नाम देवरिया पड़ा। साल- 1946 में गोरखपुर के पूर्व-दक्षिण भाग के कुछ हिस्सों को लेकर वजूद में आया देवरिया पूर्वी उत्तर प्रदेश का ऐसा जिला है, जहां का मतदाता सियासत की रगरग से न सिर्फ वाकिफ है, बल्कि सियासत में खूब दिलचस्पी भी लेता है।
यही वजह है कि यहां राजनीतिक दलों को बारी-बारी मौका मिलता रहा है। 90 के दशक से पहले देवरिया लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा होता था, मगर मंडल-कमंडल के उभार के बाद अब लड़ाई सपा और भाजपा के बीच सिमटकर रह जाती है। फ़िलहाल दो बार लगातार भाजपा लोकसभा सीट जीत रही है। इस बार भाजपा देवरिया से हैट्रिक लगाने की जुगत में है। देखना होगा कि 1 जून को मतदाता क्या गुल खिलाते हैं ?
लोकसभा देवरिया संसदीय सीट का इतिहास
बिहार राज्य से सीमा साझा करने वाली लोकसभा सीट देवरिया में पहला आम चुनाव साल- 1952 में हुआ। इस चुनाव में विश्वनाथ राय सांसद चुने गए थे। विश्वनाथ राय 4 बार देवरिया से सांसद बने। साल- 1957 में हुए चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के रामजी वर्मा पर जनता ने भरोसा जताया और यहां से चुनकर संसद भेजा। लेकिन अगले चुनाव साल- 1962 में विश्वनाथ राय दुबारा यहां से सांसद बने। फिर साल- 1967 में तीसरी और साल- 1971 में चौथी बार यहां से उन्होंने सांसद बनने का तमगा हासिल किया। इसके बाद साल- 1977 में जनता पार्टी से उग्रसेन यहां से सांसद बने। जबकि साल- 1980 के चुनाव में कांग्रेस रामायण राम यहां से सांसद चुने गए।
कांग्रेस का मजबूत किला था, देवरिया
वहीं साल- 1984 के चुनाव में जनता ने फिर से कांग्रेस प्रत्याशी राज मंगल पांडेय पर भरोसा जताया और यहां से चुनकर संसद भेजा। लेकिन अगले चुनाव 1989 में राजमंगल पांडेय जनता दल से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। साल- 1991 के चुनाव में जनता दल ने अपना उम्मीदवार मोहन सिंह को बनाया और मोहन सिंह चुनाव जीत गए। वहीं पहली बार देवरिया संसदीय सीट पर बीजेपी का खाता साल- 1996 में खुला और श्रीप्रकाश मणि सांसद बने। साल- 1998 के चुनाव में मोहन सिंह सपा में शामिल हो गए और यहां से चुनाव जीता। साल- 1999 के चुनाव में श्री प्रकाश मणि दुबारा जीते।
राम मंदिर आंदोलन से भाजपा ने जमाई जड़ें, सपा का भी रहा, दबदबा
साल- 2004 के चुनाव में मोहन सिंह सपा के बैनर तले फिर चुनाव जीत गए। साल- 2009 के चुनाव में यहां से बसपा का खाता खुला और गोरख प्रसाद जायसवाल सांसद बने। वहीं साल- 2014 में मोदी लहर के चलते यहां से बीजेपी के दिग्गज नेता कलराज मिश्रा चुनाव जीते और संसद पहुंचे। जबकि साल- 2019 में बीजेपी ने कलराज मिश्र का टिकट काटकर रमापति राम त्रिपाठी पर भरोसा जताया और वह जीतकर संसद पहुंचे। लोकसभा चुनाव- 2024 के चुनाव में भाजपा ने शशांक मणि त्रिपाठी को चुनावी मैदान में उतारा है। सपा और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार अखिलेश सिंह को उतारा है तो वहीं बसपा ने संदेश यादव को टिकट देकर सपा के वोटबैंक में सेंधमारी की है।
लोकसभा देवरिया सीट की 5 विधानसभा सीटें
इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें देवरिया, तमकुहीराज, फाजिलनगर, पथरदेवा और रामपुर कारखाना शामिल है। जिसमें तमकुही राज और फाजिलनगर विधानसभा सीटें कुशीनगर जिले में आती हैं। साल- 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी पार्टियों का सूपड़ा साफ करते हुए पांचों सीटों पर जीत दर्ज की थी।
लोकसभा सीट देवरिया में मतदाताओं की संख्या
साल- 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में देवरिया सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या- 17 लाख, 54 हजार, 195 है।जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या- 7 लाख, 96 हजार, 646 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 9 लाख, 57 हजार, 453 है। वहीं ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या- 96 है।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अब अगर बात साल- 2004 में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो देवरिया संसदीय सीट पर सपा के मोहन सिंह ने जीत का परचम लहराया था। मोहन सिंह को कुल 2 लाख, 37 हज़ार, 664 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी के प्रकाश मणि दूसरे नंबर पर रहे। मणि को इस चुनाव में कुल 1 लाख, 85 हज़ार, 438 वोट मिले। जबकि तीसरे नंबर पर बसपा के देवी प्रसाद रहे। देवी प्रसाद को कुल 1 लाख, 32 हज़ार, 497 वोट मिले थे।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 की बात करें तो बसपा के गोरख प्रसाद जायसवाल ने 2 लाख, 19 हज़ार, 889 वोट से जीत हासिल की थी। वहीं दूसरे नंबर पर बीजेपी के प्रकाश मणि रहे। के प्रकाश मणि को कुल 1 लाख, 78 हज़ार, 110 वोट मिले। जबकि तीसरे नंबर पर सपा के मोहन सिंह रहे। मोहन सिंह को कुल 1 लाख, 51 हज़ार, 389 वोट मिले हैं।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अब एक नजर साल- 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल- 2014 में बीजेपी के कलराज मिश्र ने यहां से चुनाव जीता था। इस चुनाव में कलराज मिश्र को कुल 4 लाख, 96 हज़ार, 500 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के निय़ाज अहमद रहे। जिन्हें कुल 2 लाख, 31 हज़ार, 114 वोट मिले। जबकि तीसरे नंबर पर सपा से बलेश्वर यादव रहे। बलेश्वर यादव को कुल 1 लाख, 50 हजार, 852 वोट मिले।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल- 2019 में इस सीट पर बीजेपी के रमापति राम त्रिपाठी ने 5 लाख, 80 हजार, 644 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। वहीं बसपा के विनोद कुमार जयसवाल 3 लाख, 30 हजार, 713 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि कांग्रेस के नियाज अहमद खान को 51 हजार, 56 वोट मिले थे और उनको तीसरे स्थान पर रहना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव- 2024 के चुनावी रण में देवरिया सीट पर भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला
अब अगर बात साल- 2024 के लोकसभा चुनावों की करें तो इस बार भी बाहरी और स्थानीय मुद्दा हावी होता नजर आ रहा है। बहरहाल कांग्रेस ने पूर्व विधायक एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं राजनीति में युवा प्रतिभाओं की खोज के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की देवरिया लोकसभा सीट के लिए शशांक मणि त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
भाजपा ने इस बार भी देवरिया से अपना प्रत्याशी बदल दिया है और डॉ. रमापति त्रिपाठी की जगह भाजपा को पहली बार जीत दिलाने वाले श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी पर भरोसा जताया है। ऐसे में लड़ाई भाजपा व गठबंधन के बीच होती नजर आ रही है। यहां सवर्ण मतदाता ही हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे हैं। यहां की राजनीति बेरोजगारी, पलायन और बंद चीनी मिलों को चालू कराने के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। इस चुनाव में भी तस्वीर कुछ ऐसी ही बन रही है।
लोकसभा सीट देवरिया पर जातीय समीकरण
देवरिया लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की सीट नंबर 66 है। बिहार से लगा पूर्वी यूपी का जिला देवरिया आजादी से पहले ही गोरखपुर से अलग हुआ था। बाद में देवरिया से कुशीनगर अलग जिला बन गया। यह क्षेत्र ब्राह्मण बेल्ट माना जाता है।एक रिपोर्ट के अनुसार देवरिया लोकसभा सीट पर 27 फीसदी ब्राह्मण और 14 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग है। जबकि 12 फीसदी मुस्लिम मतदाता भी है। वहीं कुर्मी-क्षत्रिय, कायस्थ और राजभर भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं।