माफिया मुख्तार अंसारी को लगा करारा झटका,फर्जी शस्त्र लाइसेंस केस में हुई आजीवन कारावास
वाराणसी। जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह माफिया मुख्तार अंसारी की मुश्किलें कम होने नाम नहीं ले रही हैं। मुख्तार को 33 साल 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। मुख्तार पर दो लाख दो हजार का जुर्माना भी लगा है।मुख्तार की सजा को लेकर 54 पेज का फैसला आया है। फैसले के दौरान सफेद टोपी और सदरी पहने मुख्तार मुंह लटकाए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बांदा जेल से पेश हुआ।
बता दें कि बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा अंतरराज्यीय गिरोह (आईएस-191) का सरगना माफिया मुख्तार अंसारी को आठवीं बार सजा हुई है।आईपीसी 467/120 बी में उम्रकैद और एक लाख जुर्माना।
420/120 बी में 7 वर्ष सजा और 50 हजार जुर्माना।
468/120 बी में 7 वर्ष की सजा और 50 हजार जुर्माना।
आर्म्स एक्ट में 6 माह सजा और दो हजार जुर्माना लगा है।
विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए कोर्ट) अवनीश गौतम की अदालत ने बुधवार को माफिया मुख्तार अंसारी को सजा सुनाई। इस दौरान मुख्तार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश किया गया। इसी अदालत ने ही 5 जून 2023 को अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मुख्तार को अब तक सात मामलों में सजा मिल चुकी है। आठवें मामले में दोषी करार दिया गया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिलाधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि गाजीपुर के डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था। फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद सीबीसीआईडी ने 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया गया था। सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरुद्ध 18 अगस्त 2021 को मुकदमा समाप्त कर दिया गया। अदालत में अभियोजन की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह और अभियोजन अधिकारी उदय राज शुक्ला ने पक्ष रखा।
बता दें कि माफिया मुख्तार अंसारी को अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, 467 यानी बहुमूल्य सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी और 468 यानी ठगी के मकसद से जालसाजी का दोषी पाया गया, जिसमें सजा सुनाई गई है। भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के तहत अधिकतम दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी को आयुध अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी पाया गया है। इसके तहत अधिकतम छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।