सैन्य अधिकारी हत्या का मामला; जब तक अंदर से न मिले अनुमति, कोई नहीं कर सकता प्रवेश, सुरक्षा में सेंध
अगर कोई बाहरी व्यक्ति परिसर में जाना चाहता है तो उसे तब तक प्रवेश नहीं मिलेगा जबतक कि परिसर के अंदर मौजूद अधिकारी (जिससे मिलने के लिए बाहरी व्यक्ति जा रहा है) प्रवेश द्वार पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को यह संदेश न दे कि संबंधित व्यक्ति अंदर आने दिया जाय। प्रवेश रजिस्टर में इस बात का भी जिक्र किया जाता है कि संबंधित व्यक्ति जिससे मिलने जा रहा है उसका नाम क्या है। कितने बजे प्रवेश दिया गया गया। कई बार मिलने का कारण भी लिखा जाता है।
अगर वाहन आदि हैं तो उसका भी ब्यौरा दर्ज होता है। गेट पर संबंधित व्यक्ति अपनी पहचान साबित करने के लिए आइडी कार्ड दिखाता है, जिसकी जांच करने के बाद ही प्रवेश दिया जाता है। यानी बाहरी व्यक्ति का तब तक प्रवेश नहीं हो सकता जब तक कि अंदर उसे कोई स्वयं न बुलाए।
हत्या के बाद सुलगते सवाल…
- हत्यारा अगर मुख्य द्वार से गया होगा तो उसका रिकार्ड, उसकी वीडियो फुटेज उपलब्ध होगी, उसे अभी तक क्यों नहीं देखा गया ?
- कैंपस के अंदर आखिर वो कौन है, जिसने हत्यारे को अंदर आने के लिए अनुमति दी होगी ?
- क्या हत्यारा अपनी पहचान छिपा कर और फर्जी आईडी के साथ परिसर में घुसा था ?
- हत्या के बाद अगर हत्यारा कैंपस से बाहर निकला होगा तो घटना के अवधि के आस-पास वह सीसीटीवी में फिर देखा गया होगा ?
- कैंपस में प्रवेश तक मुश्किल है तो क्या वाहन से अंदर हत्यारा दाखिल हुआ या हत्यारा पहले से ही कैंपस में मौजूद था ?
- क्या हत्या के बाद भी हत्यारा अभी भी कैंपस में मौजूद है ?
- क्या हत्यारा मृतक से मिलने के बहाने कैंपस में आया था या किसी और से मिलने के बहाने ?
- क्या मृतक ने खुद हत्यारे को प्रवेश दिलवाया था ? या कोई और था जिसकी वजह से हत्यारा अंदर दाखिल हुआ ?
- अगर हत्यारा मुख्य द्वार से नहीं गया तो कहीं से उसने अवैध घुसपैठ की ?
- क्या कोई घुसपैठिया मध्य वायु कमान की सुरक्षा में सेंध लगाने में सफल रहा है ?
कहीं ठेकेदार से कोई विवाद तो नहीं….
एसएन मिश्रा मुख्य रूप से नान डिफेंस कार्य के प्रमुख थे। कंस्ट्रक्शन से संबंधित कार्यों के लिए ठेका आवंटित करने से लेकर कार्यों को पूरा कराने, निगरानी की मुख्य जिम्मेदारी उनके ही ऊपर रहती थी। बिल्डिंग बनाने से लेकर कमरा ठीक कराने तक के कार्यों का ठेका हो अथवा अन्य माध्यम से उसे पूरा करने उनके ही जिम्मे होता था।
हत्या के बाद उनके कार्य से भी घटनाक्रम के जुड़ाव का एंगल तलाशा जा रहा है। जो प्राथमिक सवाल उठकर आए हैं उसमें यह प्रमुख है कि क्या किसी ठेकेदारों से उनका विवाद चल रहा था ? क्या किसी ठेकेदार को उन्होंने ब्लैकलिस्टेड किया था। किसी ठेकेदार का भुगतान आदि तो नहीं रोका गया है ? हालांकि इन सवालों का जवाब तो जांच पूरी होने के बाद ही मिलेगा।