भतीजे अखिलेश ने चाचा शिवपाल को दिखाया ठेंगा,पार्टी में अपनों को सेट नहीं कर पा रहे शिवपाल
लखनऊ। शिवपाल सिंह यादव भले ही समाजवादी पार्टी में सेट हो गए हैं। भतीजे सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ अच्छा तालमेल बनाकर चल रहे है,मगर शिवपाल अपने करीबी नेताओं को सपा में सेट नहीं करा पा रहे हैं।सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद से ही शिवपाल अपने साथियों को पार्टी की प्रदेश कमेटी में शामिल कराना चाहते थे। कल रविवार को पार्टी ने प्रदेश कार्यकारिणी टीम की घोषणा की, जिसमें शिवपाल के करीबी नेताओं को खास तवज्जो नहीं मिली। एक बार फिर शिवपाल के समर्थक खुद को सपा में ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
सपा की 182 सदस्यीय प्रदेश कमेटी में शिवपाल सिंह यादव के सिर्फ पांच करीबी नेताओं को जगह मिली है। इनमें तीन सचिव, एक सदस्य और एक आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। शिवपाल के करीबी नेताओं में ललन राय, अशीष चौबे और प्रेम प्रकाश वर्मा को सपा का प्रदेश सचिव बनाया गया है। मंटू काजी को प्रदेश सदस्य और सूरज सिंह (गामा यादव) को अमंत्रित सदस्य बनाया गया है। शिवपाल के किसी भी करीबी नेता को न तो महासचिव न तो उपाध्यक्ष बनाया गया है।
बताते चलें कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के बाद चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव ने सिरे गिले-शिकवे भुलाकर साथ आए। शिवपाल ने सपा में अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय करने के बाद मरते दम तक साथ रहने की घोषणा की थी।अखिलेश ने शिवपाल को सपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर पार्टी में सम्मान तो दिया मगर उनके करीबी नेताओं को तवज्जो नहीं दी। शिवपाल के करीबी नेताओं को न तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली न तो सपा प्रवक्ताओं की टीम में जगह मिली।
शिवपाल सिंह यादव को अपने करीबी नेताओं को पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किए जाने की भारी उम्मीद थी, लेकिन रविवार को प्रदेश टीम की घोषणा होने के बाद उम्मीद टूट गई है। पार्टी के प्रदेश सगंठन में शिवपाल के करीबी नेताओं कोई खास अहमियत नहीं मिली। सूत्रों के मुताबिक शिवपाल ने अपने लगभग 20 नेताओं का नाम प्रदेश संगठन में शामिल करने के लिए अखिलेश को दिया था।इनमें से सिर्फ 5 सदस्यों को ही जगह मिली है।
शिवपाल सिंह यादव ने 2018 में सपा मुखिया अखिलेश यादव से सियासी वर्चस्व की वजह सपा छोड़ी थी। शिवपाल के साथ पार्टी के तमाम जमीनी नेताओं ने भी पार्टी छोड़ दी थी। वीरपाल यादव, राम नरेश यादव, अशोक यादव, सुंदरलाल लोधी, संगीता यादव, पीवी वर्मा, ललन राय, सुनील यादव, जयसिंह यादव, समरजीत, राम सिंह यादव, मीनू राजपूत, अनिल वर्मा, जगननायक यादव और हीरालाल यादव और फरहत मियां जैसे नेता शामिल थे।
शिवपाल सिंह यादव ने जब सपा में वापस लौटे तो ये सभी नेता भी पार्टी में वापस आ गए।अखिलेश ने उस दौरान ये भी कहा था कि शिवपाल के साथ उनके समर्थकों को भी सम्मान दिया जाएगा। सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन हुआ तो परिवार के तेज प्रताप यादव, अक्षय यादव और धर्मेंद्र यादव को जगह मिली है, लेकिन शिवपाल के बेटे आदित्य यादव को जगह नहीं मिली। सपा के प्रदेश कार्यकारिणी में भी आदित्य यादव को शामिल नहीं किया गया। सपा प्रवक्ताओं की पिछले दिनों घोषणा हुई थी, जिसमें शिवपाल के करीबी एक ही नेता को जगह मिली थी। प्रदेश कार्यकारिणी में सिर्फ 5 नेताओं को जगह मिली है।
शिवपाल सिंह यादव के साथ उनके नेताओं ने सपा में वापसी की है। ऐसे में शिवपाल को सम्मान भले ही मिला हो, लेकिन सियासी रुतबा नहीं मिला है, जिससे अपने करीबी नेताओं को सपा संगठन में जगह नही दिला सके।ऐसे में शिवपाल के करीबी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। शिवपाल समर्थक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शिवपाल के भरोसे उन्होंने सपा छोड़ी थी, अखिलेश के साथ उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। ऐसे में उन्हें अपना सियासी भविष्य मंझधार में फंस हुआ नजर आ रहा है।