ओवैसी की एक्टिव सियासत ने सपा मुखिया को चौंकाया, मुख्तार के फाटक ऐसे ही नहीं पहुंचे अखिलेश
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अब बहुत कम समय बचा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बहुत फूंक-फूंक कर अपना सियासी कदम उठा रहे हैं। इस समय अखिलेश यादव राजनीतिक तौर से घिर गए हैं।एक तरफ भाजपा जैसी मजबूत पार्टी से अखिलेश यादव का लोकसभा में मुकाबला है तो दूसरी तरफ टिकट को लेकर सपा में जो घमासान मचा है। उसने भी सपा की हालत सबके सामने ला दी है।इस बीच AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी और पल्लवी पटेल ने भी यूपी में नया गठबंधन बना लिया। अखिलेश यादव माफिया मुख्तार अंसारी को श्रद्धांजलि देने रविवार को उसके घर गाजीपुर पहुंचे।अखिलेश ने ये कदम काफी सोच-समझकर उठाया है। ओवैसी की एक्टिव सियासत का जवाब देने के लिए अखिलेश यादव गाजीपुर पहुंचे थे।
उत्तर प्रदेश में हो रही सियासी हलचल के बीच माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की नींद सो गया। मुख्तार की गिनती प्रदेश के सबसे बड़े माफियाओं में होती थी। यह भी सच है कि मुख्तार का परिवार सपा का काफी करीबी रहा है। मुख्तार का यादव परिवार से भी अच्छे रिश्ते रहे हैं। गाजीपुर लोकसभा से अखिलेश ने मुख्तार के भाई और गाजीपुर के मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी को प्रत्याशी बनाया है। दूसरी तरफ मुख्तार की मौत के बाद मुस्लिम समाज में मुख्तार को लेकर भारी सहानुभूति है।
ओवैसी ने फंसा दिया अखिलेश को…
भाजपा सपा पर हमेशा बाहुबलियों और माफियाओं को संरक्षण देने और उनके करीबी होने का आरोप लगाती रही है। ऐसे में मुख्तार की मौत के बाद सभी की निगाहें अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया और अगले कदम पर थी। सवाल था कि क्या अखिलेश यादव मुख्तार को श्रद्धांजली देने गाजीपुर जाएंगे और अंसारी परिवार से मुलाकात करेंगे। इस बीच सपा की तरफ से मुख्तार की मौत पर शोक संवेदना भी व्यक्त कर दी गईं, लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने अखिलेश को मुख्तार के घर जाने के लिए सियासी तौर पर भी विवश कर दिया।
AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी मुख्तार अंसारी की मौत के फौरन बाद अचानक मुख्तार के परिजनों से मिलने उसके घर पहुंच गए। उत्तर प्रदेश में ओवैसी की सियासत का सीधा मुकाबला सपा की राजनीति से है। सपा के मुस्लिम वोट बैंक में ओवैसी हमेशा सेंध लगाने की कोशिश करते हैं।ऐसे में ओवैसी ने मुख्तार की मौत पर उसके घर जाकर सियासी तौर पर बड़ा संदेश दे दिया।
धर्मेंद्र के जाने से भी नहीं बनी बात…
पीडीए यानी पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक के नारे के साथ लोकसभा चुनाव में जाने वाले अखिलेश यादव के सामने ये बड़ी चुनौती थी। अखिलेश ने अपने करीबी और पूर्व सासंद धर्मेंद्र यादव को भी मुख्तार के घर भेज दिया, लेकिन ओवैसी अपना संदेश देने में कामयाब रहे। ओवैसी समर्थक अखिलेश से सवाल करते रहे कि आखिर वह कब मुख्तार अंसारी को श्रद्धांजलि देने जाएंगे। ओवैसी समर्थक लगातार मुस्लिम समाज में ये सवाल उठाते रहे और अखिलेश यादव पर सिर्फ उनके वोट लेने का आरोप लगाते रहे।
माना जा रहा है कि ओवैसी के इस कदम से अखिलेश सियासी तौर पर फंस गए और अचानक अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी के परिवार से मुलाकात करने गाजीपुर जाने की योजना बना डाली। अखिलेश लोकसभा चुनाव को लेकर कोई सियासी रिस्क नहीं लेना चाहते। एसे में अखिलेश ने मुख्तार के घर जाकर अंसारी परिवार से मिलकर बड़ा सियासी संदेश भी दे डाला।