प्रतापगढ़ जनपद को मिला डायरेक्ट आईएएस, 17 माह सिद्धार्थ नगर में सेवा देने के बाद प्रतापगढ़ में शुरू करेंगे संजीव रंजन नई पारी
जिलाधिकारी के तौर पर बेल्हा को संजीवनी देने आ रहे हैं,नालंदा निवासी संजीव रंजन…
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जनपद को जिलाधिकारी के रूप में पुनः डायरेक्ट आईएएस अधिकारी मिला है। सिद्धार्थ नगर में तैनात जिलाधिकारी संजीव रंजन को प्रतापगढ़ की कमान दी गई है। पीसीएस से आईएएस में प्रोन्नत पाने वाले प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव को प्रतापगढ़ का जिलाधिकारी बनाया गया था। आईएएस प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव जिलाधिकारी के रूप में महज साढ़े तीन महीने ही रह सके। उनको शासन ने रविवार को प्रतापगढ़ से हटा दिया। प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव प्रतापगढ़ में पहले एडीएम के रूप में भी सेवा दे चुके थे। मूल रूप से आजमगढ़ जिले के रहने वाले प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव को तीन जून को औरैया जनपद से हटाकर प्रतापगढ़ जनपद का डीएम बनाए जाने का आदेश हुआ था।
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी की नजर में जिलाधिकारी प्रतापगढ़ प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव फिसड्डी नजर आये…
कुर्सी संभालने के बाद वह लगातार सामाजिक कार्यक्रमों में भी सहभागी हुआ करते थे। राम चरितमानस से उनका लगाव विशेष रूप से चर्चा में रहा। मानस सम्मेलनों और अन्य इस तरह के कार्यक्रमों में भी वह बराबर शामिल होते रहे। सरकारी कार्यों से समय निकालकर वह मानस पर भी बात करते थे। तुलसी सदन में उनकी सलाह पर मानस की चौपाइयों की पट्टिका भी लगवाई गई। दो दिन पहले जनशिकायतों के निस्तारण की समीक्षा में प्रतापगढ़ की स्थिति खराब पाई गई। इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव को हटाने का आदेश दिया था। उनकी नजर में जिलाधिकारी प्रतापगढ़ प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव फिसड्डी साबित हुए और सीएम के आदेश के बाद डीएम प्रतापगढ़ का हटना तय माना जा रहा था।
प्रतापगढ़ के नवनियुक्त जिलाधिकारी संजीव रंजन वर्ष- 2013 बैच के आईएएस अफसर हैं…
प्रतापगढ़ के नए जिलाधिकारी संजीव रंजन मूल रूप से बिहार प्रान्त के नालंदा के रहने वाले हैं। वह वर्ष- 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनका जन्म वर्ष- 1981 में हुआ और उनका गृह जनपद नालन्दा, बिहार है। योग्यता की बात करें तो वह B.Tech. किये हैं। वह वर्ष – 2013 में IAS बने। वह तीसरी बार जिलाधिकारी के रूप में तैनात किए गये हैं। वह इसके पहले गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ भी रह चुके हैं। साथ ही कुशीनगर में संयुक्त मजिस्ट्रेट व सहारनपुर के सीडीओ का दायित्व निभा चुके हैं। संभल जिला उनका जिलाधिकारी के रूप में पहला जनपद रहा, जहाँ वह 14 माह अपनी सेवा दिए और सिद्धार्थ नगर में 17 माह सेवा देने के बाद तीसरे जनपद के रूप में उन्हें प्रतापगढ़ जिले की कमान सौंपी गई है।
प्रतापगढ़ जनपद में पहले अफसर आना नहीं चाहते और आ गए तो जाना नहीं चाहते…
वैसे तो उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में प्रतापगढ़ को बोलचाल की भाषा में बड़कवा जिला कहा जाता है। अधिकारी यहाँ आने से बचते हैं, वजह मन में प्रतापगढ़ के प्रति अलग धारणा का होना बताया जाता है। परन्तु जो अधिकारी प्रतापगढ़ के खारा पानी का रसास्वादन कर लिया तो उसे प्रतापगढ़ रास भी आता है और प्रतापगढ़ से न जाना पड़े, इसके लिए वह प्रयास भी करता है। साल 2003 में कौशाम्बी जनपद से प्रतापगढ़ की कमान संभालने वाले तत्कालीन जिलाधिकारी आर एस वर्मा को प्रतापगढ़ इस कदर रास आया कि उनका जब प्रमोशन हुआ और उन्हें जिलाधिकारी से परिवहन आयुक्त बनाया गया तब भी वह प्रतापगढ़ छोड़कर जाना नहीं चाहते थे। उनकी बस चली होती तो वह प्रतापगढ़ से अपनी सेवा समाप्त करते।