विनियमित क्षेत्र के दफ्तर में ब्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रतापगढ़ जिलाधिकारी नहीं लग पा रहा है,अंकुश
उत्तर प्रदेश निर्माण कार्य विनियमन अधिनियम- 1958 के तहत संचालित होने वाला विनियमित क्षेत्र के इस दफ्तर में तुगलकी फरमान से सम्पन्न कराये जाते हैं, सारे कार्य…
प्रतापगढ़। बेलगाम हो चुका सरकारी तंत्र सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। लोग चाहते हैं कि सभी को सरकारी नौकरी मिले, परन्तु जिन्हें सरकारी नौकरी मिल जाती है वह काम नहीं करना चाहते। उनकी मानसिकता बदल जाती है और वह सोचते हैं कि सरकार उनके खाते में वेतन दे ही देगी। चाहे वह नौकरी करें या न करे। ऐसा ही एक दफ्तर विनियमित क्षेत्र का है जो कलेक्ट्रेट परिसर में मुख्य राजस्व अधिकारी की कोर्ट के बगल स्थित है। इस कार्यालय में भवन निर्माण का नक्शा मंजूर होता है। नियमित क्षेत्र में जब कोई भवन बनाता है तब उसे अपने भवन का मानचित्र किसी आर्किटेक्ट से बनवाकर इस कार्यालय में उसे जमा करना होता है।
अवर अभियंता दाखिल हुई पत्रावली पर अपनी आख्या देता है और नियत प्राधिकारी, विनियमित क्षेत्र/उप जिलाधिकारी, सदर, प्रतापगढ़ द्वारा उसे मंजूर कर लिया जाता है। विनियमित क्षेत्र का यह कार्यालय एक छोटे से कमरे में स्थापित है। इस कमरे में रिकॉर्ड रखने तक की जगह नहीं है। संजीव शुक्ल अवर अभियंता हैं, जिनका पोस्टिंग अमेठी जनपद के विनियमित क्षेत्र कार्यालय में है। उनके पास जगदीशपुर और प्रतापगढ़ जनपद के विनियमित क्षेत्र के कार्यालय का भी चार्ज है। अवर अभियंता हफ्ते में एक दिन या दो दिन प्रतापगढ़ आते हैं और जो पत्रावली तैयार रहती हैं, उसे स्वीकृत कराकर प्राप्त होने वाले धन का बंटवारा करके वापस चले जाते हैं।
एक अवर अभियंता के पास तीन विनियमित क्षेत्र के कार्यालय का कार्य हो तो निश्चित तौर पर वह कार्य नहीं कर सकता। शासन और प्रशासन में जिम्मेदार पदों पर विराजमान हुक्मरानों के लिए यह चिंता का विषय होना चाहिए कि एक अवर अभियंता किस तरह से तीन विनियमित क्षेत्रों के कार्य को संभाल सकता है ? किसी भी भवन के निर्माण के मानचित्र का स्थानीय निरीक्षण को एक अवर अभियंता तीन नियमित क्षेत्रों में नहीं कर सकता है। विनियमित क्षेत्र में सबसे चर्चित कर्मचारी लिपिक अमन दुबे हैं, जो कार्यालय महीने में कभी आ गए तो बड़ी बात। चौथी श्रेणी का कर्मचारी अवकाश प्राप्त कर चुका है। यानि इस दफ्तर में एक अदद चपरासी भी नहीं है।
जरा सोचिये कि इतने महत्वपूर्ण दफ्तर में एक अदद जिम्मेदार ब्यक्ति नहीं होता जो डिस्पैच और रिसीट का कार्य देख सके। विनियमित क्षेत्र के दफ्तर का कार्य दो बाहरी व्यक्तियों को रखकर उसे संचालित कराया जा रहा है। बाहरी ब्यक्तियों की न तो कोई जवाबदेही है और न ही किसी तरह की जिम्मेदारी। सबकुछ भगवान भरोसे है। जिस परिसर में जिले का मुखिया जिलाधिकारी स्वयं बैठता हो जब उस दफ्तर की ये दशा है तो शेष सरकारी दफ्तरों की दशा का अनुमान लगाया जा सकता है। विनियमित क्षेत्र के कार्यालय में जमकर नागरिकों का शोषण किया जाता है। प्रत्येक कार्य का धन निर्धारित किया गया है। जिसे अपना कार्य कराना है वह पहले धन दे, तत्पश्चात उसका कार्य होगा।