राजस्थान सरकार ने प्रदेशभर में टेंडर निकालने से लेकर नए काम शुरू करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। जिन कामों के टेंडर प्रोसेस में हैं, उन्हें भी रोक दिया गया है। पहले से मंजूर कामों को आगे बढ़ाने पर भी रोक लगा दी गई है। शुक्रवार शाम इस संबंध में वित्त विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिए गए। जारी आदेश में बताया गया कि नए टेंडरों, वर्क ऑर्डर और नए कामों को शुरू करने पर रोक लगा दी गई है। वित्त विभाग की नई गाइडलाइन के मुताबिक जिन कामों के टेंडर नहीं निकाले हैं, उन्हें अगले आदेशों तक नहीं निकालने के आदेश दिए हैं। जिन कामों के टेंडर निकालने के बाद वर्क ऑर्डर जारी नहीं हुए हैं, उन पर आगे कोई एक्शन नहीं होगा। वर्क ऑर्डर पर भी रोक रहेगी।
पहले से मंजूर काम नहीं होंगे शुरू…
टेंडर और वर्क ऑर्डर के बाद जो काम शुरू नहीं हुए हैं, उन पर रोक लगा दी है। वित्त विभाग के रोक हटाने के बाद ही नए काम शुरू हो सकेंगे। सरकारी विभाग कोई भी सामग्री या प्राइवेट सेवाएं लेते हैं, उनके वर्क ऑर्डर भी सस्पेंड रहेंगे। सरकारी विभागों में आउटसोर्स काम के नए ऑर्डर भी नहीं कर सकेंगे।
विभागों को सीएम से लेनी होगी मंजूरी…
पहले से जारी प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी की हालत में भी काम होल्ड पर रहेंगे। इस तरह की मंजूरी के लिए अब मुख्यमंत्री के पास फाइल भेजनी होगी। सभी विभागों को प्रशासनिक वित्तीय मंजूरियों के लिए पहले पूरा मामला मुख्यमंत्री के ध्यान में लाना होगा। इसके बाद ही नए काम और टेंडर पर फैसला होगा। वित्त विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी आदेश के अनुसार राज्य सरकार ने सभी विभागों से कहा है कि जिन कार्यों के ‘टेंडर’ वर्तमान में आमंत्रित नहीं किये गये हैं, उन्हें आगामी निर्देशों तक आमंत्रित नहीं किया जाये। विभाग ने कहा कि इसके साथ ही जिन कार्यो के टेंडर आमंत्रित करने के उपरांत कार्य आदेश नहीं दिये गए हैं उनके कार्य देश आगामी निर्देशों तक जारी नहीं किये जायें। अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) अखिल अरोडा की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि जो कार्य कार्यादेश के उपरांत प्रारंभ नहीं हुए हैं, उन्हें आगामी निर्देशों तक प्रारंभ नहीं किया जाये। उन्होंने आदेश में कहा कि सभी प्रशासनिक विभाग पूर्व में जारी प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृति की स्थिति में भी निर्देशों की कार्यवाही सुनिश्चित करते हुए ऐसी स्वीकृतियां विभागीय मंत्री/मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाएं।