कूड़े की ढेर में मिला तहसीलदार रानीगंज के न्यायालय की पत्रावलियों के अभिलेख, अधिवक्ताओं ने तहसीदार अरविंद कुमार पर लगाये गंभीर आरोप
तहसीलदार रानीगंज के न्यायालय से अधिवक्ताओं के वकालतनामा व आपत्ति प्रार्थना पत्र पत्रावलियों से गायब, वादकारियों के हितों से किया जा रहा खिलवाड़
प्रतापगढ़। जनपद प्रतापगढ़ की सबसे नव सृजित तहसील रानीगंज है। इसे पट्टी तहसील से अलग किया गया और कुछ हिस्सा सदर तहसील का शामिल किया गया है। जिला मुख्यालय से महज 18 किमी की दूरी पर रायबरेली से जौनपुर NHI पर रानीगंज तहसील स्थित है। फिलहाल प्रतापगढ़ जनपद की इस तहसील में राजस्व अधिकारियों की मनमानी पर कोई अंकुश जिलाधिकारी और मंडलायुक्त सहित शासन भी नहीं लगा सका है। वर्तमान में सदर तहसील में मलाई काटकर रानीगंज पहुँचने वाले तहसीलदार अरविंद कुमार जी की कोई सानी नहीं है। तहसीलदार रानीगंज अरविंद कुमार जी पर सदर तहसील में कई संगीन आरोप लगे, पर उन्होंने अपने कार्य पद्धति में कोई बदलाव नहीं किया और जनता का जमकर शोषण किया। शहरी क्षेत्र के लेखपाल रहे राम प्रकाश सरोज से नॉन ZA की खतौनी अपने पास रखवा ली थी। सदर तहसील से तवादला होने के बाद भी प्राइवेट मुंशियों से मिलकर तहसीलदार अरविंद कुमार जी ने कई विवादित मामले में मोटी रकम लेकर निस्तारित कर दिया था।
सदर तहसील से रानीगंज तहसील में तहसीलदार अरविंद कुमार जी माह सितम्बर में स्थानान्तरण होकर पहुँचे और कुछ दिनों तक रानीगंज तहसीलदार का चार्ज लेने के बाद भी सदर तहसील में तहसीलदार न्यायालय के मामले वह मोटी रकम लेकर उसे निपटाते रहे और नए सदर तहसीलदार को कानोंकान इसकी भनक भी नहीं लग सकी। बाद में जब हो हल्ला हुआ तो अरविंद कुमार जी का सदर तहसील से मोहभंग हो सका। अब तहसीलदार साहेब अरविंद कुमार जी पर बड़ा आरोप लग रहा है कि तहसीलदार न्यायालय रानीगंज में उन पर आरोप है कि उन्होंने अधिवक्ताओं के वकालतनामा व आपत्ति प्रार्थना पत्र पत्रावलियों से निकाल कर फेंकवा दिये और विवादित पत्रावलियों में पैसे लेकर आदेश पारित कर दिए हैं। तहसीलदार अरविंद कुमार जी एससी कोटे से हैं और उसके दम पर अनर्गल कार्य करते रहते हैं। नियम विरुद्ध कार्य करने का विरोध यदि कोई करता है तो उसे फेंक मुकदमें में फंसाने की धमकी भी तहसीलदार अरविंद कुमार जी देते हैं, ताकि वह डर जाये और कोई शिकायत न करे।
भ्रष्ट तहसीलदार का कारनामा उजागर हुआ। विवादित पत्रावलियों से आपत्तियां निकालकर फेंक दी गई थी जो कूड़े की ढेर में मिले हैं, जब इसकी जानकारी अधिवक्ताओं को हुई तो वह आक्रोशित हो गए और जमकर बवाल काटा। सुबह न्यायालय खुलने के बाद अधिवक्ताओं का आक्रोश देखकर भागते हुए तहसीलदार रानीगंज आये। तहसीलदार अरविंद कुमार के द्वारा विवादित पत्रावलियों में अधिवक्ताओं के वकालतनामा व आपत्ति प्रार्थना पत्र को निकालकर आदेश किया जा रहा है। कूड़े की ढेर के रूप में अधिवक्ताओं का वकालतनामा व आपत्ति प्रार्थना पत्र मिला है। तहसीलदार रानीगंज का यह कृत्य देखकर अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। पूर्व में भी तहसील के अधिवक्ताओं के द्वारा भ्रष्ट तहसीलदार के विरुद्ध धरना प्रदर्शन किया गया है, किंतु जिम्मेदार अफसर मौन है। पूरे प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल सहित राजस्व विभाग, उत्तर प्रदेश और जिलाधिकारी एवं मंडलायुक्त को प्रेषित किये गए हैं, परन्तु नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला ही रहा।
तहसीलदार रानीगंज अरविंद कुमार जी के विरुद्ध तहसील दिवस में आए मुख्य राजस्व अधिकारी प्रतापगढ़ महोदय के समक्ष अधिवक्ताओं ने ज्ञापन दिया गया, परन्तु अभी तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई। यक्ष प्रश्न यह है कि यदि इसी प्रकार से न्यायालय में पत्रावलियों से कागजात निकाल कर फेंके जायेंगे तो पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा ? जनमानस में आज भी न्यायालय के प्रति आज भी ईश्वर की तरह आस्था व विश्वाश है। न्याय के लिए उस कुर्सी पर बैठे महानुभाव स्वयं को भगवन तो मान बैठे हैं, परन्तु धन की लालसा में वह राक्षसों से भी बद्तर कारनामें करने में पीछे नहीं हैं। आज भी लोग जब किसी को चुनौती देते हैं तो यही कहते हैं कि तुम्हे हम न्यायालय में घसीटेंगे। आज न्यायालय की दशा और दिशा अरविंद कुमार जैसे हाकिमों ने बिगाड़ कर रख दिया है। पैसे की चाहत और हबस ने अंधा बना दिया है। पैसे के लिए तहसीलदार रानीगंज कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। ऐसा उन पर आरोप है। फिलहाल SDM रानीगंज ने पूरे मामले में तहसीलदार रानीगंज से आख्या माँगी है जो अभी तक नहीं दिए हैं।