किन्नर के घर आए अतिथि भी होते हैं उनके भगवान,जानें किस तरह स्वागत और विदाई की निभाई जाती है रस्म
गोरखपुर। अपने घर आए मेहमानों का लोग दिल से स्वागत करते हुए कहते है अतिथि देवो भव। अपने घर आए मेहमानों की भगवान की तरह पूजा करते हैं। मगर समाज में एक ऐसा वर्ग है, जो अपने मेहमानों का भव्य स्वागत करता है। इनके घर जब कोई मेहमान आता है तो उसका स्वागत और विदाई दोनों बिल्कुल अलग होता है। घर आए मेहमानों का स्वागत तो भव्य होता ही है, साथ ही विदाई और भी धमाकेदार होती है। विदाई में यह लोग अपने मेहमानों को सोने और चांदी के जेबरात देते हैं।
बरगदवा की रहने वाली किन्नर किरन बताती है कि हम लोग भी लोगों की तरह ही समाज का हिस्सा बनकर रहते हैं,लेकिन हम लोग के घर जब मेहमान आते हैं तो खर्च दोगुनी हो जाती है। किरन बताती हैं कि पहले तो जल्दी कोई आता नहीं है, लेकिन किसी दूसरे जगह के किन्नर जब हमारे घर जब मेहमान बनकर आते हैं तो उनका स्वागत भरपूर तरीके से करना होता है। जब वह जाते हैं तो विदाई में उन्हें किलो के हिसाब से सोने चांदी दिए जाते हैं। केवल यहां की यह परंपरा नहीं है, कहीं पर भी किन्नर जब किसी दूसरे किन्नर के घर मेहमान बनकर आते हैं तो इस तरह की परंपरा का निर्वाहन किया जाता है।
किन्नर किरन बताती है कि हम लोगों में एक दूसरे के घर जल्दी कोई मेहमान नहीं आता है, लेकिन जब आता है तो उसका स्वागत और विदाई करनी पड़ती है,लेकिन अक्सर वही हम लोगों के घर मेहमान किन्नर ही आते हैं, कोई दूसरा नहीं होता है।इसलिए सोना चांदी देने की परंपरा चली आ रही है। किन्नर किरन बताती हैं कि समाज में किन्नर लोग भी अपने बहन और बेटी बनाने की परंपरा को नहीं भूलते हैं। जिस तरह से समाज में लोगों के भाई बहन बेटी होती है, वैसे ही किन्नर समाज के लोग भी अपनी बेटी और बहन बनाती है। इस परंपरा में भी यह लोग एक-दूसरे की देख भाल करती हैं और जेवर देखकर रिश्ता जोड़ने की शुरुआत करते हैं।