PRATAPGARH के विधायक  के पीठ पीछे काला धन को सफेद करने वाला शिवम फाउन्डेशन का मालिक निकला नकली तंबाकू की तस्करी करने वाला गैंग का सरगना 

प्रतापगढ़। जनपद प्रतापगढ़ के लिए एक मशहूर कहावत है कि “सौ पढ़ा न एक प्रतापगढ़ा, जे तनकौ पढ़ा ऊ दैयऊ से बड़ा… यह कहावत सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी जब भी प्रतापगढ़ आते हैं तो प्रतापगढ़ियों को खुश करने के लिए अपने उद्बोधन में जरूर शामिल करते हैं। आज यह कहावत प्रतापगढ़ के विधायक राजेंद्र मौर्य उर्फ साधू और उनके संरक्षण में उन्हीं के चिलबिला स्थित मौर्या रिसार्ट में संचालित शिवम् फाउंडेशन द्वारा उ.प्र. कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र का संचालन किया जा रहा था।

नकली तंबाकू की तस्करी का सरगना शिवम जायसवाल, गैंग के साथ नोयडा में किया गया गिरफ्तार

विधायक के पीठ पीछे काला धन को सफेद करने का कौशल दिखाने वाला शिवम जायसवाल औंधे मुंह गिरा जिससे हिली शिवम फाउन्डेशन की नींव…

विधानसभा चुनाव-2022 में भाजपा के टिकट से राजेंद्र मौर्य उर्फ साधू जिन्हें लोग प्यार से काका भी कहते हैं, उन्हें प्रतापगढ़ की जनता ने उनकी सीधे सादे ब्यवहार की वजह से अपना विधायक चुना। विधायक चुने जाने के बाद प्रत्येक विधायक की तरह उनके आगे पीछे भी चांडाल चौकड़ी लग गई और उन्हें पूरी तरह से अपने घेरे में लेकर जकड़ लिया। विधायक राजेंद्र मौर्य उर्फ साधू के यहाँ कई टीमें स्थापित हो गई। पहली टीम बनी उनके बड़े पुत्र आशीष मौर्या उर्फ पिंटू की, जो चुनाव में टिकट लाने और प्रचार प्रसार करने में लगी थी। पिंटू मौर्या स्वयं को भी विधायक मान बैठे और अपने अंदाज में कम करने लगे।

विधायक पुत्र आशीष मौर्य उर्फ पिंटू का साथी शिवम जायसवाल जो सामान्य परिवार से रहा और उन्हीं के सामने शिवम जायसवाल का भी घर है। विधायक बनने से पहले ही शिवम जायसवाल विधायक राजेंद्र मौर्या और उनके बड़े पुत्र पिंटू मौर्या का सागिर्द रहा। दो दिन पहले दिल्ली के वजीरावाद से साउथ दिल्ली के लिए नकली तंबाकू की तस्करी करने वाले गैंग को पुलिस ने दबोचा तो उसमें तस्करी करने वाले गैंग का सरगना शिवम जायसवाल निकला। ये वही शिवम जायसवाल है जो विधायक पुत्र पिंटू मौर्या का दरबारी हुआ करता था और उन्हीं के मौर्या रिसार्ट में शिवम फाउन्डेशन के वैनर तले उ.प्र. कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र का संचालन कर रहा था।

248- प्रतापगढ़ के चुनाव- 2022 में राजेन्द्र मौर्या को भाजपा से टिकट मिल तो गया, परन्तु ये बात बहुत सारे लोगों को नागवार गुज़री और उन्हें शिकस्त देने के लिए भीतर और बाहर लोग लग गए। सबसे अधिक दु:खी व निराश नपाध्यक्ष हरि प्रताप सिंह हुए थे।उन्होंने तो पूरी ताकत लगा दी थी कि राजेंद्र मौर्य उर्फ काका को टिकट न मिले और टिकट मिलने के बाद भी वह सदर मोड़ पर जाम लगवा दिए, फिर भी राजेंद्र मौर्य बाइक पर सवार होकर नामांकन कक्ष तक पहुँचने में सफल रहे। चुनाव में जीत का परचम भी लहराया और उसके बाद उनकी टीम में पहले प्रतिनिधि बनने की होड़ मची और अंत में अरुण मौर्या उनका भांजा प्रतिनिधि बना। बेटा आशीष मौर्य उर्फ पिंटू भी विधायक के हाव भाव में रहने लगा। इस तरह विधायक की शक्ति की तीन धुरी बनकर तैयार हुई।

नकली तम्बाकू की तस्करी से हुई एक वर्ष में करोड़ों रूपये की कमाई

यक्ष प्रश्न है कि नकली तंबाकू की तस्करी के लिए शिवम जायसवाल को करोड़ों रूपये की किसने दी पूंजी…???

नकली तंबाकू की तस्करी करने वाला गैंग का सरगना शिवम जायसवाल भी स्वयं को किसी विधायक से कम नहीं समझता था और उसका हाव-भाव पूरी तरह विधायक से कम न था। उसे पता था कि सैंय्या भये कोतवाल तो डर काहे का… उसके पास विधायक और विधायक पुत्र का जो तमगा मिल गया था। उसी की आड़ में वह अपना सारा अवैध कार्य करता था। शिवम फाउन्डेशन के वैनर तले संचालित उ.प्र. कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र की मान्यता के लिए मानक को ताक पर रखकर रसमलाई, चाय, नमकीन और वजनदार लिफाफा के बल पर अधिकारियों से उसकी मान्यता तो प्राप्त कर ली। फिर काले धन को सफ़ेद करने में शिवाम जायसवाल जुट गया।

चिलबिला का कर्ताधर्ता विधि स्नातक, व्यवसाई रामजी जायसवाल का बड़ा बेटा शिवम जायसवाल उम्र तकरीबन 26 साल दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की का सिलसिला जो शुरू हुआ तो दो दिन पहले उसके इस मिशन में दिल्ली और नोयडा की संयुक्त छापेमारी में ब्रेक लग गया। प्रतापगढ़ का जिला प्रशासन और पुलिस महकमें के साथ आयकर विभाग कुम्भकरनी नींद में सोया हुआ था, परन्तु दिल्ली के स्पेशल पुलिस और नोयडा पुलिस जग रही थी और शिवम जायसवाल के काले कारनामों को उजागर करते हुए उसके चेहरे से रईसी का नकाब उतार दिया। नोएडा पुलिस एक ट्रक में 1500 बोर आलू के बीच लगभग 2 करोड़ रुपए की नकली तंबाकू जो साउथ इंडिया तस्करी के लिए जा रही थी, उस ट्रक को दबोचा तो उसके साथ शिवम फाउन्डेशन का मालिक शिवम जायसवाल भी पकड़ा गया और वह तस्करी गैंग का सरगना निकला।

अब तो शिवम फाउन्डेशन के मालिक के चेहरे से नकाब उतर चुका था। उसकी काली करतूते चीख-चीख कर बया कर रही थी। कम समय में बड़ा आदमी बनने के फ़िराक में शिवम जायसवाल भी सॉर्ट कट तरीका अपनाया और जीवन बदलने की राह पर कुछ साथियों संग चल पड़ा।  उसे इस बात का एहसास तनिक भी नहीं रहा होगा कि उसके इस खेल का पर्दाफाश इतनी जल्दी हो जाएगा। परन्तु जब पाप का घड़ा भर जाता है तो वह स्वयं चटक जाता है। इस तरह नकली तंबाकू की तस्करी गैंग का संचालन करते हुए दिल्ली/नोयडा पुलिस द्वारा गिरफ्तारी होते ही शिवम फाउन्डेशन के मालिक शिवम जायसवाल के कौशल से विधायक प्रतापगढ़ और उनके बड़े पुत्र सहित शिवम फाउन्डेशन की नींव हिल गई और मौर्या रिसार्ट में संचालित शिवम फाउंडेशन द्वारा उ.प्र. कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र का संचालन औंधे मुंह गिर पड़ा।

नकली तम्बाकू तस्करी का गैंग लीडर शिवम जायसवाल डीएम प्रतापगढ़ की मीटिंग में होता था, शामिल…

काले धन को सफ़ेद करने वाला शिवम जायसवाल जिलाधिकारी प्रतापगढ़ के द्वारा आयोजित कांफ्रेंस हाल में शामिल होकर विधायक के रुतबे का करता था, इस्तेमाल…

गौर करने वाली बात यह है कि शिवम जायसवाल का रहन सहन, शिक्षा दीक्षा, बात व्यवहार कुछ इस प्रकार था कि आम जनमानस तो दूर पसोड़ के अति सज्जन ईमानदार और सफल व्यवसाई विधायक भी उससे प्रभावित होकर उसकी कुटिल नीति का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शिकार हो गए। विधायक जी कहते हैं कि शिवम जायसवाल पड़ोस का लड़का है। बचपन से देखने में और ब्यवहार में सीधा सादा था। इसलिए उन्होंने अपने मौर्या रिसार्ट में शिवम् फाउंडेशन द्वारा उ.प्र. कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र का संचालन करने की इजाजत दी थी, उन्हें नहीं पता था कि यह इतना बड़ा नटवरलाल निकलेगा। फ़िलहाल अब वह ऐसे लोंगों से सतर्क और होशियार रहने की कोशिश करेंगे।

मामला कुछ ऐसा है कि शिवम जायसवाल उम्र में भले ही अभी कम है, पर व्यापारी परिवार में जन्म लेने से उसका दिमाग व्यवसाय में परिपक्व हो चुका है। बचपन की गरीबी और समाज के चमक दमक के बीच उसने कब असंवैधानिक तरीके से धनोपार्जन की राह पकड़ी। यह कहना तो मुश्किल है, पर अपने गृह जनपद प्रतापगढ में जिस प्रकार वर्तमान विधायक राजेन्द्र मौर्य की सज्जनता और व्यवहारिकता का अनुचित लाभ शिवम जायसवाल ने उठाया, वो कबीले गौर है। शिवम जायसवाल के दिल्ली, नोएडा, तमिलनाडु, कर्नाटक में फैले अवैध कारोबार की जानकारी अब देश के सभी समाचार एजेंसी द्वारा प्रकाशित और प्रसारित हो चुकी है। साथ ही जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।

विधायक पुत्र आशीष मौर्या का मित्र शिवम जायसवाल निकला नकली तम्बाकू के तस्करी का सरगना…

शिवम् फाउंडेशन द्वारा उ.प्र. कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र के संचालन हेतु दिए गए मौर्या रिसार्ट का विधायक प्रतापगढ़ और उनके पुत्र नहीं लेते थे, किराया 

साल- 2014 से देश में फैले भाजपा सागर की मोदी लहर के ज्वार भाटा में इतनी कौशल पूर्ण पतवार शिवम ने संभाली कि साल- 2022 में पड़ोसी काका जी के विधायक बनते ही उनके बच्चों से मित्रता को सीढ़ी बनाते हुए विधायक जी की अनुकंपा की छत्रछाया में कमाए हुए अवैध धन को उ.प्र. कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र खोलकर वास्तविक कमाई में बदलने की प्रकिया में विधायक जी को अपने प्रभाव से शामिल कर लिया। तभी तो चिलबिला स्थिति मौर्या रिसार्ट के प्रथम तल पर ब्लैक मनी को व्हाईट मनी का कार्य बेधड़क करने लगा। विभागीय अधिकारियों द्वारा मानक परीक्षण के समय खुले हाथ खर्चे और विधायक जी का परिचय और नि:शुल्क बने किराएदारी नामे के आगे सारा सिस्टम नतमस्तक होता चला गया।

सैया भए कोतवाल तो डर काहे का… वाली लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए शिवम ने विधायक जी को अंधेरे में रखते हुए कौशल प्रशिक्षण का एक सत्र पूरा कर लिया और प्रशिक्षण केन्द्र के तय मानक को दरकिनार करते हुए दूसरे सत्र को प्रतापगढ़ सहित अन्य जिलों में भी आरम्भ करने की जुगत में होने वाले खर्च को जोड़ने के मकसद से अपने अवैध कारोबार में सक्रियता से संलग्न हो गया। बुरे काम का बुरा नतीजा वाली कहावत शायद वो भूल चुका था, नकली तम्बाकू के तस्करी के अवैध कार्य से बरसते पैसे को बटोरने की फ़िराक में और फिर बेपरवाही से किए जा रहे अवैध कारोबार पर पड़ी कानून की नजर और पकड़ी गई नकली तंबाकू से भरी ट्रक अब सार्वजनिक हो चुकी है। चिलबिला सहित जिले के लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं कि विधायक भले ही भोले भाले हैं, परन्तु उनका बड़ा पुत्र शातिर है और कहीं न कहीं शिवम जायसवाल के साथ उसकी भी संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता। फ़िलहाल यह जाँच का विषय है।

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