अवसाद के मरीजों के लिए मेडिकल कॉलेज में नहीं हैं दवाएं, मरीजों को लिखी जा रही हैं बाहर की दवाएं
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के बड़के जिले प्रतापगढ़ में बड़े-बड़े कारनामे होते हैं। अब एक नया कारनामा सामने आया है। यहां मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइक्रेट्रिक विभाग में अवसाद के मरीजों के लिए दवाएं ही नहीं हैं। परामर्श के बाद मरीजों को बाहर की दवा लिखी जा रही है। एक मरीज को एक महीने की दवा लेने के लिए लगभग डेढ़ हजार रुपया खर्च करना पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज में दवा न मिलने से मरीज परेशान हो रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में न्यूरो साइक्रेट्रिक डॉ. अमित यादव तैनात हैं।ओपीडी में हर रोज लगभग 15 से 20 मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं।
मेडिकल कॉलेज के दवा भंडार में न्यूरो साइक्रट्रिक की दवाएं ही नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को मजबूरी में बाजार से महंगी दवाएं खरीदना पड़ रहा है। मरीज जब न्यूरो की बीमारी की दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर जाते हैं तो मेडिकल स्टोर पर उन्हें मना कर दिया जाता हैं। मेडिकल स्टोर वालों का कहना है कि नारकोटिक्स श्रेणी की दवाएं बेचने में झंझट बहुत है। पर्चे की काॅपी लेने के साथ लिखापढ़ी के बाद न्यूरो की दवाएं देने का निर्देश है।
मरीजों को काफी इंतजार और मिन्नत के बाद मेडिकल स्टोर से दवा मिल पाती है। दवाओं का दाम भी मनमाना रहता है, किसी तरह की छूट नहीं दी जाती। मरीजों की इस परेशानी पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।
जानें क्या बोले मरीज…
न्यूरो साइक्रेट्रिक के पास मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने गई थी। डॉक्टर ने कुछ दवा सरकारी तो कुछ मेडिकल स्टोर से खरीदने के लिए कहा। सरकारी अस्पताल के दवा काउंटर पर दवा नहीं मिली। मेडिकल स्टोर पर दवा लेनी पड़ी।
संतोषी, दहिलामऊ।
मेरा इलाज प्रयागराज के न्यूरो साइक्रेट्रिक से चल रहा है। मुझे पता चला कि मेडिकल कॉलेज में अब इलाज शुरू हो गया है। डॉक्टर से संपर्क किया। दवा लिखाई, लेकिन दवा मेडिकल कॉलेज में नहीं मिली।मजबूरन में डेढ़ हजार रुपये में एक महीने की दवा बाजार से खरीदनी पड़ी। आशुतोष कुमार, अजीत नगर
सूत्रों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों को इस भीषण ठंड में सिर्फ एक कंबल दिया जा रहा है। एमरजेंसी का हाल बुरा है