उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी विभागीय उच्चाधिकारियों को जारी किए आवश्यक दिशा-निर्देश
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल को शानदार ढंग से संचालित करने के लिए अभी से कस ली कमर, कामचोर और निकम्में किस्म के अफसरों और कर्मचारियों को चिन्हित करके उन्हें सुधरने के लिए चलाया जायेगा अभियान…
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट लहजों में सूबे की बेलगाम नौकरशाही को आगाह किया कि आम लोगों की समस्याओं के निस्तारण की जवाबदेही तय होनी चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि लेटलतीफी अथवा एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी विभागाध्यक्षगण अपने अधीनस्थ कार्यालयों का औचक निरीक्षण करें। कार्यालयों में स्वच्छता, निस्तारित होने के लिए लंबित फाइल की स्थिति, जन शिकायतों के निस्तारण की स्थिति, कार्मिकों की उपस्थिति, समय बद्धता आदि की वस्तु स्थिति का परीक्षण किया जाय। इस बार निजाम शपथ ग्रहण समारोह के दिन से ही बदले-बदले नजर आ रहे हैं। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने बिना झिझक इस बात को सार्वजनिक रूप से माना कि उनका पहला कार्यकाल वर्ष-2017-2022 बिना अनुभव का रहा। इस बार उन्हें पाँच सालों का कार्य जो उन्होंने किया है, उसका अनुभव उन्हें है। इसलिए योगी राज-2 अधिक प्रभावशाली होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते कोरोना काल में प्रभावित हुए शैक्षिक कार्यों को ध्यान में रखते हुए अफसरों को निर्देशित करते हुए कहा कि कोरोना के कारण विगत दो शैक्षिक सत्र प्रभावित रहे हैं। भौतिक पठन-पाठन नहीं हो सका है। आगामी सत्र की शुरुआत से पूर्व स्कूल चलो अभियान को वृहद स्वरूप दिया जाना आवश्यक है। विभागीय मंत्री के परामर्श से अभियान के संबंध में विस्तृत कार्य योजना कर तैयार ली जाए। एक भी बच्चा स्कूल जाने से और शिक्षा ग्रहण करने से वंचित न रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा और स्वास्थ्य के मूल ढांचे में अमूल चूर्ण परिवर्तन करना चाहते हैं। शिक्षा के नाम पर अब किसी तरह की बहानेबाजी नहीं चलेगी। सच बात तो यह है कि शिक्षा विभाग में घपले-घोटालों के साथ-साथ कार्य न करने की जो परम्परा स्थापित हो चुकी है,उसे समाप्त कर शिक्षकों को स्कूल में प्रतिदिन समय के साथ उपस्थित होना पड़ेगा और पठन-पाठन का कार्य करना होगा। खासकर बेसिक शिक्षा में प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में बच्चों को स्कूल में उनकी संख्या बढ़ाने के लिए भी अभियान चलाना होगा।