इलाहाबाद HC के फैसले को क्या सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में देगी चुनौती,पंढेर-कोली को मिली है राहत
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के चमक दमक वाले शहर नोएडा का दिल को झकझोर देने वाला निठारी कांड में सुरेंद्र कोली को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को 2 मामलों में बरी कर दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को रद्द करते हुए दोनों को दोषमुक्त कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सजायाफ्ता सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की अपीलों को मंजूर कर लिया। मनिंदर सिंह पंढेर को अब किसी मामले में भी सजा नहीं बची है। फैसला आने के बाद पंढेर को नोएडा जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
इस पूरे मामले में फैसला आने के बाद सीबीआई ने असहमति जताई है। हाईकोर्ट के इस फैसले से सीबीआई खुश नहीं है और अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कह रही है।वहीं मनिंदर सिंह पंढेर को 2 मामलों में बरी कर दिया गया है। पंढेर के खिलाफ निठारी कांड में कुल 6 मामले थे, जिसमें से तीन मामलों में वह सीबीआई की ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुका है। वहीं एक मामले में हाईकोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था। बाकी बचे दो मामलों में हाईकोर्ट ने आज सोमवार को फांसी की सजा को रद्द करते हुए बरी कर दिया है। बता दें कि साल 2006 में निठारी कांड का खुलासा हुआ था।इस मामले में गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट के फैसले से सीबीआई खुश नहीं…
सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर पर आज आए फैसले से सीबीआई खुश नहीं है। सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। सीबीआई के वकील संजय कुमार यादव ने कहा है कि हाईकोर्ट ने इन्हीं सबूतों के आधार पर कोली को मिली फांसी की सजा पर मुहर लगाई है। ऐसे में हाईकोर्ट का फैसला हैरान करने वाला है। जजमेंट का अध्ययन करने के बाद सीबीआई की लीगल विंग को इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सिफारिश की जाएगी।
पंढेर की वकील ने क्या कहा…
मनिंदर सिंह पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने बताया कि केस में हमने तीन अपील दाखिल की थी। एक साल 2010 से पहले का मामला था। साल 2010 में इसमें पंढेर बरी किए गए। साल 2017 में दो मामले दर्ज हुए। उसमें सेशन कोर्ट ने पंढेर को फांसी की सजा सुनाई। इन तीनों में पंढेर बरी हो गए, जबकि तीन मामलों में पंढेर सेशंस कोर्ट से ही बरी हो गए थे। कोर्ट का जजमेंट अभी हमने पढ़ा नहीं है। हमने फांसी की सजा को चुनौती दी थी।