फरीदाबाद एनकाउंटर में क्राइम ब्रांच इंचार्ज पर FIR: बदमाश बबलू की गोली लगने से हुई थी मौत; परिजनों ने लगाया था हत्या का आरोप
हरियाणा के जिला फरीदाबाद में बीते 17 सितंबर की रात 2:00 बजे पावटा गांव में तीन बदमाशों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में बलविंदर उर्फ बबलू निवासी पावटा गांव के रहने वाले बदमाश की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई थी, जिसके बाद आज पुलिस के खिलाफ हत्या की धाराओं के तहत FIR दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि मृतक बलविंदर उर्फ बबलू के खिलाफ चोरी लूट जैसी धाराओं के तहत चार अलग-अलग थाने में मुकदमे दर्ज थे, लेकिन मृतक बबलू के परिजन इसे एनकाउंटर नहीं पुलिस द्वारा जानबूझकर की गई हत्या बता रहे थे। घटना के बाद गुस्साए परिजनों ने मृतक बबलू के शव को लेने से इनकार कर दिया था।
अन्य दो आरोपियों ने बबलू को पहचानने से किया इनकार…
मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया कि बबलू की मुठभेड़ के दौरान मौत नहीं हुई है बल्कि उसे जानबूझकर गोली मारी गई है। इसलिए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। जिसके बाद केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के हस्तक्षेप के बाद आज 19 सितंबर को एनकाउंटर में शामिल क्राइम ब्रांच सेक्टर 48 के इंचार्ज सहित उनकी टीम के खिलाफ हत्या की धारा के तहत मुकदमा दर्ज का जांच शुरू की गई है। FIR दर्ज होने के बाद परिजन मृतक बबलू के शव को लेने के लिए तैयार हुए और शांतिप्रिय ढंग से बबलू का दाह संस्कार कर दिया। वहीं, इस मामले में तब नया मोड़ आ गया जब एनकाउंटर के दौरान गिरफ्तार किए गए अरविंद और अनूप उर्फ छलिया ने मीडिया के सामने आकर अपना पक्ष रखा। कहा कि वह मृतक बबलू को जानते ही नहीं थे।
पुलिस की गाड़ी देख बबलू ने ताना था कट्टा…
मृतक बबलू तो उन्हें भिवाड़ी स्थित बाबा मोहन राम के मंदिर में पार्किंग में मिला था। उसने उनकी गाड़ी पर लिखे नंबरों को देखकर उनसे पूछा कि क्या वह उसे फरीदाबाद में छोड़ देंगे। इसके बाद उन्होंने बबलू को अपनी गाड़ी में बैठा लिया और खोरी के पास आते-आते पीछे से आई पुलिस गाड़ी ने उन्हें रुकने का इशारा किया, लेकिन बबलू ने उन दोनों के ऊपर कट्टा तान दिया। गाड़ी को भगाने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने गाड़ी भगाई, लेकिन पावटा गांव में जाकर गाड़ी आगे नहीं जा सकी और बबलू गाड़ी से निकलकर भागा। पुलिस पर फायरिंग की, इसके बाद जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने बबलू के ऊपर फायरिंग की। बबलू नीचे बैठ गया, जिसके चलते उसकी छाती में गोली जा लगी और मौत हो गई।
अरविंद-अनूप के बयान के बाद परिजनों में गुस्सा…
वहीं, अरविंद और अनूप उर्फ छलिया के इस बयान के बाद मृतक बबलू के परिजन काफी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि हत्या, 307 जैसी संगीत धाराओं के आरोपियों को पुलिस ने एनकाउंटर के दौरान पकड़ा और तत्काल प्रभाव से छोड़ दिया। अब दोनों बबलू को पहचानने से इनकार कर रहे हैं। लेकिन उनका मानना है कि वह पुलिस के दबाव में ऐसा कह रहे हैं। क्योंकि उनके पास यह सबूत है कि बबलू अरविंद और अनूप उर्फ छलिया तीनों आपस में पुराने दोस्त थे। पुलिस द्वारा दबाव के चलते दोनों ऐसे बयान दे रहे हैं। उनके पास जो सबूत हैं, उससे साफ हो जाएगा कि दोनों पुलिस के दबाव में आकर झूठ बोल रहे हैं। दूध का दूध और पानी का पानी सबूत के आने के बाद हो जाएगा।
मीडिया के कैमरे से बचते नजर आए एसीपी मुजेसर…
वहीं, इस मामले में जब एसीपी मुजेसर से यह जानने का प्रयास किया गया कि किन-किन धाराओं के तहत एनकाउंटर में शामिल पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है तो वह मीडिया को देखते ही झल्ला गए और मीडिया के माइक को हटाकर कैमरे से बचते नजर आए।