Loksabha Election 2024: रामपुर संसदीय सीट का राजनीतिक इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा गणित
Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक रामपुर सीट है। यह सीट साल- 1952 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर पहला चुनाव देश के शिक्षा मंत्री रहे भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद जीते थे। इसके बाद साल- 1967 से लंबे समय तक इस सीट पर नवाब परिवार का कब्जा रहा। नवाब जुल्फिकार अली खान पहले कांग्रेस से साल-1967 और साल- 1971 में लगातार दो बार यहां सांसद बने। फिर साल- 1977 की जनता पार्टी की लहर में राजेंद्र शर्मा इस सीट से सांसद चुने गए, लेकिन उसके बाद साल- 1980, 1984 और साल- 1989 के लगातार तीन चुनाव जीत कर नवाब जुल्फिकार अली खान ने हैट्रिक लगाई थी।
मुस्लिम बाहुल्य रामपुर संसदीय सीट पर पहले कांग्रेस का कब्ज़ा रहा, बाद में सपा ने आजम खान के जरिये छीन लिया और उप चुनाव-2022 में सेंधमारी कर लिया सीट कब्जा
साल- 1996 और साल- 1999 में कांग्रेस के सिंबल पर ही नवाब परिवार की बेगम नूर बानो ने जीत का परचम लहराया। ये सीट नवाब खानदान के साथ ही कांग्रेस का गढ़ रही। लेकिन साल- 2001 के दशक से सपा का गढ़ कहलाने लगी और साल-2004 से साल- 2014 तक यहां की सांसद सपा से फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा रही। हालांकि साल- 2019 के पिछले चुनाव में सपा के कद्दावर नेता आजम खां ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी के कमल पर लड़ रही जयाप्रदा को बड़े अंतर से चुनाव हराया था। लेकिन साल- 2022 के उपचुनाव में यहां से बीजेपी के घनश्याम लोधी ने सपा उम्मीदवार को हराकर हार-जीत का हिसाब बराबर कर लिया।
रामपुर में विधानसभा की सीटें…
इस संसदीय क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें स्वार, चमरौआ, बिलासपुर, रामपुर सदर और मिलक सुरक्षित शामिल हैं। जिसमें साल- 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी को तो 2 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी। लेकिन मई, 2023 में स्वार विधानसभा सीट पर कराए गए उप चुनाव में जीत अपना दल (सोनेलाल) के खाते में चली गई। रामपुर विधानसभा सीट से चुने गए विधायक अब्दुल्ला आजम खान बाद में अयोग्य घोषित कर दिए गए, जिस वजह से उप चुनाव कराए गए और बीजेपी गठबंधन को जीत मिल गई। रामपुर विधानसभा सीट पर अब तक मुस्लिम उम्मीदवार ही विजयी होता रहा है, लेकिन उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने जीत हासिल कर ली। अब 4 विधानसभा पर बीजेपी और एक विधानसभा पर सपा का कब्जा है। रामपुर जिला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद डिवीजन में आता है। यह जिला उत्तर में उधम सिंह नगर जिला, पूर्व में बरेली, पश्चिम में मुरादाबाद और दक्षिण में बदायूं जिले से घिरा हुआ है।
रामपुर सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या…
रामपुर लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख, 69 हजार, 479 है। कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की संख्या- 8 लाख, 97 हजार, 237 है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या- 7 लाख, 72 हजार, 182 है। वहीं ट्रांसजेंडर के कुल 162 मतदाता शामिल हैं।
रामपुर संसदीय सीटः आजम खान के गढ़ में BJP ने खिलाया कमल, क्या 2024 में सपा ले सकेगी बदला….?
रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण के लिहाज देखें तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की सबसे अधिक है। मुस्लिम वोटर्स के बाद लोधी वोटर्स आते हैं। यही वजह थी कि बीजेपी ने यहां उपचुनाव में लोधी विरादरी के घनश्याम को अपना प्रत्याशी बनाया था, जिसका फायदा भी मिला और वो चुनाव जीत गए। रामपुर में मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 फीसदी है।
बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी से सपा प्रत्याशी होगा कमजोर, भाजपा को मिल सकता है, फायदा
उत्तर प्रदेश की सियासत में रामपुर लोकसभा सीट की अपनी खासियत है। यह सीट प्रदेश के दिग्गज नेता आजम खान की वजह से जानी जाती है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने की वजह से रामपुर सीट पर सभी की नजर रहती है। प्रदेश की 80 सीटों में यह उन सीटों में से है, जहां पर साल- 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई थी। हालांकि साल- 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में जीत के बाद आजम खान ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव-2022 में बीजेपी ने यहां पर भी कब्जा जमा लिया। बीजेपी ने एक बार फिर साल- 2024 के चुनाव में घनश्याम सिंह लोधी को मैदान में उतारा है, जबकि INDIA गठबंधन की ओर से मुहिबुल्लाह चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं तो वहीं बसपा ने अपना प्रत्याशी जीशान खान को बनाकर सपा और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार के मतदाताओं में सेंधमारी का कार्य किया है। इसका फायदा भाजपा को होना तय है।
साल- 2019 में सपा को मिली थी, जीत
साल- 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां पर समाजवादी पार्टी के आजम खान विजयी हुए थे। आजम खान समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के साझे उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे और उन्होंने 2 बार की सांसद रहीं फिल्म अत्रिनेत्री जयाप्रदा को हराया था। आजम को 5 लाख, 59 हजार 177 वोट मिले तो बीजेपी की जयाप्रदा को 4 लाख, 49, हजार 180 वोट मिले थे। उन्होंने 1 लाख, 9 हजार, 997 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की थी।
रामपुर संसदीय सीट पर साल-2022 में हुए थे, लोकसभा का उप चुनाव
हालांकि आजम खान लंबे समय तक सांसद नहीं रह सके, क्योंकि साल- 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद यहां पर कराए गए उपचुनाव में बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी ने समाजवादी पार्टी से यह सीट झटक ली। घनश्याम सिंह ने 42,192 मतों के अंतर से सपा उम्मीदवार और आजम खान के खास कहे जाने वाले मोहम्मद असीम रजा को हराया था। साल- 2019 के चुनाव में रामपुर सीट पर कुल 16 लाख, 58 हजार, 551 वोटर्स थे, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 8 लाख, 94 हजार, 331 थी, तो वहीं महिला वोटर्स की संख्या 7 लाख, 64 हजार 121 थी। इसमें से कुल 10 लाख, 60 हजार 921 वोट पड़े थे।
साल- 2014 में भाजपा को मिली थी, जीत
रामपुर लोकसभा सीट पर वर्ष- 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान 16 लाख, 16 हजार, 972 मतदाता दर्ज थे। उस चुनाव में BJP पार्टी के प्रत्याशी डॉ. नेपाल सिंह ने कुल 3 लाख, 58 हजार, 616 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्हें लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 22.18 प्रतिशत ने समर्थन दिया था और उन्हें उस चुनाव में डाले गए वोटों में से 37.42 प्रतिशत वोट मिले थे। उधर, दूसरे स्थान पर सपा के उम्मीदवार नसीर अहमद खान रहे, जिन्हें 3 लाख, 35 हजार, 181 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था। लोकसभा चुनाव -2014 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 23हजार, 435 मतों का रहा।
साल- 2009 में सपा को मिली थी, जीत
उत्तर प्रदेश राज्य की रामपुर संसदीय सीट पर वर्ष- 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान 11 लाख, 54 हजार, 544 मतदाता मौजूद थे, जिनमें से सपा उम्मीदवार जयाप्रदा नाहटा ने 2 लाख, 30 हजार, 724 वोट पाकर जीत हासिल की थी। जयाप्रदा नाहटा को लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 19.98 प्रतिशत वोटरों का समर्थन हासिल हुआ था, जबकि चुनाव में डाले गए वोटों में से 38.06 प्रतिशत वोट उन्हें मिले थे। दूसरी तरफ, उस चुनाव में दूसरे स्थान पर INC पार्टी के उम्मीदवार बेगम नूर बानो थी, जिन्हें 1 लाख, 99 हजार, 793 मतदाताओं का साथ मिल सका था। लोकसभा चुनाव- 2009 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 30 हजार, 931 रहा था।
साल- 2004 में सपा को मिली थी, जीत
रामपुर संसदीय सीट पर वर्ष- 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के सपा उम्मीदवार जयाप्रदा ने 2 लाख, 89 हजार, 390 वोट पाकर जीत हासिल की थी। दूसरी तरफ, उस चुनाव में दूसरे स्थान पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बेगम नूर बानो थी, जिन्हें 2 लाख, 3 हजार, 916 मतदाताओं का साथ मिल सका था। लोकसभा चुनाव- 2004 में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 85 हजार, 474 रहा था।
रामपुर सीट का संसदीय इतिहास
रामपुर संसदीय सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस सीट पर पहला चुनाव साल-1952 हुआ और इस सीट पर अबुल कलाम आजाद ने परचम लहराया, जो देश के पहले शिक्षा मंत्री बने। मुस्लिम बहुल सीट होने की वजह से यह सीट हमेशा चर्चा में रही है। ज्यादातर मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीते हैं। अब तक हुए 17 चुनावों में 12 बार मुस्लिम उम्मीदवार ही विजयी हुए हैं।
वहीं रामपुर लोकसभा सीट पर 5 चुनावों में ही हिंदू प्रत्याशियों के खाते में जीत गई है। साल- 1977 के चुनाव में पहली बार लोक दल के प्रत्याशी राजेंद्र कुमार शर्मा के रूप में हिंदू उम्मीदवार को जीत मिली थी। फिर दूसरी बार राजेंद्र कुमार शर्मा को ही जीत मिली। उन्हें बीजेपी के टिकट पर 1991 में जीत मिली थी। फिर 3 चुनाव में मिली हार के बाद साल- 2004 में सपा की प्रत्याशी तब आजम खान की खास रहीं जयाप्रदा ने जीत हासिल की थीं। वह साल- 2009 के चुनाव में भी विजयी हुई थीं। हालांकि साल- 2014 के चुनाव में देश में चले मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में आ गई और डॉ. नेपाल सिंह विजयी हुए।
नवाब खानदान से नाता रखने वाले जुल्फीकार अली खान उर्फ मिक्की मियां रामपुर से 5 बार चुनाव जीता
कांग्रेस की हालत यहां पर खराब होती जा रही है। कभी 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस यहां पर लगातार चुनाव जीतती रही। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में साल- 1977 में जनता दल के राजेंद्र कुमार शर्मा चुनाव जीते थे। साल- 1980 में कांग्रेस ने रामपुर सीट पर फिर से जीत हासिल की। नवाब खानदान से नाता रखने वाले जुल्फीकार अली खान उर्फ मिक्की मियां ने यहां से 5 बार चुनाव जीता। मिक्की मियां ने साल- 1967 में पहली बार कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सांसद बने थे। साल- 1971, 1980, 1984 और साल- 1989 में भी वह विजयी हुए थे। साल- 1996 और साल- 1999 में कांग्रेस की प्रत्याशी बेगम नूर बानो को जीत मिली थी।
रामपुर संसदीय सीट का राजनीतिक समीकरण
हालांकि बेगम नूर बानो को साल- 1998 में बीजेपी के प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। साल- 1999 के चुनाव में बाजी पलट गई और बेगम ने मुख्तार अब्बास नकवी को हराते हुए पिछली हार का बदला लिया और दूसरी बार सांसद बनीं। फिर यहां से कांग्रेस को अपनी पहली जीत का इंतजार है। यहां से रामपुर में बीजेपी और सपा के बीच ही टक्कर होती रही है। रामपुर लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण के लिहाज देखें तो यहां पर मुस्लिम मतदाताओं की सबसे अधिक है। मुस्लिम वोटर्स के बाद लोधी वोटर्स आते हैं। यही वजह थी कि बीजेपी ने यहां उपचुनाव में लोधी (घनश्याम) को अपना प्रत्याशी बनाया था, जिसका फायदा भी मिला और वो चुनाव जीत गए। रामपुर में मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 55 फीसदी हैं तो हिंदू वोटर्स की संख्या 43 फीसदी है।