Akbarpur_Lok_Sabha_Seat: आईये जाने अकबरपुर लोकसभा सीट का इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित

Loksabha Election 2024: प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक है अकबरपुर लोकसभा सीट। अकबरपुर लोकसभा सीट को ही कानपुर देहात सीट कहा जाता है। यह लोकसभा सीट साल- 2009 में अस्तित्व में आई है। इससे पहले यह सीट बिल्हौर लोकसभा सीट के तहत आती थी। साल- 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राजाराम पाल यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। लेकिन साल- 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते बीजेपी के देवेंद्र सिंह ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली और बीते एक दशक से इस सीट पर काबिज है।

अकबरपुर लोकसभा सीट (Akbarpur Loksabha Seat) को ही कानपुर देहात की लोकसभा सीट मानी जाती है। जबकि अकबरपुर लोकसभा सीट में रनियां विधानसभा को छोड़कर बाकी सभी सीटें कानपुर नगर की आती हैं। कानपुर नगर से टूट कर अलग होने के बाद कानपुर देहात जिला अस्तित्व में आया था। प्रदेश में जब मायावती की सरकार की थी, तो उन्होंने कानपुर देहात का नाम बदलकर रमाबाई नगर कर दिया था। लेकिन साल- 2012 में जब प्रदेश में सपा की सरकार आई, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रमाबाई नगर नाम हटाकर फिर से कानपुर देहात कर दिया था।

अकबरपुर लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास 

अकबरपुर सीट साल- 2009 से पहले बिल्हौर संसदीय सीट के रूप में जानी जाती थी। बिल्हौर सीट पर साल- 1957 से साल- 1971 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। लेकिन साल- 1977 में भारतीय लोकदल के रामगोपाल सिंह यादव ने यहां से चुनाव जीता। वहीं साल- 1980 में कांग्रेस के राम नारायण त्रिपाठी और साल- 1984 में कांग्रेस के जगदीश अवस्थी ने इस सीट पर जीत हासिल की।

कांग्रेस से बगावत करने के बाद साल- 1989 में अरुण नेहरू को जनता दल ने यहां से चुनाव लड़ाया और अरुण ये चुनाव जीत गए। इसके बाद साल- 1991 में बीजेपी के श्याम बिहारी मिश्र साल- 1999 तक लगातार यहां से सांसद रहे। साल- 2004 के चुनाव में बसपा के राजा रामपाल चुनाव जीते, लेकिन साल- 2007 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम लिया। इसके बाद साल- 2007 में हुए उपचुनाव में बसपा के अनुज शुक्ला वारसी सांसद बने, इसके बाद ये सीट अकबरपुर लोकसभा सीट बन गई।

अकबरपुर लोकसभा सीट के तहत कुल 5 विधानसभा सीटें

अकबर लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें अकबरपुर रानिया, बिठूर, कल्याणपुर, महाराजापुर और घाटमपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। पांच सीटें कानपुर देहात जिले में आती हैं। जिनमें से घाटमपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मौजूदा समय में पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। साल- 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। सपा ,बसपा ने बीजेपी को टक्कर तो दी, लेकिन कही भी जीत हासिल नहीं कर सके।

लोकसभा सीट अकबरपुर में मतदाताओं की संख्या 

साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या- 17 लाख, 30 हजार, 947 थी। जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या- 9 लाख, 44 हज़ार, 240 थी। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 7 लाख, 86 हज़ार, 590 थी। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 117 रही।

साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

 साल- 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के भानू प्रताप सिंह ने सपा के घनश्याम अनुरागी को चुनाव हराया था। साल- 2004 में भानू प्रताप को कुल 1 लाख, 95 हज़ार, 228 वोट मिले थे, जबकि सपा के घनश्याम अनुरागी को कुल 1 लाख, 68 हज़ार, 437 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बसपा के बृजलाल खाबरी रहे। खाबरी को कुल 1 लाख, 57 हज़ार, 559 वोट मिले।

साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

परिसीमन के बाद बिल्हौर से अकबरपुर लोकसभा सीट में जब पहली चुनाव हुए तो यहां कांग्रेस के राजाराम पाल ने जीत दर्ज की थी। राजा राम पाल ने बसपा के अनिल शुक्ला वारसी को चुनाव हराया था। राजारामपाल को कुल 1 लाख 92 हज़ार 549 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के अनिल शुक्ला को 1 लाख 60 हज़ार 506 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के अरुण कुमार तिवारी रहे। जिन्हें कुल 1 लाख 36 हज़ार 907 वोट मिले थे।

 साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

अब एक नजर साल 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो। साल 2014 में इस सीट पर बीजेपी के देवेंद्र सिंह ने बसपा के अनिल शुक्ला वारसी को हराया था। देवेंद्र सिंह को कुल 4 लाख 81 हजार 584 वोट मिले थे। जबकि बसपा के अनिल शुक्ला वारसी को कुल 2 लाख 2 हज़ार 587 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के लाल सिंह तोमर रहे। लाल सिंह तोमर को 1 लाख 47 हजार 2 वोट मिले थे।

साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

अकबरपुर लोकसभा सीट पर साल- 2019 में बीजेपी के देवेंद्र सिंह ने बसपा के निशा सचान को हराया था। देवेंद्र सिंह को कुल 5 लाख, 81 हज़ार, 282 वोट मिले थे। जबकि बसपा के निशा सचान को कुल 3 लाख, 6 हजार, 140 वोट मिले, वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के राजाराम पाल रहे। जिन्हें 1 लाख, 8  हज़ार, 341 वोट मिले थे।

उत्तर प्रदेश के 44 वीं लोकसभा कही जाने वाली अकबरपुर लोकसभा साल- 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई और साल- 2009 से अकबरपुर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में गिनी जाने लगी। इससे पहले ये क्षेत्र बिल्हौर लोकसभा के नाम से जाना जाता था। बात अगर इस सीट पर जातीय समीकरण की करें, तो इस क्षेत्र में हर बिरादरी के वोटर्स रहते हैं।

इस लोकसभा क्षेत्र में सामान्य, ओबीसी, अल्पसंख्यक और एससी मतदाताओं की भूमिका अहम बताई जाती है। ये ही मतदाता लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी और पार्टी के लिए सबसे बड़ा केंद्र रहता है। इसलिए ज्यादातर पार्टी ओबीसी और एससी मतदाता पर अपना ध्यान लगाती है। वहीं अब बात साल- 2024 के लोकसभा चुनाव की करें तो इस बार बीजेपी ने फिर से  देवेंद्र सिंह पर भरोसा जताया है। जबकि सपा ने राजा राम पाल को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा से राजेश द्विवेदी चुनावी मैदान में हैं।

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