Loksabha_Election_2024: आईये जाने सूबे की चंदौली लोकसभा सीट का संसदीय इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित
Loksabha Election 2024: चंदौली 1997 में वाराणसी से अलग होकर नया जिला बना था। लेकिन चंदौली संसदीय क्षेत्र पहले चुनाव से ही है। चंदौली को धान का कटोरा भी कहा जाता है क्योंकि यहां अच्छे किस्म के चावल की पैदावार बहुतायत मात्रा में होती है। वाराणसी से सटे होने के कारण इस सीट की महत्ता काफी बढ़ जाती है। साथ ही यहां पंडित दीन दयाल जंक्शन भी है। जिसे पहले मुगलसराय के नाम से जाना जाता था अगर बात करें इस सीट के लोकसभा इतिहास की तो यहां के पहले सांसद त्रिभुवन नारायण सिंह थे।
लोकसभा चंदौली सीट का संसदीय इतिहास
त्रिभुवन नारायण साल- 1957 में कांग्रेस के खाते से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। साल- 1962 में कांग्रेस के बालकृष्ण सांसद बने। साल- 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के निहाल सांसद बने। साल- 1971 में कांग्रेस के सुधाकर पांडेय यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। साल- 1977 में भारतीय लोकदल के नर सिंह चुनाव जीते। साल- 1980 के चुनाव में निहाल सिंह जनतांत्रित पार्टी से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। साल- 1984 के चुनाव में कांग्रेस की चंदा त्रिपाठी चुनाव जीती। साल- 1989 के चुनाव में जनता दल के कैलाश नाथ सिंह यादव चुनाव जीते।
साल- 1991 में यहां बीजेपी का खाता खुला और आनंद रतन मौर्य सांसद बने। आनंद इस सीट से साल- 1996 और साल- 1998 में भी चुनाव जीते। साल- 1999 के चुनाव में सपा के जवाहर जायसवाल चुनाव जीते। साल- 2004 के चुनाव में बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। साल- 2009 के चुनाव में सपा से राम किशुन ने चुनाव जीता और साल- 2014 में बीजेपी के महेंद्र नाथ पांडेय चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। जिसके बाद साल- 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के महेंद्र नाथ पांडेय एक बार फिर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
लोकसभा चंदौली सीट की 5 विधानसभा सीटें
चंदौली लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें मुगलसराय, सकलडीहा, सैयदराजा, अजगरा, शिवपुर विधानसभा सीट शामिल हैं। अजगरा और शिवपुर विधानसभा वाराणसी जिले में आती है। अगर साल- 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा ने चंदौली लोकसभा की चार विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी तो वहीं समाजवादी पार्टी के खाते में सकलडीहा की विधानसभा सीट गई थी।
इससे पहले हुए साल- 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और उसके सहयोगी दलों का ही कब्जा रहा था। साल- 2017 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी जिले की अजगरा विधानसभा सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने चुनाव जीता था और शिवपुर विधानसभा सीट पर अपना दल के प्रत्याशी ने कब्जा किया था वहीं चंदौली जिले की मुगलसराय, सकलडीहा और सैयदराजा सीट पर भाजपा प्रत्याशी ने चुनाव जीता था।
लोकसभा सीट चंदौली में मतदाताओं की संख्या
लोकसभा चुनाव में चंदौली सीट पर कुल वोटरों की संख्या- 17 लाख, 19 हज़ार, 383 थी। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या- 9 लाख, 35 हज़ार, 486 थी। जबकि महिला वोटरों की संख्या- 7 लाख, 83 हजार, 797 थी। वहीं ट्रांसजेंडर वोटरों की संख्या- 100 थी।
साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2004 के लोकसभा चुनाव में बसपा के कैलाश नाथ सिंह यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। कैलाश नाथ सिंह को कुल 2 लाख, 4 हज़ार, 625 वोट मिले, दूसरे नंबर पर सपा के आनंद रतन मौर्य रहे। आनंद रतन को कुल 2 लाख, 2 हज़ार, 956 वोट मिले, तीसरे नंबर पर बीजेपी के शशिकांत राजभर रहे। शशिकांत को कुल 1 लाख, 81 हज़ार, 815 वोट मिले।
साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
साल- 2009 के लोकसभा चुनाव में सपा के रामकिशन यहां से सांसद चुने गए, रामकिशुन को कुल 1 लाख, 80 हज़ार, 114 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव रहे। कैलाश नाथ को कुल 1 लाख, 79 हज़ार, 655 वोट मिले। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के शैलेंद्र कुमार रहे शैलेंद्र को कुल 97 हज़ार, 377 वोट मिले।
साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
लोकसभा सीट पर साल- 2014 के लोकसभा चुनाव में 21 साल बीजेपी चुनाव जीती और महेंद्र नाथ पांडेय सांसद बने। महेंद्र नाथ पांडेय को इस चुनाव में 4 लाख, 14 हज़ार, 135 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर बसपा के अनिल कुमार मौर्य रहे। अनिल को कुल 2 लाख, 57 हज़ार, 379 वोट मिले। तीसरे नंबर पर सपा के रामकिशन रहे। रामकिशुन को कुल 2 लाख, 4 हज़ार, 145 वोट मिले थे।
साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर
अगर साल- 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा के महेंद्र नाथ पांडे एक बार फिर यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे। उन्हें कुल 5 लाख, 10 हजार, 733 वोट मिले थे तो वहीं सपा के संजय सिंह 4 लाख, 96 हजार, 774 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे। तीसरे नंबर पर सुभासपा के राम गोविंद रहे थे, जिन्हें सिर्फ 18 हजार, 985 वोट मिले थे।
लोकसभा सीट चंदौली पर भाजपा, सपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष
साल- 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए एक बार फिर से महेंद्र नाथ पांडे मोर्चा संभालते नजर आएंगे। भाजपा ने महेंद्र नाथ पांडेय को तीसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया है। सपा ने अपना उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह को बनाया है तो वहीं बसपा ने सत्येंद्र मौर्य को मौका दिया है। लोकसभा सीट चंदौली पर भाजपा, सपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय संघर्ष दिखाई दे रहा है।
लोकसभा सीट चंदौली पर जातीय समीकरण
चंदौली लोकसभा सीट से चंदौली की जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा संख्या यादवों की है। जो यहां की राजनीति में एक निर्णायक किरदार अदा करते है। यादवों के बाद दलित बिरादरी है। जिनकी संख्या करीब दो लाख साठ हज़ार के आसपास है। बता दें कि 18 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाली चंदौली लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा दलित व अनुसूचित जाति के मतदाता कहे जाते हैं। यहां यादव मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख 75 हजार के आसपास हैं। वहीं दलितों का वोट भी लगभग 3 लाख के आसपास है।
पिछड़ी जाति में आने वाले मौर्य बिरादरी की आबादी 1 लाख से डेढ़ लाख के बीच बतायी जाती है, जबकि राजपूत और ब्राह्मणों की तादात डेढ़-डेढ़ लाख के आसपास बताते हैं। लोकसभा के क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता भी करीब एक लाख के करीब हैं। वहीं राजभर व निषाद समाज के मतदाता भी 50-50 हजार के आसपास गिनाए जाते हैं। ऐसे में जातिगत आंकड़ों को देखते हुए लोग अपने अपने पक्ष में समीकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना यह है कि भाजपा की हैट्रिक लगती है या सपा-बसपा का सपना पूरा होता है।