सीएम योगी पर अखिलेश यादव ने किया पलटवार, कहा-लाल टोपी वो भी पहन सकते हैं जिनके बाल नहीं
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कानपुर में एक जनसभा में सपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि इनकी टोपी लाल है, लेकिन कारनामे काले हैं और इनका इतिहास काले कारनामों से भरा पड़ा है। सीएम बयान के एक दिन बाद शुक्रवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि रंग अच्छा बुरा नहीं होता, नजरिया अच्छा बुरा होता है।
सपा मुखिया अखिलेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में कहा कि जनता की संसद का प्रश्नकाल, प्रश्न- लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या क्या कारण हो सकते हैं। दो-दो बिंदुओं में अंकित करें। उत्तर-रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है, यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि लाल रंग मिलन का प्रतीक होता है,जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वे अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं। लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है, लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है वे लाल रंग को चुनौती मानते हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि इसी संदर्भ में यह मनोवैज्ञानिक मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है। काला रंग भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है। जैसे बुरी नजर से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जाने वाला काला टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का इस्तेमाल।
अखिलेश ने कहा कि जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वे काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं, पश्चिम में काला रंग नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा, जैसे कि तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी। मानवता और सह्रदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुंची तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही।
अखिलेश यादव ने कहा कि नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है। इसलिए जिनकी राजनीतिक सोच डर और अविश्वास जैसे काले विचारों से फलती-फूलती है वे इसे सिर पर लिए घूमते हैं। सच तो यह है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि रंगों के प्रति सकारात्मक विविधता की जगह जो लोग नकारात्मक विघटन, विभाजन की दृष्टि रखते हैं, उनके प्रति भी बहुरंगी सद्भाव रखना चाहिए, क्योंकि ये उनका नहीं, बल्कि उनकी प्रभुत्ववादी एकरंगी संकीर्ण सोच का दुष्परिणाम है।
अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसे लोगों के ह्रदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझना होगा कि काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह का महत्व होता है। ये पारस्परिक रंग संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है। अच्छा बुरा कोई रंग नहीं, नजरिया होता है।