चंद्रशेखर और ओवैसी के साथ मिलकर अब आजम खान पका रहे हैं कौन सी खिचड़ी, सपा में खलबली
लखनऊ। मुलायम सिंह यादव के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी बनाने वाले आजम खान इस समय नाराज हैं। इससे पहले भी आजम कई बार नाराज हुए,लेकिन मना लिए गए,कभी आजम की सुनी गई,तो कभी नहीं सुनी गई,हर चुनाव में आजम रूठ जाते हैं,फिर मना भी लिए जाते हैं।मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव के दौर तक यही होता रहा है। आजम जेल में बंद हैं,लेकिन आजम की एक चिट्ठी से बात बिगड़ गई है।
आजम के करीबियों का दावा है कि इस बार मामला आर पार का हो सकता है।तो क्या अखिलेश यादव और आजम खान के रास्ते अलग हो सकते हैं।आजम के करीबी नेताओं का दावा है कि वे समाजवादी पार्टी से अलग एक नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं।जेल से जारी आजम के संदेश ने सपा में खलबली मचा दी है।आजाद समाज पार्टी के संस्थापक नगीना सांसद चंद्रशेखर रावण के साथ मिलकर आजम 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक मोर्चा बना सकते हैं।असदुद्दीन ओवैसी भी इस नए फ्रंट में शामिल हो सकते हैं।ऐसा अगर हुआ तो अखिलेश यादव और उनकी पार्टी को कितना नुकसान हो सकता है।इस पर हिसाब किताब भी अभी से शुरू हो गया है।
आजम खान और अखिलेश यादव के रिश्ते हमेशा कभी नरम तो कभी गरम वाले रहे हैं।आजम जब अखिलेश सरकार में मंत्री रहे या फिर अब जेल में बंद हैं।आजम की हमेशा शिकायत रही कि उनकी अनदेखी की जाती है।जानबूझकर दूसरे मुस्लिम नेताओं को उनके मुकाबले खड़ा किया जा रहा है।इसलिए जेल से आजम का ये संदेश आया है।अब बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी।
रामपुर से सपा के अध्यक्ष अजय नागर के लेटरहेड पर यह चिट्ठी जारी हुई है।चिठ्ठी में इंडिया गठबंधन पर रामपुर में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।कहीं पर निगाहें और कहीं पर निशाने की तर्ज पर आजम का संदेश आया है।आरोप इंडिया गठबंधन पर लगाकर अखिलेश यादव को कठघरे में खड़ा किया गया है। आजम का कहना है कि संभल पर संसद में चर्चा हुई,लेकिन रामपुर पर क्यों नहीं।चर्चा है कि इस बार आजम आरपार की लड़ाई के मूड में हैं, इसके लिए भले ही सपा से अलग क्यों न होना पड़ा।अखिलेश यादव से आजम नाराजगी का कई कारण है।
आजम खान सपा के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरा हैं,लेकिन अब आजम को लगता है कि उनके नेतृत्व को सपा के अंदर से ही चुनौती दी जा रही है।उनके मुकाबले दूसरे मुस्लिम नेताओं को खड़ा किया जा रहा है।आजम चाहते थे कि अखिलेश यादव रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ें,लेकिन उनसे बिना पूछे उनके विरोधी मोहिबुल्लाह नदवी को टिकट दे दिया गया। आजम इस बात से भी नाराज हैं कि जब वे और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम जेल में बंद हैं, सपा ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है।
जेल में मिलने गए सपा के एक नेता को आजम खान ने कहा अगर अखिलेश यादव या फिर उनके परिवार पर मेरी तरह कई मुकदमे होते तो क्या होता क्या पार्टी ऐसे ही चुप रहती।ऐसे में सवाल उठता है कि आजम आगे क्या कर सकते हैं।आजम के करीबी नेताओं की मानें तो वे एक नई पार्टी बना सकते हैं।वैसे भी आजम कहते रहे हैं कि सपा में उनकी सियासत मुलायम सिंह यादव तक है,आजम पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे हैं।
चंद्रशेखर रावण बीते माह आजम खान,उनकी पत्नी और उनके बेटे से मिल चुके हैं,जिस दिन चंद्रशेखर अब्दुल्ला आजम से मिलने जेल गए थे उसी दिन अखिलेश यादव अचानक आजम की पत्नी से मिलने रामपुर पहुंच गए थे। आजम और चंद्रशेखर के बहुत अच्छे रिश्ते हैं।आजम से मिलने के बाद चंद्रशेखर ने कहा था जब मुझ पर गोली चली थी तब वे मेरे साथ रहे अब जब वे मुसीबत में हैं तो मैं उनके साथ हूं।
आजम खान और चंद्रशेखर रावण मिलकर 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक सियासी मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं।फार्मूला यह है कि दलित-मुस्लिम वाला D-M समीकरण एक नई ताकत बन सकता है।आजम से जेल में मिलने गए एक व्यक्ति ने फोन पर उनकी असदुद्दीन ओवैसी से भी बात कराई है।अगर इस मोर्चे में AIMIM की भी एंट्री होती है तो फिर पश्चिमी यूपी में खेल हो सकता है।ओवैसी जब भी यूपी आते हैं आजम का हमदर्द होने का जिक्र जरूर करते हैं।
नाराज होना और फिर मान जाना आजम खान की सियासत का एक स्टाइल रहा है। इसी स्टाइल से आजम ने कपिल सिब्बल को निर्दलीय ही राज्यसभा का सांसद बनवा दिया था। आजम के खिलाफ चल रहे मुकदमों में सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल ही पैरवी कर रहे हैं।आजम के कहने पर ही मुरादाबाद से रूचिवीरा को लोकसभा का टिकट मिला और सांसद भी बन गईं।आजम के कहने पर अखिलेश यादव MLA और MLC के टिकट भी देते रहे हैं।
आजम खान के न होने से सपा एक बार तगड़ा झटका खा चुकी है। साल 2009 के लोकसभा चुनाव की है तब अमर सिंह,जया प्रदा और कल्याण सिंह के मुलायम सिंह से करीबी संबंध होने पर आजम ने बगावत कर दी थी। आजम को सपा से बाहर कर दिया गया था। 2009 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों की बंटवारा हुआ। कांग्रेस को इसका फायदा हुआ और लोकसभा की 21 सीटें जीत लीं। क्या एक बार फिर इतिहास दोहराने की तैयारी है।