भाजपा के कथित नेता सुनील कुमार गोयल के इरादों पर हाईकोर्ट इलाहाबाद की खंडपीठ लखनऊ ने फेरा पानी, जमीन के मुकदमें को क्रिमिनल मुकदमें की तरफ ले जाने की मंशा पर लगाई रोक
अनिल कुमार की जमीन हथियाना चाहता है,सुनील कुमार गोयल…
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट खंडपीठ लखनऊ में आज अहम् फैसला सुनाते हुए कहा कि सिविल मामले को क्रिमिनल केस में नहीं बदला जा सकता। प्रकरण प्रतापगढ़ जनपद का है, जिसमें खंडपीठ लखनऊ की कोर्ट संख्या-28 में रीमा शर्मा, अनिल कुमार व रामपाल शर्मा ने एक रिट दाखिल की थी। याचिका कर्ताओं ने अपने विरुद्ध पुलिस द्वारा न्यायालय में दाखिल आरोप पत्र को ख़ारिज करने के मामले में हाईकोर्ट की शरण ली थी, जिसमें आज सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने देखा कि जमीन के विवाद को बड़े ही शातिराना अंदाज में सिविल मैटर को क्रिमिनल में बदलने का प्रयास किया जा रहा है। हाईकोर्ट के समक्ष अनिल कुमार के विद्वान अधिवक्ता डी पी शुक्ल ने जो पक्ष रखा, उससे कोर्ट संतुष्ट हुई और सम्पूर्ण प्रकरण में प्रीसीडिंग स्टे ऑर्डर जारी करते हुए पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।
अक्सर देखने और सुनने को मिलता है कि भूमाफियाओं द्वारा जमीन कब्जाने के अनेक हथकंडे अपनाये जाते हैं, जिसमें एक हथकंडा सिविल मुकदमें को क्रिमिनल मुकदमें की तरफ ले जाकर असल भूस्वामी को इतना परेशान कर दो कि वह टूट जाए और वह भूमाफियाओं की शरण में आकर नतमस्तक हो जाए। भूमाफियाओं द्वारा बड़ी ही चालाकी के साथ किसी की जमीन को जबरन कब्जा करने के लिए उसका किसी से बैनामा अथवा ऐसा कागजात तैयार कराया जाता है, जिससे उस जमीन पर कानूनी शिकंजा कसते हुए जमीन के मूल स्वामी को मुकदमों की चकरघिन्नी में ऐसी पिराई करो कि उसका जनाजा निकल जाए। ऐसा ही एक प्रकरण प्रतापगढ़ कोतवाली नगर के पल्टन बाजार का है। पल्टन बाजार निवासी अनिल कुमार विश्वकर्मा का चौक-कचेहरी रोड पर पैतृक मकान है। जिसका उन्होंने भूस्वामी राजा अभय प्रताप सिंह से बैनामा वर्ष-2011 में अपने नाम ले लिया और उद्धरण खतौनी में अपना नाम जरिये बैनामा ख़ारिज दाखिल करवा लिया।
भाजपा के कथित नेता सुनील कुमार गोयल जिनकी नियत भी उस भूखंड पर गड़ी थी और मौका पाते ही सुनील कुमार गोयल ने अनिल कुमार विश्वकर्मा के बड़े पिताजी यानि दादाजी से सम्पर्क साधे और उन्हें पड़ोसी होने का भरोसा दिलाया और उनके हिस्से की खंडहर रूपी भवन का पहले एग्रीमेंट कराया और बाद में उसका बैनामा वर्ष-2012 में करा लिया। जबकि अनिल कुमार विश्वकर्मा वर्ष-2011 में ही भूस्वामी राजा अभय प्रताप सिंह से सम्पूर्ण रकबे का बैनामा करा लिया था और सम्पूर्ण रकबे पर काबिज दखील होकर सपरिवार रह रहे हैं और पहले भी उसी मकान पर रहते थे। अनिल कुमार विश्वकर्मा के पिताजी रामपाल विश्वकर्मा अपने तीन भाईयों में सबसे छोटे रहे जो स्वास्थ्य विभाग में वरिष्ठ लिपिक के पद से रिटायर हुए।
हीरालाल विश्वकर्मा को कैंसर हो गया था तो सामने सुनील कुमार गोयल मोहल्ले में होने के नाते सुबह-शाम हीरालाल विश्वकर्मा को देखने आ जाते थे। सुनील कुमार गोयल अपने आदत के मुताविक हीरालाल के इलाज के लिए हजार पाँच रुपये देकर उन्हें अपने मायाजाल में फांसना शुरू किया। चूँकि सुनील कुमार गोयल की नजर हीरालाल के मकान पर पड़ चुकी थी। देखते-देखते एक दिन मौका पाकर सुनील कुमार गोयल दिनांक- 31 जनवरी, 2012 को हीलालाल विश्वकर्मा से उनके मकान का एग्रीमेंट करा लिया। सुनील कुमार गोयल महज 6 माह के अंदर 11 जून, 2012 को 3 लाख रुपये में ही हीरालाल से अपने हक में बैनामा करा लिया और पड़ोसी होने का भरोसा दिलाया कि विश्वकर्मा जी आप चिंता मत करो, हमारे रहते कोई दिक्कत तुम्हारे इलाज में नहीं होगी।
हीरालाल और उनकी पत्नी अनारकली को सुनील कुमार गोयल पर भरोसा हो गया और 17 लाख रूपये अपने मकान का सौदा करके सुनील कुमार गोयल के हाथ हीरालाल अपना मकान बेंच दिया। जबकि पट्टे शुदा भूमि पर बने तामीर यानि ईमारत को पट्टेदार बेंच नहीं सकता, क्योंकि जमीन का मालिक वह नहीं होता। फिर भी सुनील कुमार गोयल अपने मायाजाल में हीलालाल को फंसाकर उसका मकान यह जानते हुए कि अनिल कुमार विश्वकर्मा पहले ही मकान और जमीन का बैनामा राजा अभय प्रताप सिंह से दिनांक-2 जून, 2011 को करा लिया है। उसके बाद भी सुनील कुमार गोयल जानबूझकर बैनामा कराकर अपने ही पड़ोसी अनिल कुमार विश्वकर्मा से झगड़ा मोल लिया। सुनील कुमार गोयल को यह अंदाजा नहीं रहा कि अनिल कुमार विश्वकर्मा उसके सामने टिक पायेगा। एक दिन मजबूर होकर अपनी समस्त भूमि और मकान हैरान व परेशान होकर उसे दे देगा।
भाजपा नेता सुनील कुमार गोयल अपने साथ आधा दर्जन गुंडों को लेकर कोरोना संक्रमण काल में अनिल कुमार विश्वकर्मा के घर पर धावा बोलकर उसका मकान कब्ज़ा करने का प्रयास किया, परन्तु सुनील कुमार गोयल को मुंह की खानी पड़ी। अनिल कुमार विश्वकर्मा की तहरीर पर सुनील कुमार गोयल पर कोतवाली नगर में मुकदमा लिखा गया और एक मुकदमा सुनील कुमार गोयल पर कोतवाली नगर में अनिल कुमार विश्कावकर्मा ने जरिये अदालत लिखवाया, जिससे सुनील गोयल तिलमिला उठा और अपने रसूख का प्रयोग कर अनिल कुमार विश्वकर्मा सहित उनकी पत्नी, माता पिता, बहन के साथ-साथ नाबालिक बच्चों पर भी धोखाधड़ी का मुकदमा लिखाकर उसमें आरोप पत्र न्यायालय भेजवाने में सफल रहा। चूँकि अनिल कुमार विश्वकर्मा ने जो मुकदमा कोतवाली नगर में भाजपा के कथित नेता सुनील कुमार गोयल पर दर्ज कराया था, उसमें न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल हो गया और सुनील कुमार गोयल को मजबूर होकर अपनी और अपने परिवार के अन्य सदस्यों की जमानत करानी पड़ी।
इसी से नाराज होकर सुनील कुमार गोयल बदले के भावना से प्रेरित होकर कपोल कल्पित मनगठंत कहानी गढ़कर अनिल कुमार विश्वकर्मा, उनके पिता डॉ रामपाल विश्वकर्मा, पत्नी रीमा शर्मा और नाबालिक पुत्र राजन सहित घर के अन्य अज्ञात सदस्यों पर कोतवाली नगर में मुकदमा अपराध संख्या- 0575/2021 लिखाया है। जबकि मामला पूरी तरह से सिविल कोर्ट का है और न्यायालय में मुकदमा प्रचलित है। अनिल कुमार विश्वकर्मा ने सुनील कुमार गोयल के बैनामें का कैंसिलेशन न्यायालय में दाखिल कर रखा है। रहा सवाल बैंक के लोन का तो बैंक किसी भी लोन में पहले जमीन का कागजात देखती है और संतुष्ट होने के बाद ही उस पर लोन देती है। अनिल कुमार विश्वकर्मा का बैनामा राजा अभय प्रताप सिंह से क्रय किया गया है। जमीन के मालिक राजा अभय प्रताप सिंह ही हैं। सुनील कुमार गोयल का बैनामा बाद का है और पट्टेदार से लिया गया है। पट्टेदार जमीन का बैनामा नियमतः नहीं कर सकता। जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो उस पर आपराधिक मामला बनता ही नही।
मजेदार बात यह है कि सुनील कुमार गोयल बैंक के किसी भी अधिकारी को मुकदमें में नामजद नहीं किया है। जबकि लोन तो बैंक का मैनेजर ही किया है। बैनामा सही है या गलत है, इसका निर्धारण करने का अधिकार न तो पुलिस के पास है और न ही बैंक के मैनेजर के पास है। फिर पैसे के बल पर पुलिस वालों ने उक्त मुकदमा लिखा है। सुनील कुमार गोयल की तहरीर पर नगर कोतवाली में अनिल कुमार विश्वकर्मा, रामपाल विश्वकर्मा, रीमा शर्मा, नाबालिक राजन विश्वकर्मा सहित परिवार के तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। सुनील कुमार गोयल ने इस बार सेटिंग के तहत एक शिकायत की, जिसकी जाँच अस्पताल चौकी इंचार्ज हरीश तिवारी को जानबूझकर दी गई। जाँच के नाम पर दरोगा हरीश तिवारी सबसे पहले अपना कागजात लेकर अनिल कुमार विश्वकर्मा को कचेहरी में बुलाया, जहाँ उससे 50 हजार रूपये धन की माँग किया। अनिल कुमार विश्वकर्मा के धन न देने पर उक्त मुकदमा लिखा गया। ऐसा आरोप अनिल कुमार विश्वकर्मा ने लगाया है।
अनिल कुमार विश्वकर्मा का आरोप है कि उसे उस अपराध की सजा मिल रही है जो उसने किया ही नहीं। क्योंकि असने अपने बैनामे को बंधक बनाकर अपनी पत्नी के नाम लों लिया था और उस लों को वह अदा भी kar दिया है। बावजूद इसके तत्कालीन सीओ सिटी अभय कुमार पाण्डेय और नगर कोतवाल रवींद्र राय को अपने प्रभाव में करके सुनील कुमार गोयल ने अनिल कुमार विश्वकर्मा के पूरे परिवार पर फेंक मुकदमा लिखाकर उसे हैरान व परेशान करने लगा। मुकदमा लिखे जाने की जानकारी उसे अख़बार में प्रकाशित खबर से हुई। उसके बाद उक्त दर्ज मुकदमें की विवेचना कर रहे दरोगा हरीश तिवारी उससे एक लाख रूपये की माँग की है और एक लाख में फाइनल रिपोर्ट लगाने का आश्वसन भी दिया है। पीड़ित अनिल कुमार विश्वकर्मा ने हार नहीं मानी और दृढ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए विवेचनाधिकारी को रिश्वत देने से मना कर दिया। इसी बीच उनका तवादला हो गया, जहाँ उन्हें बाद में अपने कुकर्मो की वजह से सस्पेंड होना पड़ा।
सुनील कुमार गोयल की बात का भरोसा भी कर लिया जाए तो उसके हिस्से की संपत्ति को अपना बताकर जामताली स्थित यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की शाखा जामताली से 20 लाख रूपये अनिल कुमार विश्वकर्मा द्वारा लोन ले लिया गया है। जिसकी जानकारी सुनील कुमार गोयल को बैंक द्वारा नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जाने लगी, तब उन्हें जानकारी हुई। यदि ऐसा है तो सुनील कुमार गोयल बैंक के मैनेजर को मुकदमें में नामजद क्यों नहीं किये ? उक्त मुकदमें में अनिल कुमार विश्वकर्मा के नाबालिग बेटे राजन को नामजद किया गया है। एक नाबालिक लड़का का उक्त प्रकरण में क्या रोल है ? आखिरकार थक हारकर अनिल कुमार विश्वकर्मा उक्त प्रकरण को हाईकोर्ट इलाहाबाद की खंडपीठ लखनऊ में ले गए, जहाँ हाईकोर्तोट ने उन्हें प्रोसीडिंग स्टे ऑर्डर जारी कर दिया है। यही नहीं हाईकोर्ट ने वादी मुकदमा सुनील कुमार गोयल सहित पुलिस वालों को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। उक्त मामले का आदोपांत यही है, जो विस्तार से लिखा गया है।