यूपी में लेखपालों का बड़ा खेल, राजधानी लखनऊ में करोड़ों रूपये की जमीन की हेराफेरी करने वाले बर्खास्त लेखपाल से होगी वसूली
राजस्व विभाग में अहम पद पटवारी यानि लेखपाल का होता है। यह कहना गलत न होगा कि लेखपाल राजस्व विभाग की पहली कड़ी है। राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार का बीजारोपण लेखपाल द्वारा ही किया जाता है। पूरे देश में राजस्व विभाग में जमीन जायदाद में करोड़ों की जमीन और करोड़ों रूपये का खेल करते हुए लेखपाल पकड़े जाते हैं। इस मामले में यूपी के पटवारी यानी लेखपाल भी इसमें पीछे नहीं है। ऐसा ही एक मामला प्रदेश की राजधानी लखनऊ का सामने आया है। अमौसी एयरपोर्ट की जमीन को अपने बेटे को ट्रांसफर करवा कर सरकारी मुआवजा दिलाए जाने का खेल बर्खास्त किए गए लेखपाल सुशील कुमार शुक्ला के द्वारा किया गया। फिलहाल डीएम सूर्यपाल गंगवार के निर्देश पर किए गए जांच में यह बात सामने आई और लेखपाल से वसूली का नोटिस जारी किया गया।
अब आगे विस्तार से पढ़िए कैसे सरकारी जमीन का पट्टाकर करोड़ों का खेल लेखपाल ने किया…
अमौसी गांव में तैनात लेखपाल ने सरकारी जमीन का फर्जी पट्टा किया। लखनऊ के सरोजनीनगर में भ्रष्टाचार के आरोप के बाद बर्खास्त किए गए लेखपाल से करीब 30 करोड़ रुपये की वसूली होगी। लेखपाल ने कार्यकाल के दौरान जो फर्जीवाड़े किए हैं, उनका ब्योरा तैयार कर आकलन किया गया है। इसके बाद लेखपाल से वसूली पर सहमति बनी है। लेखपाल से वसूली के लिए आरसी यानी रिकवरी सर्टिफिकेट जारी होगा। इसके बाद उसी प्रशासन की टीम पूर्व लेखपाल से वसूली करने जाएगी, जिसका कभी खुद वह हिस्सा था। सरोजनी नगर तहसील के अमौसी गांव में तैनात लेखपाल पर सरकारी जमीन का फर्जी पट्टा करने का मामला पकड़ में आया है। लेखपाल ने अपने पद का फायदा उठाते हुए दस्तावेजों में हेरफेर की। इसके बाद सरकारी जमीन को चकबंदी के पूर्व का पट्टा दिखा दिया।
लेखपाल ने बेटे के नाम दान करवाई जमीन…
मजेदार बात यह है कि जिस सरकारी जमीन का पट्टा हुआ, वही जमीन बाद में जमीन बिक गई और इस पर 103 लोग काबिज भी हो गए। जिला प्रशासन के अनुसार इतना ही नहीं जमीन का एक हिस्सा विशाल तिवारी के नाम दर्ज किया गया, जिसे बाद में विशाल तिवारी ने लेखपाल सुशील कुमार शुक्ला के पुत्र पारितोष को दान कर दी। जमीन का एक बड़ा हिस्सा विशाल तिवारी को दे दिया गया। यह पूरा फर्जीवाड़ा वर्ष 2002 से लेकर 2010 के बीच में किया गया। इसी बीच जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार ने जमीनों की जांच शुरू कराई। एसडीएम सिद्धार्थ को विशेष तौर पर वहां इसी कार्य के लिए तैनात किया गया। जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया। हाल ही में लेखपाल सुशील कुमार शुक्ला को बर्खास्त कर दिया गया। हड़पी गई 60 बीघा से अधिक सरकारी जमीन को सरोजनी नगर तहसील प्रशासन वापस सरकारी खातों में दर्ज कर दिया।
एयरपोर्ट के पास क्लास ए की जमीन का मामला…
जिस जमीन का लेखपाल ने फर्जीवाड़ा किया, वह बेशकीमती है। इसकी कीमत सात करोड़ रुपये है। यह जमीन अमौसी औद्योगिक क्षेत्र के क्लास ए में आती है। जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि जो जमीनें लेखपाल ने हड़पी थीं, उसे वापस ले लिया गया। साथ ही जो क्षति पहुंची, उसका आकलन कर भरपाई के लिए वसूली का आकलन किया जा रहा है। मामला अभी शांत नहीं हुआ है। जिलाधिकारी ने एसडीएम को अमौसी में स्थित सरकारी जमीनों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। राजस्व परिषद में सुरक्षित दस्तावेजों से उनका मिलान किया जाएगा। ऐसे में यदि कोई दस्तावेजी छेड़छाड़ हुई होगी तो वह सामने आ जाएगी। जिलाधिकारी का निर्देश है कि सभी सरकारी जमीनों की जांच कर अवैध कब्जे की स्थिति में कार्रवाई की जाए। जमीन को वापस सरकारी खाते में दर्ज किया जाए।