संयोग या सियासत:यूपी,बिहार और झारखंड में कांग्रेस के भूमिहार प्रदेश अध्यक्ष
लखनऊ। कांग्रेस का ये कोई नया प्रयोग है या फिर एक संयोग है। वैसे तो कांग्रेस दावा करती है वो जाति बिरादरी और मजहब की राजनीति नहीं करती है, लेकिन सच्चाई यही है कि महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती से लेकर टिकट बंटवारे तक जाति और धर्म की ही फॉर्मूला चलता है। ये चलन सभी राजनीतिक दलों में भी है। पिछले कुछ दशकों से अधिकतर पार्टियों का जोर दलित और पिछड़ों पर रहा है। कांग्रेस भी सामाजिक न्याय के इसी फॉर्मूले से अपनी राजनीति करती रही है।
कांग्रेस बड़े गर्व से कहती हैं कि उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे दलित नेता हैं। उत्तर प्रदेश में अजय राय, बिहार में अखिलेश प्रसाद सिंह और झारखंड में राजेश ठाकुर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। ये तीनों नेता भूमिहार समाज से हैं। बिहार, यूपी और झारखंड हिंदी पट्टी के राज्य हैं। तीनों राज्यों की सीमाएं आपस में जुड़ी हैं।यूपी, बिहार और झारखंड में कांग्रेस की कमान भूमिहार समाज के नेताओं के पास आ गई है।
ब्रिजलाल खाबरी 11 माह ही रह सके प्रदेश अध्यक्ष …
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी से ब्रिजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, लेकिन 11 महीने में ही कांग्रेस ने उनको हटा दिया। कांग्रेस खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दलितों को अपने पाले में लाना चाहती थी।दलित वोटर कभी कांग्रेस के साथ थे। अब कुछ दलित वोटर बसपा के साथ हैं। कुछ भाजपा के समर्थक बन गए हैं। कांग्रेस को खाबरी वाला प्रयोग माया मिली न राम जैसा रहा। खाबरी की जगह कांग्रेस ने अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
उत्तर प्रदेश में भूमिहार वोटर मुश्किल से डेढ़ फीसदी ही होंगे। मतलब जाति के आधार पर नहीं बल्कि अजय राय को उनके लड़ाके वाली छवि से प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। अजय राय प्रियंका गांधी वाड्रा के बेहद करीबियों में माने जाते हैं। कल गुरुवार 17 अगस्त को अजय राय के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही अब हिंदी पट्टी के तीन राज्य यूपी, बिहार और झारखंड में कांग्रेस की कमान भूमिहार समाज के नेताओं के हाथ में आ गई है।
अजय की तरह अखिलेश भी मूल कांग्रेसी नहीं…
आठ महीने पहले ही अखिलेश प्रसाद सिंह को बिहार कांग्रेस की अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। अखिलेश राज्यसभा सांसद हैं और भूमिहार हैं। अखिलेश भी मूल कांग्रेसी नहीं है। अखिलेश आरजेडी के कोटे से केंद्र में मंत्री भी रहे हैं। मदन मोहन झा को हटा कर अखिलेश को बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जिम्मेदारी दी गई है।अजय राय की तरह अखिलेश भी दबंग नेता हैं।बिहार में अगड़ी जाति में भूमिहारों का दबदबा रहा है। जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी भूमिहार हैं।
झारखंड में कांग्रेस ने राजेश ठाकुर को अगस्त 2021 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। तब आरपीएन सिंह झारखंड के प्रभारी थे जो कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल गए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल 2 साल का होता है और इस लिहाज से राजेश ठाकुर का कार्यकाल पूरा हो गया है। झारखंड के सियासी समीकरण में भूमिहार कहीं से फिट नहीं बैठते हैं। राजेश ठाकुर की जगह किसी और को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग उठती रही है।जल्द ही कांग्रेस झारखंड को नया प्रदेश अध्यक्ष दे सकती है।