सीओ जियाउल हक की हत्या के मुख्य आरोपी गुलशन-यादव को टिकट देने पर समाजवादी पार्टी पर भड़की सीओ की पत्नी परवीन आजाद
कुंडा सीओ रहे जियाउल हक़ की सरेआम हत्या में आरोपी राजा भइया के सामने दूसरे आरोपी गुलशन को सपा ने बनाया अपना उमीदवार,कभी राजा भइया के एक इशारे पर रहते थे,एक पैर पर खड़े
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चुनावी दंगल के शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे है। समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की थी।इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश के बड़के जिले प्रतापगढ़ की विख्यात कुंडा विधानसभा सीट भी शामिल है। समाजवादी पार्टी के इस फैसले का अब विरोध हो रहा है। कुंडा के दिवंगत सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने समाजवादी पार्टी द्वारा गुलशन यादव को कुंडा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाए जाने पर तगड़ा विरोध जताया है। वर्ष- 2013 में कुंडा में तैनात सीओ जियाउल हक की हत्या कर दी गई थी और हत्या का आरोप गुलशन यादव पर लगा था।परवीन आजाद ने सपा प्रत्याशी गुलशन यादव पर सवाल उठाते हुए कहा है कि लोकतंत्र में जनता के बीच साफ सुथरी और निष्पक्ष छवि के लोगों को होना चाहिए। वर्ष-2017 के विधानसभा चुनाव में भी सपा ने कुंडा व बाबागंज विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे।
सूबे में वर्ष- 2012 में सपा की सरकार बनी तो रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। सीओ हत्याकांड में नाम आने की वजह से राजा भइया को अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। सीओ हत्याकांड की सीबीआई जांच हुई थी। सीबीआई ने अपनी जांच में राजा भइया को क्लीन चिट दे दी थी। बता दें कि समाजवादी पार्टी ने रघुराज प्रताप उर्फ़ राजा भइया के खिलाफ कुंडा विधानसभा सीट से गुलशन यादव को प्रत्याशी बनाया है। राजा भइया के खिलाफ पंद्रह वर्षों तक सपा ने कुंडा विधानसभा में प्रत्याशी नहीं उतारे थे। राजा भइया का वर्ष- 1993 से कुंडा विधानसभा सीट पर लगातार निर्दलीय विधायक का डंका बज रहा है। राजा भइया ने बीते साल एक पार्टी का गठन किया है। कुंडा और बाबागंज विधानसभा राजा भइया का गढ़ है। राजा भइया का इन दोनों विधानसभाओं पर लंबे समय से प्रभाव है। प्रभाव हो भी क्यों न राजा भइया इन दोनों विधानसभाओं में सभी के सुख-दुख में पहुंचते रहते हैं।
टाउन एरिया कुंडा के चेयरमैन गुलशन यादव को कुंडा विधानसभा से सपा ने बनाया अपना उम्मीदवार
कुंडा के सीओ जिया-उल-हक हत्याकांड के मुख्य आरोपी रहे गुलशन यादव को कुंडा विधानसभा से समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। प्रतापगढ़ जिले के कुंडा में वर्ष- 2013 में घटित जियाउल हक हत्याकांड में उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया की जांच दोबारा शुरू हो गई। इस केस में राजा भइया को भी आरोपी बनाया गया था। हालांकि, इस मामले की जांच कर रही CBI ने रघुराज प्रताप सिंह को क्लीन चिट दे दी थी। दिवंगत पुलिस अधिकारी की पत्नी परवीन आजाद ने इस फैसले को इलाहाबाद HC की लखनऊ बेंच में चुनौती दी थी।
जियाउल हक हत्याकांड के बाद सीओ की पत्नी परवीन आजाद की तहरीर पर नगर पंचायत अध्यक्ष गुलशन यादव, राजा भइया, राजा भइया के प्रतिनिधि हरिओम श्रीवास्तव, गुड्डू सिंह के खिलाफ हत्या और हत्या की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज हुआ था। जियाउल हक हत्याकांड की जांच के बाद गुलशन यादव, राजा भइया से दूर हो गए थे। परन्तु गुलशन यादव और उनके भाई छविनाथ यादव को फर्श से अर्श तक पहुँचाने में राजा भइया का हाथ रहा। गुलशन यादव को ग्राम प्रधान से लेकर कुंडा के चेयरमैन तक के सफर में राजा भइया का आशीर्वाद उनके साथ रहा। छविनाथ यादव को युवजन सभा का जिलाध्यक्ष से लेकर समाजवादी पार्टी ने जिला उपाध्यक्ष के पद को दिलाने में राजा भइया का सहयोग रहा। परन्तु राजनैतिक अति महत्वाकांक्षा दोनों के बीच बनी दूरी की प्रमुख वजह रही।
आइये जाने कौन है, गुलशन यादव ? गुलशन यादव पर दर्ज हैं 12 से अधिक, मुकदमे…
प्रतापगढ़ के कुंडा के रहने वाले गुलशन यादव को नाम और पहचान बाहुबली राजा भैया से ही मिली। राजा भैया के बेहद करीबियों में गिने जाने वाले और राजा के नाम पर चुनाव लड़ने वाले गुलशन कुंडा टाउन एरिया के चेयरमैन रह चुके हैं। जब वो जेल में थे तो अपनी जगह पत्नी को मैदान में उतारा था। पत्नी भी राजा भैया के नाम पर चुनाव लड़ी और जीतकर मौजूदा चेयरमैन हैं। गुलशन यादव पर एक दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। प्रतापगढ़ में हुए CO जियाउल हक हत्याकांड में भी गुलशन का नाम सामने आया था। हालांकि गुलशन यादव को पुष्पेंद्र सिंह पर जानलेवा हमले के मामले में गिरफ्तार किया गया था और इसी मामले में पिछले 4 साल से गुलशन यादव जेल में बंद हैं। यह सही है कि राजा भइया के समर्थक होने के कारण कई मुकदमें गुलशन यादव और छविनाथ यादव पर बसपा शासन काल में लिखे गए। परन्तु उतनी ही सत्य बात यह भी है कि आज गुलशन यादव और छविनाथ यादव की जो हैसियत है, वह राजा भइया की बदौलत ही है।
क्या है,सीओ जियाउल हक हत्याकांड…
कुंडा के बलीपुर गांव में 2 मार्च, 2013 को शाम साढ़े सात बजे प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या कर दी गई थी। हत्यारे दो बाइक पर सवार थे। घटना की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में समर्थक हथियार लेकर बलीपुर गांव में उनके घर पर जुट गए थे। ग्रामीणों ने कामता पाल के घर में आग लगा दी थी। इसी समय सीओ जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े थे। रात साढ़े आठ बजे प्रधान के छोटे भाई सुरेश यादव (38) की हत्या कर दी गई थी। मामले को शांत करने के लिए निकले सीओ घटना स्थल पर नहीं पहुंचे थे। रात 11 बजे भारी पुलिस बल बलीपुर गांव पहुंचा और सीओ की तलाश शुरू की, आधे घंटा बाद सीओ जियाउल हक का शव प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ा मिला था। इस मामले में राजा भइया आरोपों के घेरे में हैं। कामता पाल और प्रधान नन्हे सिंह यादव दोनों पक्ष राजा भइया के समर्थकों रहे। दोनों समर्थकों में वर्चस्व को लेकर तकरार शुरू हुई जो हत्या तक पहुँच गई।