नगरपालिका परिषद् बेला प्रतापगढ़ के प्रशासक रहकर भी जिलाधिकारी प्रतापगढ़ कलक्ट्रेट परिसर की खस्ताहाल सड़क न बनवा सके
जिलाधिकारी प्रतापगढ़ संजीव रंजन जी वर्तमान में डीएम के साथ-साथ नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ के अध्यक्ष पद का प्रभार बतौर प्रशासक के रूप में अपने पद और दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। भले ही चौक का नाम भरत चौक करके घण्टाघर और अपने कलेक्टर के चैंबर सहित सभागार और अपर जिलाधिकारी के चैंबर के बरामदे को दोनों तरफ से वॉल पेंटिंग के साथ सुंदर चित्रकारी करवा कर बेहतरीन प्रदर्शन किया है। परन्तु कलेक्ट्रेट के अंदर सभी सड़के खस्ताहाल में है। काली सड़क यानि डामर का तो पता ही नहीं है। बड़ी वाली गिट्टियां भी उखड़ चुकी हैं।
जिला कचेहरी के अंदर लगभग 5 हजार से अधिक अधिवक्ता हो चुके हैं। दर्जनों अधिवक्ताओं के संगठन संचालित हैं। जूनियर बार पुरातन और सीनियर बार, सेंट्रल बार, वकील परिषद सहित अधिवक्ता शक्तिपीठ में धुरंधर अधिवक्ताओं की लंबी फौज है। परन्तु कलेक्ट्रट के अंदर सड़क की दशा देखकर तरस आता है। कलेक्ट्रेट के अंदर अधिवक्ताओं के सेड का निर्माण कराकर ऐसा नामकरण किया गया है, जैसे महाकुंभ में संगम नगरी की तट पर पंडा अपना सेड बनाये हों। परन्तु जिस सड़क से वह अपने सेड तक पहुँचते हैं, उस सड़क के प्रति कोई जवाबदेही उनकी नहीं है। एक लाइन में कह सकते हैं कि किसी से से कोई लेना-देना नहीं है।
कलेक्ट्रेट के अंदर सड़क निर्माण की जिम्मेदारी नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ की है। उसी नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ के प्रशासक स्वयं जिलाधिकारी महोदय हैं। फिर भी कलक्ट्रेट परिसर की अपनी सड़क वह नहीं बनवा सके। इससे अधिक दुर्भाग्य की बात दूसरी नहीं हो सकती। जब कलेक्टर साहेब अपनी नाक के नीचे कलक्ट्रेट परिसर की सड़क नहीं बनवा सकते और उसकी जिम्मेदारी से विमुख होकर वहीं आकर प्रतिदिन चले जाते हैं तो जिले के विकास की उम्मीद फिलहाल डीएम संजीव रंजन जी से करना ब्यर्थ है। एक डीएम को शासन अपना प्रतिनिधि बनाकर जिले की कमान उसके हाथों में सौंपती है और उससे उम्मीद करती है कि वह जिले को बेहतर सुविधा प्रदान करेगा।
सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी जरा अपने कलेक्टर संजीव रंजन जी की उदासीनता को आप भी देख लें। कितने काबिल कलेक्टर हैं ? जो कलेक्टर अपनी कलेक्ट्रेट परिसर की खस्ताहाल सड़क नहीं बनवा सकता, उसे जिलाधिकारी बने रहने का कोई अधिकार नहीं बचता। जो कलेक्टर प्रतिदिन जनता दर्शन के लिए कलक्ट्रेट परिसर स्थित अपने चैंबर में आता-जाता हो और उसे टूटी हुई खस्ताहाल सड़क न दिखाई दे, उसे उस जिले में रहने का कोई औचित्य नहीं बचता। उसे तत्काल प्रभाव से उसके पद से हटाकर उसके कार्य क्षमता अनुसार उसकी तैनाती करनी चाहिये। सीएम साहेब इससे आपकी सरकार की बदनामी हो रही है।