कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र में सांसद विनोद सोनकर की नाराजगी की वजह से मछलीशहर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाने पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कर रहा है, मंथन
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व वर्तमान सांसद विनोद सोनकर की कौशाम्बी संसदीय क्षेत्र में नाराजगी की वजह से मछलीशहर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाने पर मंथन कर रहा है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को अपनी झोली में डालने के लिए हर हथकंडा अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। वहीं कुर्मी/पटेल/वर्मा विरादरी पर अपनी पकड़ बनाये रखने के उद्देश्य से अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल भी प्रतापगढ़ और कौशाम्बी सीट पर अपना उम्मीदवार चाहती हैं।
ऐसे में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सामने सियासी धर्मसंकट खड़ा हो गया है। बदलते-बिगड़ते समीकरण के बीच जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी साल-2019 की तरह अकेले दम पर चुनावी मैदान में अपने उम्मीदवार उतारेगी अथवा भाजपा को वाकओवर देकर मौन रहना राजा भईया बेहतर समझेंगे। प्रतापगढ़ से लेकर लखनऊ और दिल्ली तक अटकलों का बाजार गर्म है। वहीं प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी वोट साधने के लिए अपना दल एस के दिग्गज नेताओं ने प्लान बना लिया है। इस प्लान में राजा भईया की भूमिका अहम् होगी।
यदि राजा भईया और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के बीच बात बनी तो विनोद सोनकर के टिकट में हो सकता है, उलटफेर
मछलीशहर और कौशाम्बी संसदीय सीट पर गहन मंथन जारी है। दोनों सीटें आरक्षित हैं। यदि राजा भईया और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के बीच बात बनी तो विनोद सोनकर के टिकट में उलटफेर भी हो सकता है। अन्यथा राजा के करीबी पूर्व सांसद शैलेन्द्र कुमार ही मछलीशहर संसदीय सीट से उम्मीदवार बन सकते हैं। परन्तु अधिक पसंद सीट कौशाम्बी होने की वजह प्रतापगढ़ की कुंडा और बाबागंज विधानसभा पर राजा भईया का साल-1993 से कब्जा है। वह निर्दलीय अपने दम पर कुंडा विधानसभा में स्वयं और अपने करीबी रामनाथ सरोज और उनके बाद उनके पुत्र विनोद कुमार सरोज को चुनाव में विजयी बनवाते रहे।
ऐसे में कौशाम्बी के वर्तमान सांसद विनोद सोनकर कोभाजपा मछली शहर संसदीय सीट से भी उतार सकती है। क्योंकि राजा भईया की पार्टी से गठबंधन हो जाने पर उत्तर प्रदेश में एनडीए और मजबूत होगा। कौशांबी संसदीय सीट पर राजा भईया की पार्टी जनसत्ता दल के वोटबैंक की बड़ी भूमिका है। प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर संगम लाल गुप्ता भी राजा भईया के गठबंधन में शामिल हो जाने पर मजबूत होंगे। पूरे उत्तर प्रदेश में राजा भईया कई संसदीय सीटों पर अपने प्रभाव से भाजपा और सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को चुनाव में मददगार बन सकते हैं और लोकसभा चुनाव में एनडीए के उम्मीदवारों को विजय श्री दिलवा सकते हैं।