Etah_lok_sabha_seat: एटा लोकसभा सीट पर इस बार 59.17 फीसदी मतदान हुआ और साल-2019 की बात करें तो 61.76 फीसदी हुआ था, मतदान
एटा लोकसभा सीट पर लड़ाई कमल और साइकिल में ही होती दिखाई दी। पांचों विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं का रुझान देखकर यह स्पष्ट है कि बसपा प्रत्याशी मो. इरफान चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में सफल नहीं हो सके। इस बार लोकसभा चुनाव में बसपा के उम्मीदवार और बसपा के कार्यकर्ताओं में भी तालमेल का अभाव देखने को मिल रहा है।
बसपा के मूल यानि कैडर वाले मतदाता भी इस लोकसभा चुनाव में असमंजस की स्थिति में दिख रहे हैं। एटा लोकसभा सीट पर इस बार 59.17 फीसदी मतदान हुआ और साल-2019 की बात करें तो 61.76 फीसदी मतदान हुआ था। यानि 3 फीससी मतदान कम हुआ है।
साल- 2014 में यूपीए-2 के खिलाफ लोगों में नाराजगी थी और नरेंद्र मोदी पर मुख्य फोकस था। वहीं साल- 2019 में पुलवामा और सर्जिकल स्ट्राइक की वजह से एक नेशनल प्राइड के मुद्दे को लेकर उत्साह था, लेकिन इस बार कोई लहर नहीं दिख रही है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि बीजेपी के लिए लोग वोट नहीं कर रहे हैं, लेकिन पिछले दो चुनावों की तरह नहीं है।