जामताड़ा के साइबर ठगों ने बदला ठिकाना,धोखाधड़ी का अपनाया नया तरीका
झारखंड के जामताड़ा जिले के साइबर ठग साइबर अपराध की दुनिया के सरताज माने जाते हैं। गैंग अब अतीत की बात हो गई है। जैसे-जैसे जामताड़ा का नाम लोगों के सामने आया। जामताड़ा के साइबर ठगों ने अपना ठिकाना बदल लिया है। जामताड़ा साइबर ठगों ने अब भरतपुर को अपना ठिकाना बनाया है। जामताड़ा गैंग को पीछे छोड़ते हुए भरतपुर के ठग साइबर क्राइम की दुनिया के नये दुश्मन बन गये हैं। राजस्थान में भरतपुर मुख्यतः पक्षी अभयारण्य के लिए जाना जाता है। यहां पक्षियों की लगभग चार सौ प्रजातियां रहती हैं।
वह पक्षी विहार अब साइबर अपराधियों का मुक्त क्षेत्र बन गया है।सबसे उल्लेखनीय भरतपुर का मेवाड़ गांव है। यह ठगों का ठिकाना बन गया है। इस गैंग ने सेक्सटॉर्शन यानी हनी ट्रैप से लोगों को ठगना शुरू किया। सोशल मीडिया पर चैटिंग के बाद नग्न तस्वीरें भेजकर या वीडियो कॉल करके ब्लैकमेल किया जाता है। स्क्रीनशॉट लीक करने की धमकी देकर शिकार बनाया जाता है, लेकिन अब जब लोग इस जाल से परिचित हो गए हैं, तो साइबर अपराधी धोखाधड़ी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। अब भरतपुर गैंग का नया निशाना किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या न्यायपालिका से जुड़े किसी प्रमुख व्यक्ति का फेसबुक अकाउंट है।
सबसे पहले साइबर ठगों ने अकाउंट हैक किया अगर हैक नहीं कर सके तो एक फर्जी अकाउंट बनाएं। मिली जानकारी के अनुसार फिर वहां से पुराने अकाउंट में मौजूद दोस्तों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी जाती है। वहां मौजूद दोस्तों से ऐसी बातें लिखते और पोस्ट करते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि वह व्यक्ति गंभीर खतरे में है। उसे पैसे की जरूरत है।खाता संख्या उपलब्ध करायी जाती है और पैसा भेजने की बात कही जाती है। यह जानते हुए कि ऐसे लोग खतरे में हैं, कई लोग मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं। वह पैसा ठगे गए व्यक्ति के खाते में जाता है, लेकिन जिनके नाम से फर्जी आईडी बनी है उन्हें कुछ पता नहीं चल पाता है।
वकील और साइबर विशेषज्ञ बिवास चट्टोपाध्याय कहते हैं कि वे सबसे पहले किसी के फेसबुक अकाउंट पर अच्छी नजर डालते हैं। फिर वहां से उसने तस्वीरों समेत सारी जानकारी लेकर एक फर्जी अकाउंट बनाते हैं। फिर वहां से वह दोस्त बनाता है और लोगों से मदद मांगता है, लेकिन ऐसे लोगों को बार-बार चुन-चुनकर निशाना क्यों बनाया जा रहा है। पुलिस या साइबर क्राइम विशेषज्ञों के मुताबिक साइबर अपराधी विश्वसनीयता हासिल करने के लिए ऐसा करते हैं। पूर्व खुफिया प्रमुख पल्लवकांति घोष कहते हैं कि ऐसे उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों की प्रोफाइल कोई नहीं जांचता। इसलिए विश्वसनीयता आसानी से बन जाती है। बहुत से लोग सोचते हैं कि यदि संकट के समय उनकी सहायता की जा सके तो वह व्यक्ति भविष्य में मेरा आभारी रहेगा।