#Loksabha_Election_2024: आईये जाने हाथरस सुरक्षित लोकसभा सीट का इतिहास, वहां का जातिगत समीकरण और चुनावी आंकड़ों की गुणा-गणित

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक हाथरस सुरक्षित सीट है। ब्रज क्षेत्र की इस लोकसभा सीट पर जाट वोटरों का खासा प्रभाव है। लेकिन ये सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। इस सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव साल- 1962 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। अगले दो चुनाव साल- 1967 और साल- 1971 में भी यहां पर कांग्रेस का ही परचम लहराया जबकि साल- 1977 में सत्ता विरोधी लहर में ये सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई थी।

लेकिन साल- 1984 में एक बार फिर से कांग्रेस ने यहां पर वापसी की थी। मगर साल- 1989 में यह सीट जनता दल की झोली में  चली गई। साल- 1991 से लेकर अब तक लगातार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा। हालांकि साल- 2009 में यहां से राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार सारिका बघेल चुनाव जीती थी, लेकिन उस चुनाव में आरएलडी का बीजेपी से गठबंधन  था। उसके बाद साल- 2014 और साल- 2019 की मोदी लहर में एक बार फिर से इस सीट पर कमल आसानी से खिला है। शुरुआत में एक बार आरपीआई ने भी इस सीट पर जीत दर्ज की थी।

दो जिले से 5 विधानसभाओं को मिलाकर बनी है, हाथरस संसदीय सीट

हाथरस सुरक्षित लोकसभा सीट के तहत कुल 5 विधानसभाएं 

हाथरस सुरक्षित लोकसभा सीट के तहत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें अलीगढ़ जिले की छर्रा और इगलास आरक्षित सीट है। जबकि हाथरस जिले की हाथरस आरक्षित, सादाबाद और सिकंदराराऊ शामिल है। साल- 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पांच सीटों में से चार बीजेपी ने जीती हैं। जबकि एक मात्र सादाबाद सीट पर गठबंधन में आरएलडी के प्रदीप चौधरी चुनाव जीते थे। मोदी-योगी की जोड़ी की लहर में बाकी विपक्षी दल चुनाव में यहां पूरी तरह धराशायी हो गए। लोकसभा क्षेत्र की एक विधानसभा सीट पर ही विपक्षी गठबंधन को जीत मिली पायी थी। किसान आंदोलन और सपा-आरएलडी गठबंधन के बावजूद भी विपक्ष कोई बड़ा करिश्मा यहां नहीं कर पाया।

हाथरस सीट पर 18 लाख से अधिक हैं, मतदाता

हाथरस लोकसभा आरक्षित सीट पर मतदातओं की संख्या 

लोकसभा चुनाव- 2024 में हाथरस आरक्षित सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या- 18 लाख, 31 हजार, 216 है। जिनमें पुरुष मतदाताओं की कुल संख्या- 9 लाख, 90 हजार, 708 है। वहीं महिला मतदाता 8 लाख, 40 हजार, 439 और ट्रांसजेंडर के कुल 69 वोटर शामिल हैं।

साल- 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

वहीं साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें, तो बीजेपी के किशन लाल दिलेर जीते थे। दिलेर ने 1 लाख 75 हजार 49 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। जबकि बसपा के रामवीर सिंह भैय्याजी 1 लाख 52 हजार 212 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं समाजवादी पार्टी की विमला पाल को 1 लाख 18 हजार 826 वोट मिले थे। वो तीसरे स्थान पर रही थीं।

साल- 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

साल 2009 के चुनाव की बात करें, तो राष्ट्रीय लोकदल की सारिका सिंह बघेल यहां जीतने में कामयाब रही थीं। सारिका को 2 लाख 47 हजार 927 वोट मिले थे। जबकि बहुजन समाज पार्टी के राजेंद्र कुमार 2 लाख 11 हजार 75 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं समाजवादी पार्टी के अनार सिंह को 1 लाख 15 हजार 187 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर थे।

साल- 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

अगर एक नजर साल 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें, तो इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। राजेश कुमार दिवाकर ने 5 लाख 44 हजार 277 वोट हासिल कर विजयी परचम लहराया था। जबकि बीएसपी के मनोज कुमार सोनी 2 लाख 17 हजार 891 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन को 1 लाख 80 हजार 891 वोट मिले थे।  वो यहां तीसरे स्थान पर रहे थे।

साल- 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर

हाथरस सुरक्षित लोकसभा सीट के साल- 2019 के चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी के राजवीर सिंह  दिलेर ने जीत दर्ज की थी। दिलेर ने सपा के रामजी लाल सुमन को एक तरफा मुकाबले में करीब 2 लाख, 60 हजार मतों के अंतर से हराया था। राजवीर दिलेर को कुल 6 लाख, 84 हजार, 299 वोट मिले थे। जबकि सपा के सुमन को 4 लाख, 24 हजार, 91 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के त्रिलोकी राम थे, जिनको 23 हजार, 926 वोट मिले थे।

हाथरस संसदीय सीट जाट और दलित बहुल सीट मानी जाती है 

हाथरस सुरक्षित लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-16 है। ये जाट और दलित बहुल सीट मानी जाती है। जबकि ब्राह्मण, राजपूत, वैश्य और ओबीसी मतदाता भी इस सीट पर महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। मुस्लिम वोटर यहां निर्णायक हैं। इस आरक्षित सीट पर तीन दशक के लंबे समय से बीजेपी काबिज है। साल- 2009 में आरएलडी जीती थी मगर बीजेपी से गठबंधन के चलते ही उसे जीत मिली थी। इस बार बीजेपी के पास यहां जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है। इस सीट पर यूपी में लंबे समय तक सरकार में रहने वाली बसपा-सपा अभी तक जीत दर्ज नहीं कर सकी हैं।

सपा और बसपा हाथरस सीट पर नहीं खोल सकी है, खाता 

बीजेपी के मुकाबले कभी बसपा तो कभी सपा रनरअप रही है मगर जीत तक नहीं पहुंच सकीं। इस बार भी यहां इन दोनों दलों को लोकसभा में खाता खोलने की दरकार है। आम चुनाव- 2024 में फिलहाल इस सीट की चुनावी जंग में बीजेपी ने अनूप वाल्मीकि को प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने मौजूदा सांसद राजवीर सिंह दिलेर का टिकट काट कर अनूप वाल्मीकि पर दांव चला है। जबकि बसपा ने हेमबाबू धनगर को उम्मीदवार बनाया है। वहीं सपा ने सहारनपुर के जसवीर वाल्मीकि पर भरोसा जताया है। ऐसे में तीसरे चरण में चुनाव वाली इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के हालात बनते दिखाई दे रहे हैं।

भाजपा के गढ़ के रूप में बन चुकी हाथरस सीट की पहचान 

हालांकि बीजेपी की मजबूत सीटों में हाथरस भी आती है। अगर पिछले दो चुनाव को देखें तो साल- 2014 में तीन लाख से अधिक और साल- 2019 में ढाई लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से बीजेपी ने  इस सीट पर जीत दर्ज की है। बीजेपी यहां सपा और बसपा के गठबंधन में भी बड़ी जीत हासिल कर चुकी है। ऐसे में अबकी बार दोनों दल अलग-अलग चुनाव मैदान में हैं। तो इसका फायदा भी बीजेपी प्रत्याशी को मिलना तय है। मजबूत पकड़ वाली इस सीट पर आरएलडी से गठबंधन के चलते कमल के खिलने की संभावना प्रबल है। जिससे बीजेपी इस बार भी आसानी से ये सीट जीत सकती है। हालांकि अनुमान से इतर चुनाव का परिणाम 4 जून की मतगणना के बाद ही सामने आएगा।

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