प्रतापगढ़ सांसद संगम लाल गुप्ता अपने बूथ सहित जिलाध्यक्ष, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और प्रतापगढ़ के वर्तमान विधायक के बूथ से मिली है, करारी शिकस्त
प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर भाजपा ने पहली ही सूची में संगम लाल गुप्ता पर भरोसा जताते हुए उन्हें दूसरी बार अपना उम्मीदवार बनाया तो टिकट की लाइन में खड़े अन्य उम्मीदवार को ये बात नागवार गुजरी और उसी दिन से क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से सांसद संगम लाल गुप्ता बहुत विरोध है, वह तो तेली समाज है, बहुत घमंडी है, सवर्ण को गाली देता है, जातिवादी है और न जाने क्या, क्या आरोप लगाकर विपक्षी दलों से अधिक पार्टी के अंदर ही विरोध शुरू हुआ जो मतदान तक जारी रहा…
सांसद और उनके स्क्रिप्ट राईटर एवं उनके प्रतिनिधि की कार्य प्रणाली की वजह से जनता में थी, नाराजगी
प्रतापगढ़ के भाजपा संगठन में दोगले किस्म के नेताओं और उनके समर्थकों का मकसद पूर्ण हुआ, सिर्फ समर्थकों से सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर स्टेट्स लगाकर खुशी मनाने की जगह खुलेआम जश्न मनाकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व को संदेश देना चाहिए कि हमने तुम्हारे थोपे गए उम्मीदवार को हरा दिया है और विपक्ष के उम्मीदवार को जिता दिया है। दम हो तो भाजपा शीर्ष नेतृत्व को सीधे फ्रंट खोलकर चुनौती देनी चाहिए। ऊँट चरावा खाले-खाले वाली कहावत चरितार्थ करने में मजा नहीं आ रही है। प्रतापगढ़ के भाजपाईयों में यदि फ्रंट खोलने की हिम्मत नहीं है तो इन्हें सिर्फ उम्मीदवार का विरोध करने का अधिकार नहीं। विरोध प्रतापगढ़ की मतदाता करे तो समझ में आता है।
पार्टी के भीतर जयचंदों ने हार दिलाकर मना रहे हैं, खुशियां
पार्टी में रहकर विरोध करना स्वयं को जयचंद घोषित करना है। खुलेआम विरोध करना महाराज पृथ्वीराज सिंह चौहान के सिद्धांतों का अनुसरण करने जैसा होगा। खुलेआम विरोध करने से पार्टी शीर्ष नेतृत्व दूसरी बार ऐसी गलती नहीं करेगा। नहीं तो अभी नगरपालिका परिषद बेला प्रतापगढ़ में अध्यक्ष पद का उपचुनाव होना है। उसकी उम्मीदवारी सहित विधानसभा चुनाव- 2027 और लोकसभा चुनाव-2029 का उम्मीदवार सोच समझकर उतारे। अन्यथा उनकी दशा भी संगम लाल गुप्ता जैसी होगी। यदि पार्टी में रहकर पार्टी का विरोध करने से दोगला की उपाधि मिलने से कोई रोक नहीं सकता।
पार्टी में भितरघात और क्षेत्र में अति विरोध की वजह से प्रतापगढ़ सांसद संगम लाल गुप्ता को मिली हार…
भाजपा के भितरघातियों का नेतृत्व करने वाले पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक का नकाब उतर चुका है। क्योंकि परिणाम अब आ चुका है। बूथ पर मतों की गिनती का भांडा फूट चुका है। भाजपा के कथित दिग्गज अपने बूथ पर ही भाजपा उम्मीदवार को हराने का कार्य स्वयं आगे आकर किये हैं। वर्तमान विधायक और पूर्व विधायक सहित पूर्व मंत्रियों को अपने चुनाव में इसका भुगतान करना पड़ेगा। कहावत भी है जैसी करनी, वैसी भरनी। रानीगंज के पूर्व विधायक के प्रतिनिधि नीरज ओझा ने कहा कि रानीगंज विधानसभा चुनाव में सांसद संगम लाल गुप्ता भी उनका विरोध कर उन्हें चुनाव हरवाया था और आज वह स्वयं चुनाव हार गए तो उन्हें इसका मलाल नहीं करना चाहिए।
प्रतापगढ़ की पांच विधानसभाओं में सिर्फ विश्वनाथगंज विधान सभा से भाजपा उम्मीदवार को मिली है, जीत
लोकसभा चुनाव- 2024 में सिर्फ विश्वनाथगंज विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार की जीत हुई है और वहाँ अपना दल एस का विधायक जीतलाल पटेल है। यद्यपि विश्वनाथगंज में जो भाजपा को जीत मिली है, उसमें विधायक जीतलाल पटेल का लेशमात्र सहयोग नहीं है। फिर भी कहा यही जाएगा कि विश्वनाथगंज विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार को जीत मिली है। हालांकि विश्वनाथगंज में भी भाजपा उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता का बहुत विरोध था, परन्तु चुनाव में वही एक विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार की जीत हुई है। जबकि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के एक पदाधिकारी विश्वनाथगंज विधानसभा से संगम लाल गुप्ता को हराने की हर कोशिश की, परन्तु वो असफल रहे।
पैरासूट से सीधे मनोज तिवारी का आगमन संगम लाल गुप्ता के लिए लोकसभा चुनाव में नुकसानदेह सिद्ध हुआ
सांसद संगम लाल गुप्ता के यहाँ स्क्रिप्ट राइटर और विधिक सलाहकार विवेक उपाध्याय का बहुत विरोध रहा, उतना ही विरोध पीआरओ अभिषेक पाण्डेय का रहा। विवेक उपाध्याय की वजह से रानीगंज के पूर्व विधायक धीरज ओझा से संगम लाल गुप्ता की अनबन हुई तो अंत तक बात नहीं बन सकी। फिलहाल विवेक उपाध्याय विधानसभा चुनाव-2017 के परिणाम के बाद संगम लाल गुप्ता के साथ आये और अभिषेक पाण्डेय तो विधानसभा चुनाव के साथ ही जुड़े रहे। लोकसभा चुनाव-2024 में एक नया चेहरा मनोज तिवारी का दिखा जिनकी पत्नी अर्चना तिवारी बसपा के टिकट से साल- 2012 में चुनाव लड़ चुकी हैं। उनके साथ रहने से भी सांसद का बहुत नुकसान हुआ है।
लोकसभा चुनाव- 2024 में सांसद प्रतापगढ़ संगम लाल गुप्ता के यहाँ मिस मैनेजमेंट भी चुनाव में हार की कारण बना
साल-2017 में जब अपना दल एस और भाजपा के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर प्रतापगढ़ विधानसभा का चुनाव संगम लाल गुप्ता लड़े तो उनकी ब्यवस्था सबसे बेहतर रही और साल-2019 के चुनाव में भी तमाम अब्यवस्थाओं के बीच चुनाव जीते और साल- 2024 के चुनाव में पहली लिस्ट में उम्मीदवार बनते ही समय इतना अधिक मिला कि उसमें सांसद संगम लाल गुप्ता की सारी ब्यवस्था फेल होती गई और वह पीएम, सीएम सहित एचएम की जनसभा के भरोसे चुनाव जीतने का सपना संजोये रहे। दोनों डिप्टी सीएम और अनुप्रिया पटेल की जनसभा से यह मान रहे थे कि जो लोग नाराज हैं, वह मतदान के दिन तक अपनी नाराजगी थूक देंगे और उन्हें वोट देकर जिता देंगे, जो नहीं हो सका।
पट्टी विधानसभा में सबसे अधिक 35 हजार से मिली शिकस्त से पूर्व मंत्री की सत्यनिष्ठा पर उठ रहे हैं, सवाल
भाजपा उम्मीदवार संगम लाल गुप्ता को सबसे करारी शिकस्त पट्टी विधानसभा में मिली है, जहाँ कहा जाता था कि बचवा संगमवा का यह बार जीतई नाई देय क बा… यह बात नेताजी के समर्थक खुलेआम कहते थे। अब बात रानीगंज विधानसभा की करें तो वहाँ भी पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री के समर्थक खुलकर विरोध किये। परिणाम आने के बाद तो व्हाट्सएप और फेसबुक पर स्टेट्स लगाकर उस पर गाना तक अपलोड किया गया। काहो मंगरू अब का करबा की रील लगाकर जमकर मजाक बनाया गया। राजा भईया समर्थक तो रील बनाये कि कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली…