गौतम अडानी के साथ बैठकर शरद पवार और अमित शाह ने की बड़ी प्लानिंग, महाराष्ट्र चुनाव के बीच अजित पवार का धमाका
मुंबई। उद्योगपति गौतम अडानी पांच साल पहले बीजेपी और अविभाजित एनसीपी के बीच राजनीतिक बातचीत का हिस्सा थे। यह दावा अजीत पवार ने किया है। वह उन चर्चाओं का जिक्र कर रहे थे जो भाजपा के साथ हाथ मिलाने और साल-2019 में देवेंद्र फडणवीस को सीएम और खुद को डिप्टी सीएम बनाकर अल्पकालिक सरकार बनाने से ठीक पहले हुई थीं।
एक इंटरव्यू में अजीत पवार ने कहा, ‘अमित शाह, गौतम अडानी, प्रफुल्ल पटेल, फडणवीस और पवार साहब… सभी वहां थे…’ अजित पवार से सवाल पूछा गया कि एनसीपी और भाजपा के बीच वैचारिक असंगति के बावजूद वह उनके साथ गए? इस पर अजित ने कहा कि साल-2014 में भी महाराष्ट्र सरकार को एनसीपी ने बाहर से समर्थन दिया था।
साल-2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था…
अजित पवार ने कहा, ‘जब साल-2014 के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए, तो एनसीपी प्रवक्ता प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि हम भाजपा को बाहर से समर्थन देंगे।’ हम वही करते हैं जो हमारे वरिष्ठ हमें करने को कहते हैं। साल-2014 के विधानसभा चुनावों के बाद, एनसीपी प्रवक्ता प्रफुल पटेल ने भाजपा को बाहर से समर्थन देने की घोषणा की थी, अजित पवार ने कहा, बाद में एनसीपी ने कहा कि समर्थन स्थायी नहीं था, बल्कि केवल सरकार बनाने के लिए था, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा और शिवसेना फिर से एक साथ आ गए।
दिल्ली में अडाणी के घर हुई थी बैठक…
अजित पवार ने फडणवीस के साथ सुबह-सुबह शपथ ग्रहण से पहले हुई ‘बैठक’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘पांच साल हो गए हैं, हर कोई जानता है कि बैठक कहां हुई थी, यह दिल्ली में एक व्यवसायी के घर पर हुई थी, हर कोई जानता है। हां, पांच बैठकें हुई थीं… अमित शाह वहां थे, गौतम अडानी वहां थे, प्रफुल पटेल वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, पवार साहब वहां थे… सभी वहां थे… सब कुछ तय हो गया था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इसका दोष मुझ पर पड़ा है, और मैंने इसे स्वीकार कर लिया है। मैंने दोष स्वीकार कर लिया और दूसरों को सुरक्षित कर दिया।’
‘शरद पवार के दिमाग को दुनिया में कोई नहीं पढ़ सकता…
यह पूछे जाने पर कि शरद पवार ने बाद में हिचकिचाहट क्यों दिखाई और भाजपा के साथ क्यों नहीं गए, अजित ने कहा कि उन्हें इसका कारण नहीं पता। उन्होंने कहा, ‘पवार साहब एक ऐसे नेता हैं जिनके दिमाग को दुनिया में कोई नहीं पढ़ सकता। यहां तक कि हमारी आंटी (शरद पवार की पत्नी प्रतिभा) या हमारी सुप्रिया (सुले) भी नहीं।’
एनसीपी के विभाजन पर कही बड़ी बात…
शरद पवार ने साल-2019 में भाजपा के साथ सत्ता-साझाकरण वार्ता में किसी भी तरह की भागीदारी से लगातार इनकार किया है। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने पिछले साल आरोप लगाया था कि पवार ने साल-2017 और 2019 के बीच भाजपा के साथ कई बैठकें की थीं। एनसीपी में विभाजन के बारे में पूछे जाने पर अजित ने कहा कि विभाजन का कोई सवाल ही नहीं है और ‘जिसके पास बहुमत है, वही पार्टी को नियंत्रित करता है।’
‘महाराष्ट्र में विचारधारा हुई किनारे…
क्या पवार परिवार फिर से एक साथ आ सकता है? इस पर अजित ने कहा, ‘मैंने अभी इस बारे में नहीं सोचा है। अभी मेरा ध्यान चुनावों और महायुति को 175 सीटें जीतने पर है।’ विचारधारा के मामले में अजित ने पूछा कि शिवसेना ने एमवीए शासन के दौरान 2.5 साल तक कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कैसे किया। ‘जब हमें उनके साथ काम करने के लिए कहा गया, तो हमने किया।’ इसके बाद उन्होंने कहा, ‘विचारधारा के बारे में मत पूछिए। महाराष्ट्र की राजनीति बदल गई है। हर कोई सत्ता चाहता है और विचारधारा को किनारे रख दिया है। वे सरकार बनाना और चलाना चाहते हैं।’
अजित पवार ने इस बात से इनकार किया कि उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का भाजपा के साथ जाने से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आरोप साल-2009 में लगाए गए थे और मैं साल-2023 में भाजपा के साथ गया।’ उन्होंने आगे कहा कि उन्हें मामलों में बरी कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। उन्होंने कहा, ‘अगर मैं दोषी होता, तो मेरे खिलाफ कार्रवाई होती।’
साल-2023 में हुआ था बड़ा बदलाव…
साल-2019 में शपथ ग्रहण के बाद अजित शरद पवार के पास वापस चले गए क्योंकि उन्हें केवल कुछ एनसीपी विधायकों का समर्थन मिल सका, जबकि अधिकांश पार्टी विधायक पवार सीनियर के साथ थे। बाद में साल-2023 में, जब वे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में शामिल हुए, तो उन्होंने पार्टी के अधिकांश विधायकों को अपने साथ ले लिया।
महाराष्ट्र सरकार अडानी सरकार है इसका सबूत: विपक्ष…
कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के पदाधिकारियों ने उद्योगपति गौतम अडानी के साल-2019 में भाजपा-एनसीपी वार्ता का हिस्सा होने के बारे में अजीत पवार के खुलासे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। विपक्ष ने कहा कि यह सबूत है कि महाराष्ट्र सरकार ‘अडानी सरकार’ है। गौतम अडानी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
भड़कीं वर्षा गायकवाड़, उठाए सवाल…
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद वर्षा गायकवाड़ ने कहा, ‘गौतम अडानी का क्या अधिकार था, वह सरकार गठन को लेकर बैठकों में क्यों बैठे थे? मैं फिर से दोहराती हूं, एमवीए सरकार को केवल अडानी के लिए अस्थिर किया गया था, ताकि वह धारावी और अपनी इच्छानुसार कोई भी अन्य परियोजना हासिल कर सकें। इसलिए हम कहते हैं, यह महाराष्ट्र सरकार नहीं, बल्कि अडानी सरकार है। अब सच्चाई सबके सामने है।’
प्रियंका चतुर्वेदी ने किया हमला…
यूबीटी शिवसेना प्रवक्ता और सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक पोस्ट में कहा, ‘अजित पवार जी के अनुसार, यह बैठक साकल-2019 में हुई थी, जब देवेंद्र फडणवीस सुबह-सुबह एक समारोह में सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री बने थे…अडानी सरकार एक कारण से। एक वरिष्ठ मंत्री के डिजिटल प्लेटफॉर्म को दिए गए साक्षात्कार के अनुसार, गौतम अडानी ने यह तय करने के लिए बैठकों में भाग लिया कि कैसे असंभावित गठबंधनों को ठीक करने की कोशिश करके राज्य में भाजपा को सत्ता में लाया जाए, यह कुछ गंभीर सवाल उठाता है। क्या वह भाजपा के अधिकृत वार्ताकार हैं, क्या उन्हें गठबंधन तय करने की जिम्मेदारी दी गई है, एक व्यवसायी इतनी उत्सुकता और बारीकी से महाराष्ट्र में किसी भी कीमत पर भाजपा को सत्ता में लाने के लिए क्यों काम कर रहा है?..बोल धारावी बोल।’