नैनीताल कांड: दर्दनाक कहानी, भागती दुनिया में 10 दिन घुटनों के बल रेंगती रही पीड़िता; डॉक्टरों ने तड़पने को छोड़ा
नैनीताल मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। हल्द्वानी के डॉक्टरों ने बिना इलाज के ही पीड़िता को लौटाकर तड़पने के लिए छोड़ दिया था। भागती दुनिया में पीड़िता 10 दिन घुटनों के बल रेंगती रही।जिस बालिका से दुष्कर्म पर पूरा नैनीताल आक्रोश में है, उसकी दास्तां आंसुओं में डूबी है। दरिंदगी का शिकार हुई बच्ची ऐसे दर्द की गिरफ्त में है, जहां उसका दिलो-दिमाग सुन्न है। उसके शरीर की अथाह पीड़ा ऐसी कि 10 दिन तक वह लगभग रेंगती हुई चली और अब भी उसकी ठीक से बैठने की स्थिति नहीं है। असहनीय पीड़ा की इस हालत में जब हर तरफ से लाचार मां उसे लेकर अस्पताल पहुंची तो वहां भी डॉक्टर का पत्थर दिल नहीं पसी
10 दिनों तक बच्ची घुटनों के बल रेंगकर चली
12 अप्रैल को एक महिला की छोटी बेटी शाम को बाजार से सामान खरीदने गई थी। इस दौरान रुकुट कंपाउंड निवासी 72 साल के बुजुर्ग ठेकेदार उस्मान मासूम को 200 रुपये देने का लालच देकर अपने घर ले गया और घृणित कृत्य कर डाला। इसके बाद बच्ची की हालत बिगड़ गई। एक तरफ आरोपी की धमकी से वह बदहवास हो गई थी, दूसरी ओर शरीर के असहनीय दर्द ने उसे लगभग मृतप्राय सा कर दिया था। करीब 10 दिनों तक बच्ची घुटनों के बल रेंगकर चलती रही। वह ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी।जा। उन्होंने 12 साल की मासूम को बिना इलाज लौटाकर तड़पने के लिए छोड़ दिया।
25 अप्रैल को मां उसे लेकर हल्द्वानी के महिला अस्पताल पहुंची
नानी के पूछने पर भी जब बच्ची ने कुछ नहीं बताया तो बड़ी बहन ने मां को फोन कर संभल (यूपी) से बुला लिया। 23 अप्रैल को मां नैनीताल पहुंची। दो दिन तक मासूम मां को भी आपबीती नहीं बता पाई। हालत में सुधार नहीं होने पर 25 अप्रैल को मां उसे लेकर हल्द्वानी के महिला अस्पताल पहुंची। यहां ओपीडी का पर्चा भी बनाया गया। आरोप है कि यहां चिकित्सक ने बच्ची की हालात देख कह दिया कि पहले पुलिस के पास जाओ… उसके बाद ही इलाज होगा। ऐसे में मां अपनी बेटी को बिना इलाज कराए ही घर लौट गई।
मोहल्ले में आम हो गई थी अनहोनी की चर्चा
परिवार वालों को भले ही बालिका ने कुछ नहीं बताया लेकिन उसकी हालत देखकर मोहल्ले में उसके साथ अनहोनी की चर्चा आम हो गई थी। इस बीच क्षेत्र की एक महिला ने पुलिस के पास जाने की सलाह दी। वही मासूम की मां को लेकर महिला समाजसेवी के पास पहुंची। महिला समाजसेवी और मां के पूछने पर बच्ची ने पूरी घटना बता दी और मां से लिपटकर खूब रोई।
चाकू होता तो आरोपी को मार देती
30 अप्रैल को बेटी से दुष्कर्म को पूरी कहानी सुनने के बाद मां भी गुस्से से लाल हो गई थी। मां का कहना था कि अंदर इतना गुस्सा भरा है कि अगर चाकू होता, तो मैं उस्मान को मार देती।
25 अप्रैल को हल्द्वानी के महिला अस्पताल से बिना इलाज के लौटाया
बच्ची को प्रशासन की ओर से हरसंभव मदद दी जा रही है। अगर बच्ची के इलाज में लापरवाही की गई है तो ओपीडी पर्चे के आधार पर डॉक्टर को चिह्नित किया जाएगा। जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। वंदना, डीएम
पीड़िता और उसकी बहन ने स्कूल से कटवा ली टीसी
दुष्कर्म की घटना को लेकर बवाल तो 19 दिन बाद हुआ, उससे पहले ही पीड़ित बालिका और उसकी बड़ी बहन ने स्कूल जाना छोड़ दिया था। दोनों ने नानी को गांव से बुलाने के बाद उन्हें 16 अप्रैल को स्कूल भेजा और अपनी टीसी कटवा ली थी। घटना ने बालिका को इतना झकझोर दिया था कि वह गुमसुम रहने लगी थी।आरोपी की ओर से धमकाए जाने के कारण उसने कई बार पूछने के बावजूद अपनी बहन को भी कुछ नहीं बताया। उसकी हालत देखकर बड़ी बहन भी परेशान रहने लगी थी। तभी बहन ने नानी को बुलाया और स्कूल न जाने की बात उनसे कही। इसके बाद नानी ने स्कूल जाकर दोनों की टीसी कटवा ली थी।
मुख्यमंत्री ने कहा, शिक्षा का खर्च उठाएगी सरकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीड़ित परिवार से बात की। उन्होंने कहा कि दोनों बच्चियों की शिक्षा का खर्च सरकार उठाएगी। इसके अलावा परिवार की मदद के लिए सरकार हर कदम उठाएगी।
प्रशासन ने मदद के लिए बढ़ाए हाथ
जिलाधिकारी वंदना ने बताया कि स्पॉन्सरशिप योजना के तहत बालिका को हर माह चार हजार रुपये की मदद दी जाएगी। इसके अलावा दुष्कर्म पीड़ित को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से भी धनराशि दी जाएगी। समाज कल्याण विभाग की योजना से भी परिवार को आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।