जेल से रिहा होंगे माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव,लखनऊ यूनिवर्सिटी में चाकूबाजी से दाऊद को धमकाने तक पढ़ें- बबलू की कहानी

लखनऊ। माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव अंडरवर्ल्ड में एक बड़ा नाम है। बबलू श्रीवास्तव का नाम सुनकर कभी डी कंपनी का सरगना दाऊद इब्राहिम भी कांपता था। खौफ ऐसा कि दाऊद को भारत छोड़ कर भागना पड़ा और पाकिस्तान में शरण लेनी पड़ी। माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव 25 साल से बरेली जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, लेकिन अब डाॅन की रिहाई का रास्ता क्लियर नजर आ रहा है। जेल प्रशासन ने डॉन के अच्छे आचरण के आधार पर रिहा करने के लिए सरकार से सिफारिश की है।

जानें माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव की पूरी क्राइम कहानी…

पूर्वांचल के गाजीपुर जिले के रहने वाले ओम प्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू के पिता गाजीपुर पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल थे। बबलू के बड़े भाई सेना में कर्नल। बबलू बचपन से काफी मेधावी थे और पढ़ लिखकर देश का सबसे बड़ा वकील बनना चाहता थे। बबलू के पिता चाहते थे कि बबलू अपने बड़े भाई की तरह सेना में जाए। मगर बबलू की जिद और प्रतिभा के आगे पिता ने हार मान ली और कानून की पढ़ाई के लिए बबलू को साल 1982 में लखनऊ यूनिवर्सिटी में दाखिला दिला दिया।

बबलू को लखनऊ आए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि यूनिवर्सिटी परिसर में चाकूबाजी हो गई। चाकूबाजी में बबलू को जेल जाना पड़ा था। यही से बबलू के जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। बबलू का दावा है कि उसे गलत तरीके से इस मामले में फंसाया गया था, लेकिन सारे सबूत बबलू के खिलाफ थे, इसलिए पुलिस ने बबलू की एक भी ना सुनी और सजा काटनी पड़ी। कुछ समय बाद जब बबलू जेल से बाहर आये तो पूरी तरह से बदल चुका थे। बबलू ने ठान लिया था कि अब उनका लक्ष्य टॉप का वकील बनना नहीं, टॉप का अपराधी बनना है।

इसके बाद बबलू एक के बाद एक अपराधों का अंजाम देते हुए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के संपर्क में आ गये और कुछ ही दिन में दाऊद का सबसे खास शार्गिद बन गए। लखनऊ आने के बाद बबलू ने छात्र राजनीति में भी कदम रखा, लेकिन यहां उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली, लेकिन जरायम की दुनिया में बबलू बहुत कम समय में ही कुख्यात हो गए। देश के अलग अलग राज्यों में 60 से ज्यादा मुकदमे बबलू पर दर्ज हैं। लगभग इतने ही संगीन मामलों में बबलू संदिग्ध आरोपी हैं। इन वारदातों को दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी ने अंजाम दिया था।

गोली मारने की दाऊद को दी थी धमकी…

जब डी कंपनी ने मुंबई धमाके की योजना बनाई तो बबलू इसके विरोध में आ गए।इस बात को लेकर दाऊद से बबलू झगड़ा भी हुआ और बबलू ने दाऊद को खुलेआम धमकी दी। कहा कि विस्फोट हुए तो वह उसे गोली मार देगा। बबलू की धमकी के बाद मुंबई धमाका हुआ, लेकिन दाऊद को भी भागकर पाकिस्तान में शरण लेनी पड़ी। .हालांकि इस घटना के बाद दाऊद के डर से बबलू को भी एक के बाद एक कई देशों में भागते रहना पड़ा था।

मारीशस में हुई गिरफ्तारी…

इसी बीच बबलू ने पुणे में कस्टम विभाग के एक अधिकारी एलडी अरोड़ा की हत्या कर दी। इस मामले में बबलू को लगभग 25 साल पहले मारीशस में गिरफ्तार किया गया और बाद में बबलू को प्रर्त्यपण कर भारत लाया गया। 1999 से बबलू बरेली की जेल में बंद हैं। इस जेल में बबलू के साथ उनके साथी मंगेश उर्फ मंगे तथा कमल किशोर सैनी भी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। जेल अधिकारियों के मुताबिक जेल में आने के बाद भी कुछ समय तक बबलू के तेवर अपराधियों वाले थे।

जेल में बैठकर लिखी तीन किताबें…

25 साल तक जेल में रहने के दौरान बबलू के आचार विचार और व्यवहार में काफी परिवर्तन आया है। बबलू ने जेल की काल कोठरी में ही बैठकर अपराध के विषय पर तीन किताबें लिखी हैं। इनमें पहली किताब साल 2004 में अधूरी ख्वाहिश के नाम से आई थी। वहीं दूसरी किताब साल 2018 में बढ़ते कदम नाम से प्रकाशित हो चुकी है।जबकि तीसरी किताब क्रिमिनल का काम पूरा हो चुका है और छपने के लिए प्रेस में जा चुकी है।

बता दें कि जेल प्रशासन ने माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव के अच्छे आचरण को देखते हुए उन्हें रिहा करने का फैसला किया है। 25 साल तक जेल में रहे बबलू श्रीवास्तव के बारे में जेल प्रशासन ने सरकार को लिखा है। इससे पहले बबलू श्रीवास्तव ने भी इसी आधार पर क्षमा याचिका लगाई थी। जेल प्रशासन की इस संस्तुति के बाद पुलिस ने बबलू के आचरण की डिटेल मंगा कर शासन को भेज दी है। मंजूरी मिलते ही 15 अगस्त या उसके बाद बबलू श्रीवास्तव समेत उनके अन्य साथियों की रिहाई हो सकती है।

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