प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी ने जिले की कटवा दी नाक, सीएम ने जमकर लगाई फटकार, योगी ने कहा- इनको कार्यमुक्त किया जाये
जिलाधिकारी प्रतापगढ़ प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव की साल- 2024 में हो जाएगी सेवा समाप्त…
प्रतापगढ। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजस्व विभाग की समीक्षा के दौरान विभाग में लापरवाही पाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई। सीएम ने प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव को हटाने के लिए कहा, इसके अलावा मेरठ कमिश्नर के भी CM ने पेंच कसे, बलिया DM को भी CM ने डाँटा, बलिया DM कई मानकों पर फेल साबित हुए। इस दौरान सीएम ने राजस्व मामलों का प्राथमिकता के आधार पर तय समयबद्ध तरीके से निस्तारण करने का आदेश दिया है। उन्होंने पैमाइश, वरासत, नामांतरण, चकबंदी और प्रमाणपत्रों को जारी करने में हो रही देरी पर जिलाधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए निस्तारित करने का आदेश दिया है। प्रतापगढ जिले के राजस्व न्यायालयों में लंबित 26871 मुकदमें निस्तारित हैं।
तहसील मुकदमों की संख्या-
कुंडा- 9670
पट्टी- 4681
सदर- 3672
रानीगंज- 5087
लालगंज- 3761
प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव अपर जिलाधिकारी प्रतापगढ़ के रूप में दे चुके थे, अपनी सेवा…
जनपद प्रतापगढ़ जिले के पांच तहसीलों में मुकदमों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, राजस्व न्यायालय में अधिकतर वाद हिस्सा-विवाद की जमीन पर अवैध कब्जा, सीमा निर्धारण को लेकर है। वहीं एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार शिकायतों का निस्तारण करने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में मुकदमों की सुनवाई करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है। कोर्ट में बैठकर हाकिम सुनवाई ही नहीं करते। जिस फाइल में लेनदेन हो जाता है, उस फाइल को हाकिम बंगले पर मंगा लेते हैं और वहीं आदेश पर अपने हस्ताक्षर कर देते हैं। फिर फाइल अहलमद और पेशकार न्यायालय लाता है। आदेश की नकल और खतौनी में अमल दरामद तक का खुला रेट है। योगी राज में भ्रष्टाचार चरम पर है। जीरो टोलरेंस की बात यहाँ बेईमानी साबित हो रही है।
ढीले-ढाले स्वाभाव के थे, जिलाधिकारी प्रतापगढ़ प्रकाश चन्द्र श्रीवास्तव…
वर्तमान परिवेश की बात करें तो राजस्व न्यायालय में एक आदमी सुबह घर का सारा काम छोड़कर चक्कर लगाने के लिए मजबूर हो चुका है। उस हर तारीख पर उसके वकील साहेब यह आश्वासन दिलाते हैं कि अगली पेशी पर उसका काम हो जायेगा, परन्तु अगली पेशी पर भी उसे मिलती है तो सिर्फ तारीख। ये तारीख पर तारीख की बात सुनकर फिल्म दामिनी की याद अनायास आ जाती है। क्योंकि फिल्म दामिनी में भी दामिनी को मिलती थी तो सिर्फ तारीख। सच बात तो यह है कि न्याय की आस में आज भी करोंड़ो परिवार जीने के लिए मजबूर हैं। वो न्याय पाने के लिए अदालतों का चक्कर काट काटकर अपने चप्पलों को घिस डालते हैं, परन्तु उन्हें अंत तक न्याय नहीं मिल पाता। आखिर इसका जवाबदेह कौन है ? इसका उत्तर किसी के पास नहीं है।
दूसरी समस्या पर नजर डाले तो पता चलता है कि 90 फीसदी गांवों में गाँव समाज की भूमि पर गांव के लोगों ने ही कब्जा कर रखा है। गाँव समाज की भूमि पर बाहुबली और दबंग किस्म के लोग ही जबरन कब्जा किये हुए हैं। हल्का लेखपाल सबकुछ जानते हुए मौन बना रहता है। तालाब, चकरोड और नाली पर भी दबंग लोग अवैध कब्जा किये रहते हैं। उन पर राजस्व विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता। कार्रवाई तो गरीब और असहाय पर ही की जाती है। वहीं प्रतापगढ़ में भूमि विवाद के मामलों की कमी नहीं आ रही है। राजस्व न्यायालय मुकदमें के बोझ से दबा हुआ है। प्रतापगढ़ की पांचो तहसीलों में कुल 26871 मुकदमें विचाराधीन हैं। सबसे अधिक 9670 मुकदमे कुंडा तहसील और सबसे कम 3672 मामले सदर तहसील में लम्वित हैं।